सारण/बिहार : मनुष्य का शरीर परमात्मा को पाने का महत्वपूर्ण साधन है। इसी के सहायता से परमात्मा के पास पहुंचा जा सकता है, उक्त बातें सँवरी बख्शी जी ग्राम के शिवालय परिसर में चल रहे सत्संग समारोह के 33 वे वार्षिकोत्सव में सासाराम से पधारे महामंडलेश्वर सदानंद जी महाराज ने कहीं ।
उन्होंने उपस्थित श्रोता भक्तों को प्रवचन में बताया कि परमपिता के स्मरण मात्र से ही सभी कार्य सकुशल पूरा हो जाता है ।ऐसा सिर्फ मनुष्य जीवन में ही किया जाता है। दूसरे जीव ऐसा नहीं कर सकते हैं ।उन्होने कहा कि भगवान कहते हैं कि बड़े भाग्य से मानव तन मिलता है। 84 लाख योनियों को पार करने के बाद मानव शरीर मिलता है। मानव योनि में आकर भी यदि हम भगवान का भजन नहीं करेंतो जीवन मैं निर्रथक हो जाता है । संसार में सभी प्रकार के वस्तु को प्राप्त करने के लिए हम कुछ परिश्रम करते हैं और उसे प्राप्त करते हैं ।लेकिन मनुष्य के शरीर को प्राप्त करने के लिए हम कोई उपाय नहीं करते हैं ।
उन्होंने बताया कि मनुष्य के शरीर को प्राप्त करने के जीवन में भजन, यज्ञ, सत्संग करना पड़ता है । कलयुग में दान ही उद्धार करता है रामायण के प्रसंग में उन्होने बताया कि सुग्रीव कहते हैं कि मनुष्य का जीवन सबसे श्रेष्ठ होता है । मनुष्य का जीवन पाने के लिए व्यक्ति भजन राम कथा श्रवण यदि नहीं करता है तो उसका कोई महत्व नहीं है। जैसे भोजन मैं लवण के बिना उसका कोई महत्व नहीं रहता है । मानव जीवन में भजन के बिना जीवन का कोई महत्व नहीं है। विंध्याचल से पधारे मानस महारथी ने माता सीता और महावीर हनुमान के बीच सुंदर प्रसंग की व्याख्या की । 10 दिवसीय इस सत्संग समारोह में देश के कोने-कोने से प्रसिद्ध संत अखिलेश मणी शांडिल्य, प्रिया प्रभाकर सहित कई प्रवचन दे रहे हैं। जिसे सुनने के लिए देर रात तक हजारों की संख्या मे श्रद्धालू भक्त उपस्थित हो रहे हैं ।