किराए मुसहर ने समाजवाद की परिभाषा को कर दिया था चरितार्थ, मधेपुरा को अपने लाडले पर नाज-डॉ मंसूरी, आजाद भारत की पहली संसद में बिहार के पहले दलित सांसद के काम को संग्रहित करने की जरूरत-शम्भु क्रांति
मधेपुरा/बिहार : कोसी के प्रथम तथा बिहार के पहले दलित सांसद स्मृति शेष किराए मुसहर की 59 वीं पुण्यतिथि उनके गांव मुरहो में उनके चिन्हित समाधि स्थल पर वाम छात्र संगठन एआईएसएफ की बीएनएमयू इकाई द्वारा मनाया गया। संगठन के राज्य परिषद् सदस्य सौरभ कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में सबसे पहले अतिथियों संग संगठन के सदस्यों, प्रथम सांसद के परिजनों सहित ग्रामीणों ने उनके चिन्हित समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।
इस अवसर पर संगठन के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य सह बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि किराए मुसहर खुद में समाजवाद की परिभाषा थे, समाजवाद के सर्वश्रेष्ठ हस्ताक्षर डॉ लोहिया ने संसद में उनके निधन पर उन्हें नमन करते हुए उन्हें जन्मजात समाजवादी और अपना अभिन्न मित्र कह कर उनका और इस धरती का मान बढ़ाया था। वोट बैंक के केंद्र नहीं होने के कारण इस क्षेत्र के प्रथम सांसद का परिवार गुमनामी में दयनीय स्थिति के साएं में जीने को विवश है। एआईएसएफ की बीएनएमयू इकाई उनके परिजनों के स्वप्न की किराए बाबू का समाधि स्थल बनें को पूरा करने के साथ साथ उनके परिवार को विभिन्न स्तरों पर सहयोग प्रदान करने को संकल्पित है।
एआईवाईएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य शम्भु क्रांति ने कहा कि आजाद भारत के पहली संसद में बिहार के प्रथम दलित सांसद के कार्यों को संग्रहित करने की दिशा में वाम छात्र व युवा संगठन योजनाबद्ध तरीके से पहल करेगी। उन्होंने कहा कि आज के दौर में किराए मुसहर जैसे लोगों को आगे बढ़ाने की जरूरत है जिससे लोकतंत्र की जड़े ही मजबूत न हो बल्कि समाजवाद अपनी दिशाहीन परिभाषा को सुधार भी सके।
पसमन्दा बहुजन चिंतक डॉ फिरोज मंसूरी ने इस अवसर पर कहा कि आज जब समाजवाद खुद समाज में अपनी परिभाषा को तलाश रहा है, तब सूबे के पहले दलित सांसद को याद करना बहुत जरूरी हो जाता है। डॉ रॉबिंस कुमार ने कहा कि किराए बाबू जैसे लोग अतीत के वो खूबसूरत पन्ने हैं जिसको पलटने पर वर्तमान को इतराने का मौका मिलता है साथ ही भविष्य कि योजना को बल भी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संगठन के राज्य परिषद् सदस्य सौरभ कुमार ने कहा कि संगठन विगत वर्ष के 18 नवम्बर से ही इस वर्ष को किराए मुसहर की शताब्दी जयंती के रूप में मना रहा है जिसके अन्तर्गत कई कार्यक्रम किए गए और कई प्रस्तावित है। अपनों के बीच ही अंजान हुए किराए मुसहर को जीवंत करना और उनके कार्यों व विचारों को जन जन तक ले जाना संगठन का उद्देश्य बन चुका है। संगठन आगे भी ऐसे गुमनाम धरोहरों को तलाश समाज को प्रेरित करने व अतीत से वर्तमान को जोड़ने की पहल करेगा। धन्यवाद ज्ञापन प्रथम सांसद की पुत्रवधू राम लक्ष्मी देवी ने किया.
वहीं इस अवसर पर जय नारायण ऋषिदेव, गजेन्द्र ऋषिदेव, सिबालक ऋषिदेव, कामेश्वर ऋषिदेव, सहदेव ऋषिदेव, गुल्लो ऋषिदेव, मुन्नी देवी, धनिया देवी, पायल देवी बड़ी संख्या में ग्रामीण पुरुष, महिला व बच्चे उपस्थित थे। इस अवसर पर बच्चों के बीच टॉफी का वितरण भी किया गया।