मधेपुरा में नये कृषि कानून के खिलाफ रेल रोको आंदोलन

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फ़ोटो : दौरम मधेपुरा रेलवे स्टेशन के रेल पटरी पर प्रदर्शन करते वामदल एवं राजद के कार्यकर्ता
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मधेपुरा/बिहार : ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर नये कृषि कानून के खिलाफ रेल रोको आंदोलन के मद्देनजर गुरुवार को दौरम मधेपुरा रेलवे स्टेशन के रेल पटरी पर वामदल एवं राजद के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने स्टेशन अधीक्षक को मांगों का स्मार पत्र सौंपा.

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि तीन कृषि कानून, किसान विरोधी एवं देश विरोधी कानून है. इस कानून से खेती एवं किसानी कॉरपोरेट का गुलाम बनकर रह जायेगा. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार को हर हाल में यह काला कृषि कानून वापस लेना होगा, नहीं तो देश में किसान आंदोलन तेज एवं उग्र होंगे. राजद के वरीय नेता रामकृष्ण यादव ने कहा कि हम किसानों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं करेंगे. किसान इस देश के भगवान हैं एवं अन्नदाता हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के विरुद्ध कोई भी कानून को देश की जनता स्वीकार करने को तैयार नहीं है.

मौके पर सीपीआई के जिला मंत्री विद्याधर मुखिया ने कहा कि यह कानून पूरी तरह से कॉरपोरेट प्रस्त कानून है. सरकार सुनियोजित रूप से कुछ कॉरपोरेट घराना को लाभ पहुंचाने के लिए एवं देश के कृषि व्यवस्था को चौपट करने के लिए यह कानून लाई है. जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. राजद किसान प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष प्रकाश पिंटू ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने के बाद कृषि को बेचने पर आतुर है. किसान नेता मुकुंद प्रसाद यादव ने कहा कि जो सरकार किसानों की अनदेखी करेगी, वह हिंदुस्तान पर राज नहीं कर सकती है. माकपा के युवा नेता विमल विद्रोही ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार काला कानून वापस ले एवं स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को लागू करे. एआईएसएफ के जिलाध्यक्ष वसीम उद्दीन उर्फ नन्हे ने कहा केंद्र की सरकार एमएसपी कानून बना दे एवं किसानों का ऋण माफ करें. किसान नेता वीरेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि इस कानून के लागू होने से देश में खाद्य सुरक्षा के सामने संकट पैदा हो जायेगा एवं भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी.

आंदोलन में युवा किसान नेता रफी अहमद, सनाउल्लाह, मन्नू यादव, इसाद, सुरेंद्र यादव, विपिन यादव, अशोक कुमार, मनोज राम, गजेंद्र ऋषिदेव, सुखदेव दास आदि किसान नेता शामिल थे.

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

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