BNMU : कुलपति को लिखे पत्र के चौबीस घंटे के अंदर विश्वविद्यालय ने वार्ता के लिए किया आमंत्रित, एक घंटे की मुलाकात विश्विद्यालय हित पर चर्चा

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मधेपुरा/बिहार(प्रेस विज्ञप्ति) : सोमवार को पूर्व छात्र नेता डॉ. हर्ष वर्धन सिंह राठौर द्वारा कुलपति को पत्र लिख शिक्षक, छात्र, कर्मचारी से जुड़े मुद्दों पर लगातार बढ़ रहे असंतोष के बीच संवाद हेतु अपने स्तर से पहल की मांग करने के चौबीस घंटे के अंदर कुलपति के निर्देश पर छात्र कल्याण पदाधिकारी प्रो अशोक सिंह ने संवाद स्थापित डॉ. राठौर को वार्ता के लिए आमंत्रित किया। बुधवार को छात्र कल्याण पदाधिकारी वेशम में लगभग एक घंटे तक चली वार्ता में विश्वविद्यालय से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर बिन्दुवार  चर्चा हुई।

वार्ता के दौरान छात्र कल्याण पदाधिकारी ने पूर्व छात्र नेता डॉ. राठौर से पूछा कि आप किस प्रकार की पहल की मांग करते हैं, जिसपर डॉ राठौर ने कहा वर्तमान समय में शिक्षक, छात्र, कर्मचारियों मे असंतोष व्याप्त है इनसे संवाद कर संबंधित मुद्दों पर उन्हें संतुष्ट किया जाए अथवा विश्वविद्यालय एक्शन में आए। क्यों कि कुछ महीनों में कभी शिक्षक, कर्मचारी तो कभी छात्रों के साथ घटी घटनाओं, दुर्व्यवहार से लगातार हो रही किरकिरी से भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय की छवि को धक्का लगा है। छात्र, शिक्षक, कर्मचारी को एक साथ लेकर चलने के बजाय इनमें फूट डालने और डर भर दिया गया है ऐसी चर्चा सड़कों पर सुनने को मिलती है।

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 छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों के साथ ले हो सामूहिक पहल : वार्ता के दौरान डॉक्टर राठौर ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षक, छात्र, कर्मचारी दहशत के दौर में जी रहे हैं, कहीं परीक्षा में छात्र द्वारा शिक्षक के साथ अमर्यादित आचरण, हाथापाई पर लगातार मांग के बाद भी छात्र पर कारवाई की जगह अतिरिक्त समय देना, बिना दोष के बीसीए के एक शिक्षक को पदमुक्त कर देना, दो महत्वपूर्ण कर्मचारियों की मृत्यु पर शोक सभा की पहल नहीं करना, सोशल मीडिया पर फजीहत और संगठन द्वारा मांग पर औपचारिक आयोजन, छात्र हित के मुद्दों पर आंदोलन करने वाले छात्र नेताओं को असामाजिक तत्व कहना और एफआईआर की धमकी देना, हर बात पर सस्पेंड करने, शोकाज करने, डिग्री रद्द करने की धमकी देना आदि उदाहरण है।

वार्ता के दौरान राठौर ने जोर देते हुए कहा कि कुलपति विश्वविद्यालय के अभिभावक हैं और उनके रहते गर ऐसा हो तो निसंदेह यह निंदनीय है। जरूरत है अभिभावक की भूमिका में आकर शिक्षक, छात्र,  कर्मचारी संगठनों को एक मंच पर आमंत्रित कर विश्वविद्यालय के विकास के संयुक पहल और उनकी समस्याओं के समाधान की जिससे विश्वविद्यालय में सकारात्मक माहौल बनने के साथ-साथ अनसुलझे दौर में एक बेहतर संबंध स्थापित हो सके ।

समस्याएं जटिल नहीं बस ईमानदार पहल जरूरी  : वार्ता के दौरान डॉक्टर हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि समस्याएं बहुत बड़ी नहीं है बस दिक्कत है कि उसके पहल में गंभीरता नहीं है,  मे आई हेल्प यू सेंटर, छात्रावास, निःशुल्क शिक्षा का पालन, जर्नल, स्मारिका का प्रकाशन, स्कॉलरशिप,  अवॉर्ड की शुरुआत, भूपेंद्र चेयर की स्थापना आंतरिक मद से हो, सीनेट, सिंडिकेट, छात्रसंघ चुनाव आदि जैसे मुद्दों को सुलझा कर शैक्षणिक परिवेश तैयार किया जा सकता है।

विश्वविद्यालय सकारात्मक पहल को तत्पर : वार्ता के दौरान छात्र कल्याण पदाधिकारी प्रो अशोक सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन सकारात्मक शैक्षणिक परिवेश को प्रतिबद्ध है इसी कड़ी में उनके पत्र पर त्वरित संज्ञान लेते हुए वार्ता को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस वार्ता से निकली बातों को वो कुलपति के समक्ष रखेंगे उम्मीद है वहां से इस दिशा में कारगर परिणाम सामने आएगी।

पहल नहीं होने पर विश्वविद्यालय बचाने की चलेगी मुहिम : जहां डॉक्टर राठौर ने बेहतर शैक्षणिक परिवेश के लिए संवाद और सामूहिक पहल की मांग की करते हुए कहा कि इस दिशा में अगर विश्वविद्यालय पहल करती है तो हरसंभव सहयोग किया जाएगा, दूसरी तरफ डॉक्टर राठौर ने विश्वविद्यालय प्रशासन को आगाह भी किया है कि शिक्षक, छात्र, कर्मचारी संगठनों को हल्के में लेने और इनमें फूट डाल विश्वविद्यालय नहीं चलने दिया जाएगा। सकारात्मक दिशा में पहल नहीं होने पर विश्वविद्यालय की कार्यशैली और कुव्यवस्था को लेकर छात्रों, आमजनों के साथ स्थानीय पक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को भी अवगत ही नहीं कराया जाएगा बल्कि व्यवस्था परिवर्तन की बड़ी मुहिम की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी और तब मुहिम कैंपस के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर भी व्यापक स्तर पर होगी और इसकी पूरी जवाबदेही विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी। विशेषकर विश्वविद्यालय की कुव्यवस्था और कार्यशैली के संबंध में बिंदुवार जिला प्रशासन को भी अवगत कराया जाएगा जिसे छात्र, शिक्षक, कर्मचारी आंदोलन के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन गुमराह करने का काम करती है। राठौर ने साफ शब्दों में कहा कि यह विश्वविद्यालय महज उच्च शिक्षा का परिसर नहीं है बल्कि इस क्षेत्र की वो पूंजी और धरोहर है जिसका संरक्षण और संवर्धन सामूहिक दायित्व है। इस बार हालात साफ हैं अगर विश्वविद्यालय सकारात्मक पहल करेगी तो सहयोग होगा अन्यथा बड़े आंदोलन की बुनियाद रखी जाएगी।


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