बीएड को बीएनएमयू ने बना दिया है विवादों का अखाड़ा, कुलसचिव का कुलपति को तरजीह नहीं दिया जाना शर्मनाक-राठौर

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मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू में एक बार फिर बीएड नामांकन में धांधली से हो रही विश्वविद्यालय की किरकिरी सुर्खियों में है, रोज कोई न कोई नए खुलासे होते जा रहे हैं। हाल में नामांकन में धांधली का मामला आर एम कॉलेज का सामने आया है जिसपर वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य सह एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने संज्ञान लेते हुए संगठन की ओर से कड़ी नाराजगी जताई है और कुलपति को पत्र लिख कारगर कदम उठाने की मांग की है।

सोमवार को कुलपति को लिखे पत्र में राठौर ने कहा है कि यह दुखद है कि बीएड प्रकरण में लगातार फजीहत व कोर्ट से दंडित होने के बाद भी सिख नहीं ली जा रही और धांधली और बढ़ती ही जा रही। हाई कोर्ट द्वारा केस संख्या 5526/21 में विश्वविद्यालय की साख तारतार हुई एवम् हर बिंदु पर विश्वविद्यालय की गलती साबित होने पर पांच लाख का जुर्बाना कोर्ट ने लगाया था जिससे राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी झेलनी पड़ी थी लेकिन दुखद है कि विश्वविद्यालय उससे सीख नहीं ले सका आर एम कॉलेज का मामला बीएनएमयू के प्रसाशनिक व्यवस्था पर तमाचा है।

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वहीं राठौर ने विश्वविद्यालय द्वारा मामला सामने आते ही संबंधित विभाग के हेड को प्रशासनिक जिम्मेदारी से मुक्त करने के फैसले को भी सवालों के घेरे में लिया है और कहा है कि कोर्ट व सिंडिकेट द्वारा गठित जांच टीम द्वारा दोषी करार होने के बाद भी बीएनएमयू मुख्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्षों पर एक साल बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया, आखिर मुख्यालय के विभागाध्यक्षों द्वारा ऐसी कौन सी सेवादान होती है जिससे उन पर करवाई नहीं होती। आर एम कॉलेज सहरसा मामले में विश्वविद्यालय द्वारा बनाई जांच कमिटी को हास्यास्पद बताते राठौर ने कहा कि पहले पुरानी जांच कमिटी की रिपोर्ट पर कारवाई भी तो कर लिया करें।

 शिक्षा शास्त्र विभाग की संचालन समिति बन गया मुखौटा :  राठौर ने बीएनएमयू मुख्यालय शिक्षा शास्त्र विभाग की संचालन समिति पर भी कई सवाल खड़े किए हैं । लिखे पत्र में उन्होंने बीएनएमयू मुख्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के संचालन समिति की गतिविधि पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि संचालन समिति की लचर कार्यशैली के कारण विभाग का विकासचक्र मानों थम सा गया है, हालात यहां तक पहुँच गया है कि स्वपोषित विभाग होने के बाद भी शिक्षकों को कई महीनों से वेतन तक नहीं मिला है और दूसरी ओर बीएड के शिक्षकों का वेतन बढ़ा दिया गया है और एम एड का नहीं जिसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है। विश्वस्त सूत्रों के आधार पर राठौर ने कहा कि अब परिसर की व्यवस्था इतनी लचर हो गई है कि शिक्षा शास्त्र से जुड़ी बैठकों के लिए कुलपति इंतजार करते रहते हैं और कुलसचिव नहीं आते जिससे बैठक कैंसिल करनी पड़ती है विगत तीन चार तारीख निर्धारित होने पर भी बैठक नहीं हो पाना इसका प्रमाण है। ऐसे हालात से विभाग के विकास पर मानों ग्रहण सा लग गया है। पत्र में राठौर ने कुलपति को यह भी आगाह किया है कि जल्द ही और धांधली का काला चिट्ठा सामने लाया जायेगा।


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