मधेपुरा/बिहार : जिले में कोरोना संक्रमण की रफ्तार जिस तेजी से बढ़ रही है, उतनी ही गति से स्वास्थ्य सेवायें लड़खड़ाने लगी है. वहीं कोरोना जांच कराने में लोगों की सांस फूल रही है. सदर अस्पताल में सुबह से आठ बजे से ही लंबी लाइन लगनी शुरू हो जाती है, जो दोपहर बाद तक भी नहीं खत्म होती है. लोगों को धूप में करीब चार घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है. इसके बाद भी कई लोगों को जांच नहीं होने पर निराश लौटना पड़ता है. बुधवार को भी सदर अस्पताल परिसर में हो रहे कोरोना जांच का यही हाल रहा. लोग लंबी लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे. बावजूद इसके सुबह आठ बजे से दोपहर के दो बजे तक मात्र 118 लोगों की ही कोरोना जांच हो पाई. यहां आरटीपीसीआर एवं एंटीजन दोनों जांच हो रही है. आरटीपीसीआर की जांच रिपोर्ट आने में भी थोड़ा समय लग रहा है.
परेशान होकर जांच कराए बगैर लोग लौट रहे हैं घर : सदर अस्पताल के परिसर में मात्र एक ही जगह कोरोना जांच किया जा रहा है. वहां भी आरटीपीसीआर एवं एंटीजन दोनों जांच हो रहा है. साथ ही जांच के लिए एक ही काउंटर बनाया गया है. यह काउंटर सदर अस्पताल के अर्ध निर्मित ट्रामा सेंटर के बरामदे पर चल रहा है. जहां जांच कराने पहुंचे लोगों को बाहर धूप में घंटों इंतजार करना पड़ता है. घंटों धूप में इंतजार करने के बाद कई लोग बेबस होकर वापस घर चले जाते हैं तो कई लोग परेशानी का सामना करते हुए जांच करा पाते हैं. जो लोग वापस घर चल चले जाते हैं, उनमें से अगर कोई पॉजिटिव पाया जाता है, तो संक्रमण बढ़ने की संभावना हो जायेगी. लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन लोगों की समस्याओं पर ध्यान देते हुए ऐसे स्थान पर जांच करायें, जहां धूप से बचा जा सके.
एक घंटे तक जांच स्थल पर होती रही कर्मी व लोगों में बहस : जांच में देरी होने का दूसरा कारण यह भी है कि जांच कर रहे कर्मी अपनी परिचितों का पहले जांच करने लगते हैं. जब लोगों द्वारा नियम एवं लाइन में खड़े लोगों का जांच करने को कहा जाता है तो जांच कर रहे कर्मी द्वारा सदर अस्पताल के कर्मी होने का हवाला दिया जाता है. जिसके बाद लोगों द्वारा जांच होने वाले व्यक्ति का परिचय पत्र मांगा जाता है तो मौजूद कर्मी गुस्से से पूछने वाले व्यक्ति से बहस करने लगती है और उनके द्वारा कहा जाता है कि मेरा समय दो बजे तक है, उसके बाद मैं किसी की भी जांच करूं, वह मेरी मर्जी है. साथ ही यह भी कहा जाता है कि दूसरे शिफ्ट वाली कर्मी जब आयेगी, तब जांच होगा. जिसके आधे घंटे के बाद 2:30 बजे दूसरे शिफ्ट की कर्मी जांच स्थल पर पहुंची और जांच शुरू हुआ.
संक्रमितों के संपर्क में आने का बढ़ जाता है खतरा : एक ओर संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है तो दूसरी ओर स्वास्थ्य सेवाओं में कमी से लोगों रोष बढ़ रहा है. लोगों का कहना है कि ऐसे में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को जांच के लिए अतिरिक्त काउंटर बनाने चाहिये, ताकि सहूलत मिल सके. लोगों का कहना है कि जितना खतरा अन्य जगहों पर नहीं है. उससे दोगुना खतरा सदर अस्पताल में जांच कराने के दौरान रहता है. घंटों लाइन में खड़े होने से तबीयत बिगड़ने और संक्रमितों के संपर्क में आने का खतरा बढ़ जाता है. इसके बावजूद भी अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.
रिपोर्ट के लिए करनी पड़ रही है मशक्कत : कोरोना जांच कराने में तो लोगों को दिक्कत हो रही है. साथ ही रिपोर्ट के लिए भी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट मिलने में करीब चार से पांच दिन का समय लग रहा है. ऐसे में संदिग्धों से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. जब तक रिपोर्ट नहीं मिलती है, तब तक कोई खुद को मरीज नहीं मानता है। इससे स्थिति और भी गंभीर हो जाती है. हालांकि सदर अस्पताल जल्द व्यवस्थाओं को सुधारने का दम भर रहा है.
बिना पीपीई किट व ग्लब्स पहने हो रहा है कोरोना जांच : लोगों को कोरोना से संबंधित सलाह देने वाले सदर अस्पताल के कर्मी ही कोरोना नियमों का उल्लंघन करते नजर आ रहे हैं. बुधवार को सदर अस्पताल के परिसर में कोरोना जांच के दौरान, जांच कर रही महिला कर्मी कि जब अपनी जांच की बारी आई तो उसने दूसरे कर्मी को सैंपल लेने को कहा. वहां मौजूद दूसरा कर्मी जो ना तो ग्लब्स पहना था और ना ही पीपीई किट पहना हुआ था, उसने वहां मौजूद सभी लोगों के सामने उस महिला स्वास्थ्य कर्मी का सैंपल लिया. अब सवाल यह उठता है कि जब सलाह देने वाले ही लोगों के सामने गलत करेंगे तो आम लोगों क्या करेंगे.