आशीष आनंद अमर रहे के नारे से गूंज उठा पूरा सुखासन गांव, पिता ने कहा- मेरा बेटा मरा नहीं, अमर हो गया

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : चंड़ीगढ़ के कैथल-असंध मार्ग पर गांव नरवल के पास कैंटर व कार की भिड़ंत में मौत के बाद बीएसएफ के जवान आशीष कुमार आनंद का पुरे सैन्य सम्मान के साथ बुधवार को उनके पैत्रिक गांव सदर प्रखंड के सुखासन में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार से पूर्व बीएसएफ के जवान आशीष आनंद का पार्थिव शरीर को लेकर लोगों ने शहर में श्रद्धांजलि सर यात्रा निकाला। आशीष आनंद का पार्थिव शरीर जिला मुख्यालय के कॉलेज चौक पहुंचने से पूर्व तिरंगे में लिपटे अपने वीर जवान आशीष आनंद की झलक पाने के लिए लोग इंतजार में थे। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर कॉलेज चौक पहुंचा तो सबों की आंखें नम हो गयी। लोग अपने गांव के वीर की अंतिम झलक पाने के लिए उत्सुक थे।

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दर्शन के लिए सुबह पांच बजे ही पहुंच गए थे कॉलेज चौक : कई वर्षों के बाद पहली बार जवान आशीष आनंद की झलक पाने के लिए इतनी भीड़ देखी गई, आंखें सबकी नम थीं। जवान आशीष आनंद के अंतिम दर्शन के लिए बुधवार को जिला मुख्यालय के कॉलेज चौक से लेकर उनके पैतृक गांव सुखासन तक एवं जहां आशीष आनंद का अंतिम संस्कार किया गया, वहां पर भी लोग उमड़ पड़े। लोगों में देशभक्ति के प्रति जज्बा देखते ही बन रहा था। हजारों-हजार की संख्या में लोग आशीष आनंद के दर्शन के लिए सुबह पांच बजे से ही कॉलेज चौक पहुंच गए थे। जवान आशीष आनंद का शव जैसे ही कॉलेज चौक पहुंचा तो भारत माता की जय एवं आशीष आनंद अमर रहे के नारे गूंजने लगे। सुखासन गांव सहित आसपास के गांव के लोग भी काफी संख्या में पहुंचे थे।

आशीष को श्रद्धांजलि देने के लिए मधेपुरा लोकसभा के सांसद दिनेश चंद्र यादव, सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी आर्य गौतम, सदर थानाध्यक्ष सुरेश प्रसाद सिंह, फिरोजपुर में बीएसएफ में तैनात एएसआई (आरएम) केबी चौधरी, जदयू नेता प्रो सत्यजीत यादव के अलावा कई जन प्रतिनिधि व अधिकारी ने अपना श्रधासुमन अर्पित किया और परिजनों को सांत्वना दिया। जिसके बाद जवान आशीष का अंतिम संस्कार किया गया।

कैंटर व कार की भिड़ंत में बीएसएफ के जवान आशीष की हुई मौत : मालूम हो कि कैंटर व कार की भिड़ंत में बीएसएफ के जवान आशीष कुमार आनंद, उसकी पत्नी व बेटी की मौत हो गई। हादसे में कार चालक गंभीर रूप से घायल है, जिसे डॉक्टरों ने पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया था। हादसा रविवार शाम को कैथल-असंध मार्ग पर गांव नरवल के पास हुआ। मृतक जवान आशीष कुमार आनंद  बीएसएफ में पंजाब के फिरोजपुर में तैनात था। छठ पूजा पर आशीष छुट्टी लेकर गांव आया हुआ था। छुट्टियां पूरी होने के बाद रविवार को पत्नी सोनी व बेटी हंसिका के साथ कार में फिरोजपुर लौट रहा था। कार को पंजाब के कपूरथला निवासी उत्तम नारंग चला रहा था। जब वे राजौंद के नजदीक पहुंचे तो तेज गति व लापरवाही से आ रहे कैंटर ने कार को बाएं साइड में टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार एक साइड से बुरी तरह क्षतिग्रस्त होकर पीछे से पेड़ से जा टकराई। हादसे में आशीष, उसकी पत्नी व बेटी की मौत हो गई। मृतक जवान आशीष आनंद अपने पिता अवधेश सिंह का इकलौता पुत्र था।

