
संवाददाता
मुरलीगंज, मधेपुरा
मुरलीगंज/मधेपुरा/बिहार : मुरलीगंज प्रखंड के अंतर्गत जोरगामा पंचायत सरकार भवन समीप सरस्वती मंदिर में वसंत पंचमी के अवसर पर लगने वाले मेले का ऐतिहासिक महत्व हैं।
विदित हो कि यह मेला आस पास के क्षेत्र में लगने वाला एकमात्र प्राचीनतम मेला हैं। मेला कमिटि के अनुसार मेले का आयोजन दो-चार दिनों का होता है। लेकिन इस मेले में चहल-पहल व खरीद बिक्री तकरीबन 15 दिनों तक अनवरत जारी रहता हैं। मेले में मुख्य आकर्षण केंद्र ड्रेगन झूला, ब्रेक डांस झूला, नाव की सवारी, हाइट फॉल झूला, सर्कस, जादू घर व मौत का कुआं रहता है।
खरीदारी के दृष्टिकोण से यह मेला लकड़ियों के बनें सामान (फर्नीचर) के लिए विख्यात है। चूंकि मेला स्थल समीप पर यह कार्य बारहों महीना चलता रहता है। इस कारण यह सस्ता, सुलभ व मनपसंद आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है। आस पास के निकटतम गांवों में जैसे तमोट परसा, रहटा, भवानीपुर, लक्ष्मीपुर चंडीस्थान, गंगापुर, रघुनाथपुर, पड़वा नवटोल,केवटगामा, रामपुर सहित अन्य गांवों से भारी संख्या में श्रद्धालु अपने स्नेहीजनों, बच्चों, परिवार के साथ पहुंचकर मेले का आनंद लेते है और खरीदारी करते हैं।
यहां के सरस्वती मंदिर की मान्यता है कि वसंत पंचमी सरस्वती पूजा के अवसर पर लगने वाले ऐतिहासिक मेले में जो भी श्रृद्धालु आते हैं और सच्चे मन से जो मांगते हैं उनकी मन्नते मां सरस्वती आवश्य पूरी करती है । अन्य मेलो की तुलना में यह मेला काफी लंबे चौड़े क्षेत्रफल में लगाया जाता है। जिस कारण यह भव्यता का एहसास कराता है। साथ ही एसएच 91 के किनारे होने के कारण मेले की खूबसूरती को चार चांद लगना स्वाभाविक हैं।
इस आयोजन में शिक्षक सह समाजसेवी विवेक यादव, मिथिलेश कुमार आर्य, रामभजन यादव, सुजीत यादव, राजेन्द्र चौधरी, बबलू बवाली, मनोज मंडल, अभय कुमार सहित अन्य कईयों का सहयोग भरपूर रहता है।