मधेपुरा/बिहार : राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी एवं भारतरत्न लाल बहादुर शास्त्री दोनों ने अपने विचारों एवं कार्यों से विश्व मानस पटल पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ा है। हम दोनों के विचारों को आत्मसात करें और उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने की कोशिश करें, यही उन दोनों के प्रति हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
यह बात बीएनएमयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) राजनाथ यादव ने कही। वे सोमवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित गाँधी-शास्त्री जयंती समारोह का उद्घाटन कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन 3/17 बिहार बटालियन एनसीसी, सहरसा एवं राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के संयुक्त तत्वावधान में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों मोड में किया गया। इसमें बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार, पटना द्वारा संचालित सेहत केंद्र का भी सहयोग प्राप्त हुआ।
सत्य एवं अहिंसा के प्रबल समर्थक थे गाँधी : कुलपति ने कहा कि महात्मा गाँधी सत्य एवं अहिंसा के प्रबल समर्थक एवं सफल प्रयोगकर्ता थे। उन्होंने अपने जीवन में बचपन से लेकर जीवनपर्यंत कभी भी सत्य एवं अहिंसा का दामन नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि गाँधी ने सत्य एवं अहिंसा पर आधारित सत्याग्रह रूपी अस्त्र के माध्यम से राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव की मुहिम चलाई। उन्होंने देश-दुनिया को राजनीतिक स्वराज के साथ-साथ सामाजिक सद्भाव एवं आर्थिक स्वावलंबन का भी रास्ता दिखाया। कुलपति ने कहा कि गाँधी ने दक्षिण अफ्रीका एवं भारत में कई सफल आंदोलन चलाए। इससे शोषित-पीड़ित लोगों में आशा एवं विश्वास का संचार किया। भारतीय राजनीति में गाँधी के प्रवेश के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में आम लोगों की भागीदारी बढ़ी। उनके नेतृत्व में चलाए गए चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह एवं भारत छोड़ो आंदोलन ने देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया।
शास्त्री ने स्थापित किए उच्च मापदंड : कुलपति ने कहा कि गाँधीवादी स्वतंत्रता सेनानी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री सादगी, ईमानदारी एवं दृढ़ता के प्रतीक थे। वे महज 16 वर्ष की उम्र में आजादी की लड़ाई में शामिल हुए और जीवनपर्यंत देश के स्वाभिमान की रक्षा के लिए समर्पित रहे। उन्होंने बताया कि लालबहादुर शास्त्री ने राजनीति में त्याग, सेवा एवं नैतिकता के उच्च मापदंड स्थापित किया। उन्होंने भारत के रेल मंत्री एवं गृह मंत्री के रूप में देश को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई और प्रधानमंत्री के रूप में भी अविस्मरणीय कार्य किया। उन्होंने बताया कि लालबहादुर शास्त्री सन् 1964 ई. में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। उस समय देश में भीषण आकाल पड़ा था और हम खाद्यान्न संकट से जूझ रहे थे। दूसरी ओर पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भी सन् 1965 में हम पर हमला कर दिया। ऐसे कठिन समय में लालबहादुर शास्त्री ने दूरदर्शिता एवं दृढ़ता से कार्य किया और देश को आंतरिक एवं बाह्य दोनों संकटों से सफलतापूर्वक बाहर निकाला।
प्रेरणादायी है ‘जय जवान जय किसान’ का नारा : कुलपति ने बताया कि लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया है, जो आज भी हमारे लिए प्रेरणादायी है। इस नारे ने पूरे भारत में एक नया जोश भर दिया। वीर जवानों के पराक्रम ने देश की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की ओर कर्मठ किसानों के परिश्रम ने देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया। आज भी देश को सुरक्षित रखने और इसे विकसित बनाने में हमारे जवान एवं किसान अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं।
गाँधी ने दिया आदर्श को व्यावहारिक रूप : मुख्य अतिथि डीएसडब्ल्यू प्रो. (डॉ.) राजकुमार सिंह ने कहा कि गाँधी संपूर्ण भारतीयता के प्रतीक हैं उनका नाम लेते ही संपूर्ण भारत की छवि हमारे सामने आ जाती है। उन्होंने कहा कि सत्य एवं अहिंसा सदियों से भारतीय सभ्यता-संस्कृति का आदर्श रहा है। लेकिन गाँधी ने इस आदर्श को अपने जीवन में व्यावहारिक रूप दिया और इसे सामाजिक एवं राजनीतिक प्रयोग में भी सफल बनाया।
गाँधी ने दिया है सत्याग्रह का संदेश : उन्होंने कहा कि गाँधी ने हमें सत्याग्रह का संदेश दिया है। इसमें घृणा का मुकाबला प्रेम से, हिंसा का मुकाबला अहिंसा से और शरीरबल का मुकाबला आत्मबल से किया जाता है। जिसके पास आत्मबल होता है, वह कभी पराजित नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि कहा कि लाल बहादुर शास्त्री सही मायने में गाँधीवादी संत थे। उन्होंने गांधी की सच्चाई, सादगी एवं ईमानदारी को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया था।
महापुरुषों के विचारों से युवाओं का परिचय आवश्यक : कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि गाँधी एवं शास्त्री जैसे महापुरुषों के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। युवा पीढ़ी को इन महापुरुषों के विचारों से परिचय कराना आवश्यक है।
गाँधी एवं शास्त्री के चित्र पर पुष्पांजलि : कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों ने गाँधी एवं शास्त्री के चित्र पर पुष्पांजलि किया। विधिवत दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। संचालन उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर और धन्यवाद ज्ञापन गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्डू कुमार ने किया। तकनीकी पक्ष दर्शनशास्त्र विभाग के शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान एवं जंतु विज्ञान विभाग के शोधार्थी मनीष कुमार ने संभाला। कार्यक्रम के आयोजन में एसयूओ गौरव कुमार, शैलेन्द्र कुमार, नीतू कुमारी एवं अंकित कुमार ने सहयोग किया।
इस अवसर पर राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी सारंग तनय, डॉ. दिलीप यादव, अमन, प्रिया, वाणी, खुशी, काजल, आनु, श्रुति, शिम्पी, गोलू, चुनचुन, पूजा, नीति राज, नीतीश, आनंद, आशीष, भगत यादव, विनोदनंदन ठाकुर, बिट्टू कुमार, चंद्र प्रकाश, राहुल, बृजनंदन कुमार, क्रेजी कुमार, धीरज, हरेराम कुमार, ज्योति मौर्य, आचार्य कुमार, प्रिंस ठाकुर, मनीष यादव, मुकेश यादव, मो. अब्दुल रहमान, मिथिलेश, मिट्ठू कुमार, प्रिंस राज, रामानुज, रवि, राज यादव, सतीश, सोनी, प्रिंस, आरजू, मोनू, बाबूल, आदित्य, अमित, सत्यम, राजू कुमार, अमरदीप कुमार, अमृत राज, रोहन कुमार, अभिनव कुमार, शिवम् कुमार, कृष्णनदेव कुमार, रमाकांत कुमार, राहुल कुमार, अभिनय कुमार, बाबू, निक्की भारती, विशाल, भुवन, कौशल, अंकेश कुमार, गणेश कुमार, संजीत, अभिषेक, मनोहरलाल साह, राजनंदन, राजीव, अभिनव, जय, बिट्टू, रामशंकर, विवेकानंद, केशव कुमार, दिलखुश, धीरज, सुनील कुमार, शिवशंकर, संतोष, रविशंकर सतीश आदि उपस्थित थे।