शव पहुंचते ही पूरा माहौल हो उठा गमगीन : बीएसएफ के जवान आशीष आनंद का पार्थिव शरीर बुधवार की सुबह करीब 10 बजे उनके पैतृक गांव सदर प्रखंड के सुखासन गांव लाया गया. शव पहुंचते ही पूरा माहौल गमगीन हो उठा। अंतिम संस्कार दिन के लगभग 12 बजे किया गया। वहीं उनका पार्थिव शरीर कॉलेज चौक पर सुबह 8:30 बजे पहुंची, लेकिन लोग उससे पहले ही कॉलेज चौक एवं अंतिम संस्कार स्थल पर जुट गए थे। अंतिम संस्कार के लिए सुखासन खेल मैदान के दूसरी तरफ का स्थान तय किया गया था। तीनों पार्थिव शरीर को लाते ही पहले उनके घर ले जाया गया ताकि परिजन अपने लाड़ले को अंतिम बार देख सकें। जवान का शव जैसे ही सुखासन के खेल मैदान पर लाया गया तो  भारत माता की जय एवं ऑफिस आनंद अमर रहे के नारे से पूरा सुखासन गांव गूंजने लगा ।

एक साथ तीन शव देख घर में मची चीख-पुकार : जवान आशीष आनंद, सोनी व बेटी हंसिका का पार्थिव शरीर को जैसे ही उनके घर लाया गया तो आशीष की मां उषा देवी, बहन मनीषा एवं अन्य परिजन उससे लिपट गईं। एक घर के आंगन में एक साथ तीन पार्थिव शरीर को देख घर में चीख-पुकार मच गई, उनके आंसू थम नहीं रहे थे, जब तक पार्थिव शरीर घर में था, वे उससे लिपटी रहीं। इस दौरान आशीष के कई परिजन बेसुध होकर नीचे गिर पड़े। मां-पिता का एकलौता बेटा, एक बहन का इकलौता भाई आशीष आनंद एवं उनकी पत्नी तथा पुत्री का शव को देख परिवार में सबकी हालत बिगड़ गई। बहन एवं अन्य परिजनों की चीख पुकार से सबकी आंखें नम हो उठी।

आशीष मरा नहीं, बल्कि हुआ है अमर: जवान आशीष आनंद के पिता अवधेश सिंह एवं माता उषा देवी अपने पुत्र की मौत पर अपने आंसुओं को छिपाते हुए कहा कि बेटे के मौत होने पर हमें तनिक भी अफ़सोस नहीं है, वह देश के लिए काम करता था, मुझे अपने बेटे पर गर्व है। उन्होंने कहा कि भगवान ऐसा बेटा हर मां को दे जो देश सेवा के लिए समर्पित हो। मां-पिता ने कहा कि उनका बेटा मरा नहीं है, बल्कि अमर हो गया है। वहीं आशीष के दोस्तों ने कहा कि आशीष बीएसएफ में भर्ती होने से पूर्व उन लोगों के साथ सुखासन क्रिकेट क्लब सुखासन में क्रिकेट खेला करता था। वह जब भी छुट्टी में घर आता था तो सभी लोगों से मिलता जुलता था।

छतों से हो रही थी अंतिम दर्शन : जवान आशीष आनंद का पार्थिव शरीर कॉलेज चौक पहुंचने के बाद श्रद्धांजलि शव यात्रा के द्वारा उनके पार्थिव शरीर को उनके गांव ले जाया गया, जिसके बाद पुनः फूलों से सजी दूसरी वाहन से पूरे गांव में शव यात्रा निकाला गया। जैसे ही गांव की गलियों में शव यात्रा निकाली गई तो लोग छतों पर चढ़कर, खिड़कियां खोलकर उनका दर्शन कर रहे थे। गोद में बच्चा लिए महिलाएं छतों से शहीद को प्रणाम कर रही थीं. कई लोग पेड़ों पर चढ़कर अंतिम दर्शन कर रहे थे।

चचेरे भाई ने दी भाई एवं भाभी को मुखाग्नि : जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं आम लोगों के द्वारा अंतिम दर्शन तथा श्रद्धांजलि देने के बाद नाइन एनडीआरएफ बटालियन बिहटा के द्वारा आशीष को तीन राउंड की सलामी दी गई, साथ ही फिरोजपुर से बीएसएफ के अधिकारियों द्वारा आशीष के पिता को तिरंगा सौंपा गया। सलामी देने के बाद आशीष के चचेरे भाई मुनमुन ने आशीष एवं उनकी पत्नी को मुखाग्नि दिया। वहीं उनकी पुत्री की उम्र ज्यादा नहीं होने के कारण हिंदू धर्म रस्मों के अनुसार उन्हें जमीन में दफन किया गया।

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