हजरत अमीर शरीयत ने मुसलमानों भी से अपील की है कि वे ऐसा कोई अनुचित कदम न उठाएं जिससे उनकी जान और माल को क्षति पहुंचे, बल्कि कानून के दायरे में लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज बुलंद करने की मांग सरकार से करें
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प्रेस रिलीज : अमीर शरीयत बिहार ओड़ीशा एवं झारखंड हज़रत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने 11 जून को रांची में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की क्रूरतापूर्वक कार्रवाई और देश के अन्य हिस्सों में पैगंबर मुहम्मद सल्लाल्लाहो अलैहि वसल्लम के विरुद्ध निंदनीय तथा अभद्र टिप्पणी करने वालों के विरुद्ध अपनी नाराजगी तथा दुख व पीड़ा व्यक्त करने के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे नौजवानों पर पुलिस द्वारा एकतरफा और अन्यायपूर्ण कार्रवाई पर नाराजगी व्यक्त की है।
हजरत अमीरे शरीयत ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने और अपना दुख व्यक्त करने और सरकार के सामने अपनी मांग रखने का कानूनी और संवैधानिक अधिकार है और यह सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह प्रदर्शनकारियों की रक्षा करे, उन्हें सुरक्षा प्रदान करे और शांतिपूर्ण प्रदर्शन सुनिश्चित करें । यह सुनिश्चित करना पुलिस की जिम्मेदारी है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर कहीं से पथराव न हो, गोली न चले, उन की जान को कोई नुकसान न हो तथा किसी प्रकार से उन उकसाया न जाए। लेकिन देखने में आया है कि पुलिस अपना फर्ज नहीं निभा रही बल्कि एकतरफा कार्रवाई कर रही है। जिस तरह से प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई जा रही है, यह चलन देश के लोकतंत्र और उसके भविष्य के लिए बेहद खतरनाक होगा।
अमीर शरीयत ने कहा कि प्रदर्शन का जो वीडियो सामने आया है उसमें साफ दिख रहा है कि प्रदर्शनकारियों पर पहले पथराव किया गया और दूसरी तरफ से गोली चलाई गई, जिसके बाद प्रदर्शनकारी भड़क गए। लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पथराव और फाइरिंग को रोकने के बजाए ,उल्टा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ही फायरिंग शुरू कर दी। प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने जो किया वह बिल्कुल अवैध है। ऐसे मौकों पर पुलिस आंसू गैस, वाटर कैनन या रबर की गोलियों का इस्तेमाल करती है, लेकिन इस मामले में पुलिस ने सीधे फायरिंग कर अपनी घिनौनी मानसिकता को साबित कर दिया है।
हजरत अमीर शरीयत ने आगे कहा कि सरकार को यह भी सोचना चाहिए कि ये प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं, ये आवाज क्यों उठ रही है। भारतीय कानून किसी भी धर्म के पवित्र व्यक्ति का सम्मान करता है और उनका अपमान करने को दंडनीय अपराध करार देता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 153, 295 और 505 में ऐसे व्यक्तियों के लिए दंड का प्रावधान है। सरकार को इन प्रावधानों के तहत दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। लेकिन सरकार ने कार्रवाई करने के बजाय उन्हें उल्टा पुलिस सुरक्षा मुहैया करा दी ।
सरकार की इस कार्रवाई से पूरे मुस्लिम वर्ग को बड़ी पीड़ा हुई है और एक लोकतांत्रिक देश में अपने दर्द और दुख को व्यक्त करने का तरीका विरोध प्रदर्शन करना भी है। अगर सरकार इतना भी नहीं करने देगी और उन की भावनाओं और पीड़ा को निकलने नहीं देगी तो प्रतिक्रिया और भी भयावह हो सकती है, इसलिए प्रदर्शनकारियों की आवाज को दबाने की कोशिश न करें। अगर यह लावा अंदर-अंदर पकता रहा तो इस का परिणाम खतरनाक हो सकता है। हमारे अन्य देशवासियों को भी हमारे दुख और दर्द का एहसास होना चाहिए कि इस्लाम के पैगंबर का व्यक्तित्व पूरी मानवजाति के लिए दया और करुणा का प्रतीक है । वह हम सभी के लिए कितने पवित्र, आदरणीय और सम्मान का पात्र हैं। उनके बारे में अपमानजनक शब्द हमारे दिलों को कितना आहत कर सकते हैं। इसलिए, मैं सभी शान्तिप्रिय देशवासीयों और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और धर्मनिरपेक्ष छवि पर भरोसा रखने वाले लोगों से अपील करता हूं कि सरकार से मांग करें कि इस्लाम के पैगंबर(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म के पवित्र हस्तियों के विरुद्ध अभद्र तथा अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने तथा उस धर्म के मानने वाले लोगों को मानसिक तथा हार्दिक दुख देने की हिम्मत न करे।
उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में प्रशासन की मंशा बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि रांची के मामले में जब इमारत शरिया ने लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए उन से बात कर के स्थिति को नियंत्रित करने तथा घायलों एवं उन के परिजनों से मिल कर उन को ढाड़स बंधाने तथा उनके उपचार व्यवस्था को देखने तथा उचित देखभाल को सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहा तो प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिली और उन्हें घायलों या उनके माता-पिता से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। इससे पता चलता है कि प्रशासन कुछ ऐसे लोगों की साजिश का शिकार है जो शांति नहीं चाहते और वातावरण को बिगड़ा हुआ ही देखना चाहते हैं।
इसलिए इमारत शरिया केंद्र सरकार तथा झारखंड सरकार से मांग करती है कि जो लोग शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं, उनकी जल्द से जल्द पहचान करें और उन पर सख्त कार्रवाई करें। उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्होंने अपना कर्तव्य नहीं निभाया और अवैध रूप से प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं।
हजरत अमीर शरीयत ने मुसलमानों भी से अपील की है कि वे ऐसा कोई अनुचित कदम न उठाएं जिससे उनकी जान और माल को क्षति पहुंचे, बल्कि कानून के दायरे में लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज बुलंद करने की मांग सरकार से करें।