मधेपुरा/बिहार (प्रेस विज्ञप्ति) : बीएनएमयू के 31 वीं स्थापना दिवस पर एक ओर औपचारिक आयोजन और दूसरी तरफ विभिन्न समाचार पत्रों में राष्ट्रीय फलक पर पहचान बनाने की ख़बर पर वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आश्चर्य व्यक्त करते हुए इसे आधारहीन कल्पना करार दिया।
जारी प्रेस विज्ञप्ति में एआईएसएफ प्रभारी राठौर ने स्थापना दिवस पर शिक्षक, छात्र कर्मचारियों को बधाई देते हुए बीएनएमयू को इस क्षेत्र का धरोहर बताया, वहीं कहा कि राष्ट्रीय फलक पर पहचान रूपी ऊंचाई की सोच अच्छी है लेकिन उसके लिए जमीनी आधार भी होना चाहिए। तीन दशक बाद भी समय पर नामांकन, परीक्षा व परिणाम जहां आज तक पहुंच से दूर रहा वहीं छात्रों के रहने के लिए बॉयज अथवा गर्ल्स हॉस्टल, कैंटीन, जिम, स्वास्थ्य केंद्र जैसी जमीनी जरूरत अब तक शुरू नहीं हो पाया, वहीं छात्रों की सबसे बड़ी जरूरत पुस्तकालय सिर्फ नाम का पुस्तकालय है जिसमे स्तरीय पुस्तकों का अभाव के साथ हिंदी को छोड़ जहां किसी दुसरी भाषा का पेपर नहीं आता और मैगजीन की तो बात ही दूर है। तीन दशक में विश्वविद्यालय में अपनी पत्रिका या जर्नल प्रकाशित नहीं करा सका उल्टे पहले से प्रकाशित हो रहे स्मारिका भी अब प्रकाशित नहीं होती।
राठौर ने कहा कि बीएनएमयू बयानों के सहारे नहीं बल्कि जमीनी काम से आगे बढ़ेगा जिसका घोर अभाव है। विश्वविद्यालय की कार्यशिली पर सवाल खड़ा करते राठौर ने कहा स्थापना से आज तक शैक्षणिक बिंदुओं पर एक भी सीनेट नहीं कराने, मात्र एक छात्र संघ चुनाव, चार दीक्षांत समारोह के आयोजन व दूसरी ओर विगत कुछ वर्षों में बीएड व लॉ कॉलेज की मान्यता रद्द होने जैसी घटनाओं व बीएड के बहुचर्चित मामले में उच्च न्यायालय से दोषी करार होते पांच लाख के फाइन लगने, 28 साल से लॉस ऑफ एग्जाम फीस का दावा नहीं करने से बीएनएमयू को हुए करोड़ों की आर्थिक क्षति, फर्जी राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय सेमिनारों की बाढ़ से क्या बीएनएमयू राष्ट्रीय फलक पर स्थापित होगी । हकीकत तो यहां तक है कि परिसर में शिक्षा, सुरक्षा, व्यव्स्था में जमीनी स्तर पर भी हालात यह है कि छात्रों को समय पर डिग्री, शिक्षक कर्मचारी को वेतन तक के लिए संघर्ष करना पड़ता है। एआईएसएफ नेता राठौर ने अपील किया कि जमीनी स्तर पर मूल कामों को करने की पहल हो जिससे सच में बीएनएमयू अपने स्थापना के उद्देश्य को प्राप्त करते हुए वास्तव में राष्ट्रीय फलक पर पहचान स्थापित कर सके। एआईएसएफ की ओर से राठौर ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर बयानों व जमीनी हकीकत में एक रुपता नहीं लाई गई तो संगठन विवश होकर खबरों के संकलन व जमीनी वस्तु स्थिति को एकत्रित कर आम लोगों के बीच जाएगा।