हिंदी उर्दू के बीच के पुल थे राहत इंदौरी-प्रो जवाहर

Sark International School
Spread the news

मो० नियाज अहमद
ब्यूरो, मधेपुरा

अपनी शायरी से राहत इंदौरी ने भारत की संस्कृति को समृद्ध किया-राठौर

मधेपुरा/बिहार : राहत इंदौरी हिंदुस्तान की वो धरोहर थे जिसकी मौजूदगी मात्र से भारत की संस्कृति आईने में उतर जाती थी उनकी रचनाओं में राष्ट्रीयता की झलक ताउम्र मिलती रहे। एक जनवरी 1950 को इंदौर में जन्मे राहत इंदौरी ने पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाई।

उक्त बातें शिव राजेश्वरी युवा सृजन क्लब कोसी प्रमंडल के संरक्षक प्रो जवाहर पासवान ने क्लब के स्थापना दिवस पर ख्याति प्राप्त शायर राहत इंदौरी की कोरोना पॉजिटिव होने के बाद इलाज के दौरान हुई मौत के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कही। उन्होंने कहा कि उनकी कलम और उनकी रचना हिंदी और उर्दू के बीच पुल का काम करती थी। भविष्य में मंचों पर उनकी ठहाकों के गूंज के बीच शायरी प्रस्तुत करने के अंदाज की बहुत कमी खलेगी।

इस अवसर पर प्रो जवाहर पासवान ने क्लब  के स्थापना काल से अब तक के सफर में मिले सभी के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग को याद किया। उन्होने कहा कि लाक डाउन के कारण स्थापना दिवस समारोह को स्थगित कर दिया गया है।

वहीं क्लब के प्रमंडलीय महासचिव हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि राहत साहब सत्तर के उम्र में भी युवाओं के आदर्श और पहली पसंद बने रहे। उनके शायरी प्रस्तुत करने का अंदाज सबसे निराला था। कई फिल्मों के गीतों के रचने वाले राहत इंदौरी की रचनाओं में मोहब्बत की बानगी के साथ साथ भारतीय संस्कृति को जोड़ने और राष्ट्रीयता की झलक वाली चमक भी नजर आती थी। पूरी जिंदगी उन्होंने हिन्दुस्तान की पहचान की चमक को बढ़ाया। उन्हें खुद के भारतीय होने पर हमेशा नाज रहा, जब जब देश में धर्म, जाति के आधार पर समाज को तोड़ने की कोशिश हुई, उन्होंने अपनी रचात्मकता द्वारा ऐसी ताकतों को मुंहतोड़ जबाव दिया।

“सभी का खून शामिल है यहां की मिट्टी में….किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है” जैसी रचनाएं इसकी बानगी रही । राठौर ने कहा कि उनके जाने से जो खालीपन आया है, उसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती। उनकी रचनाएं और उनका अंदाज हमेशा उन्हें हर दौर में जिंदा रखेगा।

क्लब के संरक्षक मण्डल सदस्य प्रो सिद्धेश्वर काश्यप, प्रो संजय परमारशंकर सुमन, सारंग तनय, आंनद आदि ने राहत इंदौरी के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि 50 वर्ष से ज्यादा समय तक मंचों की चमक रहे राहत हर दौर में जिंदा रहेंगे।


Spread the news
Sark International School