दरभंगा : प्रवासी मजदूरों की लगातार मौतें हृदयविदारक, देश क्रूर मोदी सरकार को कभी माफ नहीं करेगा-माले

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ज़ाहिद अनवर (राजु)
उप संपादक

दरभंगा/बिहार : राहत पैकेज के नाम पर प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा देने व लोकतंत्र का गला घोंटने, मोदी सरकार की अव्वल दर्जे की क्रूर मजदूर विरोधी नीतियों के कारण प्रवासी मजदूरों की लगातार हो रही मौतों और क्वारंटाइन सेंटर के नाम पर यातनागृह चलाने की मानव विरोधी कार्रवाइयों के खिलाफ आज भाकपा-माले ने देशव्यापी प्रतिवाद के तहत भाकपा(माले) जिला कार्यालय में लौकडाउन का पालन करते हुए प्रतिरोध दिवस आयोजित किया गया।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता भाकपा(माले) नगर सचिव सदीक भारती ने किया। इस अवसर पर शिवन यादव, देवेन्द्र कुमार, अबधेश कुमार सिंह, गंगा मंडल, प्रिंस राज, रानी शर्मा शामिल थे। इस अवसर पर भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता आर के सहनी ने कहा कि 12 मई के संबोधन में प्रधानमंत्री ने कोरोना संकट को अवसर में बदल देने का आह्वान किया था। मोदी के उस आह्वान की हकीकत अब सामने आ रही है। पिछले चार दिनों से वित्तमंत्री द्वारा जारी किए जा रहे विभिन्न सेक्शनों के लिए आर्थिक पैकेज छलावा के अलावा कुछ नहीं है। विभिन्न प्रकार के संकटों से जूझ रहे प्रवासी मजदूरों व अन्य कामकाजी तबके को सरकार ने गहरा झटका दिया है। बात तो सरकार राहत पैकेज की करती है लेकिन काम वह कुछ और ही कर रही है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के नारे का अंतर्य निजीकरण 97 की प्रक्रिया को खुलकर बढ़ावा देना और सभी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का गला घोंट देना है। डिफेंस में एफडीआई बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया गया है और कोल माइंनिंग में लागू करने की मंजूरी मिल चुकी है। एयरपोर्ट्स बेचे जाने के निर्णय हो चुके हैं और ये सारी चीजें राहत पैकेज के नाम पर किया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि आत्मनिर्भर भारत’ के इस अभियान में न जाने कितने मजदूरों की और जान जाएगी। अब तक 100 से अधिक प्रवासी मजदूर बेमौत मार दिए गए हैं। लाखों प्रवासी मजदूर अभी भी लगातार पैदल चल रहे हैं, लेकिन लगता है कि सरकारें अपनी जिम्मेवारियों से पूरी तरह मुक्त हो चुकी हैं। प्रवासी मजदूरों की हो रही दर्दनाक मौतों को देश कभी नहीं भूलेगा और न ही मौतों के इस अंतहीन सिलसिले की परिस्थितियां पैदा करने वाली क्रूर व तानाशाह मोदी सरकार को कभी माफ करेगा। देश के अन्य हिस्सों की तरह बिहार के भी क्वारंटाइन सेंटर किसी यातनागृह से कम नहीं है। भारी कुव्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही के कारण अब तक कम से कम 3 लोगों की मौत बिहार के विभिन्न क्वारंटाइन सेंटर में हो चुकी है। यहां तक कि दरभंगा मके माहिया गाव में क्वारन टाइन सेंटर में चंदेश्वर राम की मौत दर्शाती है।  इन सेंटरों में भेड़-बकरियों की तरह लोगों को ठूंस दिया गया है। क्षमता से बहुत अधिक संख्या में लोगों को रखा जा रहा है  न तो ठीक से भोजन की व्यवस्था है और न ही सोने की। यहां तक कि पीने के पानी के लिए भी लोगों को काफी मशक्कत करना पड़ता है।

 भाकपा-माले नगर सचिव सदीक भारती ने  केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा जारी इन छलावों के खिलाफ ग्रामीण मजदूरों, किसानों, लघु उद्यमियों और अन्य कामकाजी तबके के लिए तत्काल राहत उपलब्ध करवाने, सभी को तत्काल 10 हजार रुपया लाॅकडाउन भत्ता देने, मनरेगा में 200 दिन काम व 500 रु. न्यूनतम मजदूरी देने, सभी लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध करवाने, किसानों के सभी प्रकार के कर्जे को माफ करने, किसानों को फसल क्षति का मुआवजा देने तथा लाॅकडाउन के कारण मारे गए सभी मजदूर परिजनों को 20-20 लाख रु. मुआवजे की राशि तत्काल देने की मांग करती है।


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