बिहार के चित्तौड़गढ़ के रूप में चर्चित महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के निवर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और राजद के टिकट पर पहली बार चुनाव में उतरे छपरा के पूर्व विधायक तथा पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर कुमार सिंह के बीच सीधा मुकाबला है। मौजूदा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल जहां मोदी मैजिक के भरोसे हैं वही राजद उम्मीदवार रणधीर सिंह सहानुभूति लहर माई समीकरण तथा सजातीय वोटरों पर पिता के प्रभाव के दम पर ताल ठोक रहे है। बिहार का महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र सारण और सीवान जिलों के कई हिस्सों को मिलाकर बना है। यह उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा इलाका है। यह एक तरफ गोपालगंज जिले से भी घिरा हुआ है। लंबे समय तक यह सीट कांग्रेस और फिर जनता दल का मजबूत गढ़ बना रहा। फिर आरजेडी ने भी यहां से दो बार अपने उम्मीदवार जिताए। राजपूत बहुल इस सीट पर मुस्लिम-यादव समीकरण खेल बना और बिगाड़ सकता है। 2014 के चुनाव में यहां से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल बीजेपी के टिकट पर जीतकर सांसद बने।
इस सीट पर राजपूत समुदाय से आने वाले क्षत्रिय क्षत्रप प्रभुनाथ सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती है। वे यहां से 4 बार सांसद रहे हैं। पहले जनता दल, फिर समता पार्टी और बाद में आरजेडी के टिकट पर यहां से सांसद चुने गए। लेकिन 2014 के मोदी लहर में बीजेपी उम्मीदवार के सामने उन्हें मात खानी पड़ी। इस लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 1,312,219 है।
सारण प्रमंडल की महाराजगंज सीट पर सियासत दिलचस्प रही है। 1996 से ही यह सीट जेडीयू के खाते में रही है। तभी से 2009 तक चार बार जेडीयू यह सीट जीती है। केवल एक बार 2009 में उसे पराजय का सामना करना पड़ा था। 1989 में चंद्रशेखर ने महाराजगंज व बलिया से चुनाव लड़ा था वे दोनों जगह से जीते थे मगर उन्होंने महाराजगंज सीट छोड़कर बलिया अपने पास रखा था। इसी कार्यकाल में वे प्रधानमंत्री बने। 2014 के आम चुनाव में जब भाजपा और जेडीयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा तब मोदी लहर में इस सीट से भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल विजेता रहे। यह सीट राजपूत बहुल है। जेडीयू-बीजेपी दोनों की इस सीट पर नजर है। पिछले विधानसभा चुनाव में वर्तमान सांसद सिग्रीवाल के संसदीय क्षेत्र के सभी सीटों पर एनडीए को हार का मुंह देखना पड़ा था।
पुराने आंकड़ों पर नजर डालें तो 1957 के चुनाव में महाराजगंज सीट से कांग्रेस के महेंद्र नाथ सिंह चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। 1962 में कांग्रेस के कृष्णकांता सिंह जीते. 1967 में एमपी सिंह और 1971-1971 में रामदेव सिंह इस सीट से चुनाव जीतकर दिल्ली गए। इसके बाद 1980 और 1984 में कांग्रेस के कृष्ण प्रताप सिंह के हाथ जीत लगी। इसके बाद 1989 और 1991 के चुनावों में जनता दल के उम्मीदवार इस सीट से जीते। 1996 में समता पार्टी के राम बहादुर सिंह यहां से चुनाव जीते। अगले चुनाव यानी 1998 में समता पार्टी के टिकट पर बाहुबली प्रभुनाथ सिंह यहां से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। प्रभुनाथ सिंह ने इसके बाद दो और चुनाव 1999 और 2004 में जेडीयू के टिकट पर यहां से जीता। लेकिन 2009 के चुनाव में जेडीयू के प्रभुनाथ सिंह को आरजेडी के उमाशंकर सिंह ने हरा दिया। 2013 में उमाशंकर सिंह के निधन के बाद महाराजगंज सीट पर उपचुनाव हुआ. इस बार प्रभुनाथ सिंह आरजेडी के खेमे में आ चुके थे। उपचुनाव जीतने में प्रभुनाथ सिंह सफल रहे। 2014 में भी प्रभुनाथ सिंह आररजेडी के टिकट पर इस सीट से उतरे लेकिन बेहद ही साधारण बैकग्राउंड से आने वाले जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने प्रभुनाथ सिंह को मोदी लहर के सहारे मात दे दी।
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं। गोरियाकोठी, महाराजगंज, एकमा, मांझी, बनियापुर और तरैया. इन 6 सीटों में से 4 एकमा, मांझी, बनियापुर और तरैया सारण जिले में आते हैं और बाकी के दो गोरियाकोठी और महाराजगंज सिवान जिले में। महाराजगंज क्षेत्र में राजपूत समुदाय की अच्छी खासी आबादी है और यादव समुदाय की भी। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 आरजेडी ने, 2 सीट जेडीयू ने और 1 सीट कांग्रेस ने जीती। सिवान में पड़ने वाली गोरियाकोठी सीट आरजेडी ने तो महाराजगंज सीट जेडीयू ने जीती। जबकि सारण जिले में पड़ने वाली एकमा सीट से जेडीयू, मांझी से कांग्रेस, बनियापुर और तरैया से आरजेडी उम्मीदवारों की जीत हुई थी। प्रभुनाथ सिंह के जेडीयू छोड़ आरजेडी में जाने के कारण बीजेपी-जेडीयू को इस इलाके में काफी नुकसान उठाना पड़ा।
16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में महाराजगंज सीट से बीजेपी के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल जीते। उन्होंने दबंग छवि के नेता प्रभुनाथ सिंह को मात दी. सिग्रीवाल को 3,20,753 वोट मिले थे। जबकि प्रभुनाथ सिंह को 2,82,338 वोट. तीसरे नंबर पर रहे एक और बाहुबली नेता जेडीयू के मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह जिन्हें 1,49,483 वोट मिले।