दरभंगा : दृष्टिहीनता की चुनौती का सामना करते हुए हिफ़्ज़-कुरआन मुकम्मल करने वाले नासिरुल्लाह के जज्बे को सलाम

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ज़ाहिद  अनवर (राजु)
उप संपादक

दरभंगा/बिहार : जी हां बात कुछ अजीब सा है लेकिन उपरोक्त बातों में सच्चाई है। एक आम आदमी जिसे ईश्वर ने दो दो आंखे दी है वह अपनी पढ़ाई सही से तो कर नही पाता है लेकिन एक नेत्रहीन फुलवरिया, चंपारण ज़िला निवासी नासिरुल्लाह जिन्होंने मदरसा हुसैनिया तालिमुल क़ुरआन बिलासपुर हायाघाट में तालीम हासिल किया और निर्धारित समय से कुछ ज़्यादा समय लेकर अपना हिफ़्ज़ मुकम्मल कर एक मिसाल कायम करने का काम किया है ।

उन्होंने हमारे संवाददाता को बताया कि क़ारी हबीबुर्रहमान जो इस मदरसा के ज़िम्मेदार है, के अथक मेहनत और कोशिश से उन्होंने हिफ़्ज़ मुकम्मल किया। जब उनसे पूछा गया कि आप तो देख नही सकते है फिर आपने क़ुरआन को याद कैसे किया तो उन्होंने कहा कि अपने साथियों से पूछ-पूछ कर मैंने मुकम्मल किया। इस शागिर्द ने मदरसा की तारीफ और उस्तादों के ज़रिए की जाने वाली मदद के बारे में जमकर बोला।

गौरतलब हो कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बीती रात हायाघाट के बिलासपुर की सरज़मीन पर “प्यामे इंसानियत कॉन्फ्रेंस व जलसा दस्तार बंदी” कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस जलसे में हिंदुस्तान के मशहूर व मारूफ उलमाए एकराम तशरीफ़ लाये हुए थे। जलसे की सदारत शेख असगर अली इमाम मेहदी सल्फी (अमीर मरकज़ जमीयत अलहदिस) ने किया। इस जलसे में शेख खुर्शीद मदनी, शेख मो.अली सल्फी मदनी, हज़रत मौलाना अनिसुर रहमान कासमी (नाज़िम इमारत शरिया पटना), शेख ज़की अहमद सल्फी मदनी, शेख इरफान सल्फी मदनी, शेख समीउर रहमान सल्फी मदनी, हाफिज खुर्शीद अहमद सल्फी मदनी, शेख मुफ़्ती साबिर कासमी, क़ारी शेख फैसल साहेब मदनी भी मौजूद थे।

जलसे के कन्वेनर डॉ खुदादाद अब्दुल अली ने बताया कि जलसे में दूर दूर से हज़ारो की संख्या में आये लोगो ने जलसे की रौनक बढ़ा दी। महिलाएं भी बड़ी संख्या में मौजूद थी जिनके लिए पर्दे के खुसूसी इंतज़ाम किया गया था। स्थानीय मुखिया शफीउर रहमान उर्फ बौआ मियां मेहमान के स्वागत में आखरी वक़्त तक डटे रहे। इस दौरान मदरसे से फारिग लगभग 30 हुफ़्फ़ाज़ एकराम की दस्तार बन्दी भी हुई। जलसे में आए उलमाए एकराम ने मदरसा में दी जाने वाली सुविधाओं की तारीफ की और लोगो से तआवुन की अपील की।

जलसे में डॉ शाहनवाज अहमद कैफ़ी और दीगर कई खास लोग मौजूद थे। जलसे को कामयाब बनाने में शादाब अतिकी, मो. नाहिद, डॉ रिज़वान अहमद, मो. नदीम, मो. तहसीन आलम, मिन्टू खान, मो० औशेद, फैशल आलम, शहवाज चौधरी, शादाब एकवाल, मो० रफी, मो० एहसान, मो० सोहेल, मो० शमशाद, मो० जमशेद, मो० मिनटु, मो० समीर, फ़िदा हुसैन, मिन्हाज, मोo शमीम, मो० अशरफ सहित कई लोगो का महत्वपूर्ण योगदान रहा।


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