मधेपुरा/बिहार : विगत दिनों अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटी कीमतों के बावजूद भी केंद्र सरकार द्वारा डीजल और पेट्रोल के उत्पाद शुल्क में की गई 10 और 13 रुपए की बढ़ोतरी को वाम संगठन एआईवाईएफ प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जनता को रुलाने वाला फैसला बताया है।
संगठन के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य सह राज्य सचिव मण्डल सदस्य शंभू क्रांति ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों में आई गिरावट के बाद भी भारत सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में की गई भारी बढ़ोतरी जनता को परेशान करने वाला और तानाशाही रवैया को दर्शाता है। आज पूरी दुनिया कोरोना नामक महामारी ने त्राहिमाम है। हर सरकार अलग अलग स्तर पर जनता को राहत देने वाले फैसले ले रही है। वैसे में भारत सरकार द्वारा यह रुलाने वाला फैसला दर्शाता है की यह सरकार अदानी,अंबानी को लाभ पहुंचाने वाली है। एआईवाईएफ सरकार के इस फैसले का विरोध करती है और अविलंब इसे वापस लेने की मांग करती है। साथ ही पीएम केयर फंड में जमा राशि में से गरीबों के खाते में पन्द्रह हजार रूपए भेजने की मांग करती है।
संगठन के जिला अध्यक्ष जितेंद्र कुमार मुन्ना ने इस फैसले को जन विरोधी बताते हुए कहा यह फैसला बताता है कि यह सरकार घाव पर मरहम लगाने के बजाय नमक लगाने वाली है जिसे गरीबों की नहीं अमीरों की चिंता है। इस फैसले से आमलोगों में निराशा का संचार हुआ है जो इस विषम दौर में दुखद है। संगठन के जिला संयुक्त सचिव सौरव कुमार ने इसे आमजन पर दोहरी मार बताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार में फैसले लेने वालों का मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ है जिसके कारण जनता को परेशान करने वाले फैसले लिए जा रहे हैं।
छात्र संगठन एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने भी इस फैसले को दुखद और जनता पर आर्थिक दबाव बनाने वाला निर्णय बताया । उन्होंने कहा कि इस फैसले कि उम्मीद किसी को नहीं रही होगी क्योंकि इस विषम हालात में हर कोई सहायता की उम्मीद कर रहा है खासकर जब विश्व बाजार में कीमत घटी है तब शुल्क बढ़ाना समझ से परे है। एआईवाईएफ के सह सचिव प्रीति कुमारी प्रिया ,विनोद कुमार, साह, गौतम प्रवीण, रणवीर सिंह यादव आदि ने भी इस फैसले को जन विरोधी बताते हुए अविलंब इसे वापस लेने की मांग करते हुए जनहित में कार्य करने की मांग की। संगठन के नेताओं ने कहा कि संगठन राष्ट्रीय आह्वान पर पूरे देश में इस फैसले का विरोध जारी है।