मधेपुरा : करंट लगने से बिजली मिस्त्री की मौत, परिजनों ने चिकित्सकों पर लगाया आरोप

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कौनैन बशीर
वरीय उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : अस्पताल जहां धरती के भगवान रहते हैं। भगवान इसलिए क्योंकि अस्पताल में बैठने वाले डॉक्टर ही हैं जो लोगों की जिंदगी बचाते हैं और एक नया जीवन देते हैं। लेकिन धरती के ‘भगवान’ यानी डॉक्टरों के वास स्थान अस्पताल से कई बार ऐसी घटनाएं भी सामने आती हैं, जिन्हें देखकर ऐसे भगवान से किसी का भी भरोसा उठ जाए।  

जिले के उदाकिशुनगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों का अमानवीय चेहरा सामने आया है । बिजली करंट लगने से जख्मी प्राईवेट बिजली मिस्त्री का ईलाज नहीं हो पाया। जिस कारण बिजली मिस्त्री की मौत हो गई। मृत बिजली मिस्त्री मनीष कुमार उदाकिशुनगंज के बाड़ाटेनी गांव के मनोज भगत के पुत्र थे।

मालूम हो कि बिजली मिस्त्री मनीष कुमार, रविवार को बिहारीगंज फीडर के तीनटेंगा गांव के नहर पर पोल पर चढ कर तार जोड़ने का काम कर रहा था। जहां अचानक तार में करंट आने से युवक में करंट प्रवाहित हो गया। करंट लगने के बाद जमीन पर गिर पड़ा। जहां स्थानीय लोगों द्वारा बिजली मिस्त्री मनीष कुमार को अस्पताल लाया गया। इधर परिजनों चिकित्सकों पर आरोप लगाया कि मिस्त्री के शरीर का परीक्षण किए बिना चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। आनन-फानन में चिकित्सकों ने परिजनों एवं सहयोगियों को अस्पताल से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

परिजनों ने बताया कि चिकित्सकों ने ज़बरन अस्पताल से बाहर निकाल दिया। परिजनों के मुताबिक अस्पताल से बाहर निकलने पर करीब दो घंटे तक मिस्त्री की सांसे चलती रही, वही परिजन द्वारा मिस्त्री को तेल, घी से मालिश कर होश में लाने की कोशिश करते रहे।

बताया जाता है कि वरीय अधिकारी के पहल पर डाक्टर को फिर से बुलाया गया। तबतक काफी देर हो चुकी चूका थी । जबकि अस्पताल प्रशासन ने परिजनों के आरोप को पूरी तरह गलत बताया है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा इंद्रभूषण कुमार का कहना है कि बिजली मिस्त्री की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले हो चुकी थी। तीन सदस्यीय डाक्टरों की टीम ने मौत की पुष्टि की है। जिसका रिकार्डिंग अस्पताल प्रबंधक के पास मौजूद है।

बताया जाता है कि बिहारीगंज फीडर में 33 केवी का तार बदलने का काम चल रहा था। काम लुमिनो कंपनी द्वारा कराया जा रहा है। जिसमें मनीष सहित बाड़ाटेनीगांव के अन्य मजदूर और मिस्री काम  कर रहे थे। अचानक करंट लगने पर लोगों ने मिस्त्री को अस्पताल लाया। जहां चिकित्सकों ने युवक को मृत बताकर बाहर ले जाने को कहा। सबकुछ जल्दी में हुआ। जिस कारण अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठने लगे।

इस दौरान क्षेत्र के कुछ जनप्रतिनिधि और राजनैतिक दल के कार्यकर्ता पहुंचे। जनप्रतिनिधियों ने अस्पताल से मिस्त्री के जल्द बाहर भगाने पर नराजगी जताई। इस दौरान जनप्रतिनिधियों और चिकित्सकों के बीच कुछ कहा सुनी भी हुई फिर जनप्रतिनिधि व राजनैतिक दल के नेता अस्पताल से निकल गए । यहां पर डाक्टर कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉक डाउन की स्थिति में व्यवस्था का हवाला देते हुए भीड़ नहीं जुटने के कारण लोगों को बाहर जाने की बात कही। इस दौरान परिजन ने अस्पताल से मिस्त्री को लेकर अनुमंडल कार्यालय के पास ले आए। यहां रूकने पर थोड़ी देर बाद कुछ लोगों ने मिस्त्री के जिंदा होने की बात कही। जहां स्वजन  तेल और घी से मालिश कर मिस्री को होश में लाने की कोशिश करने लगे। बात एसडीएम एसजेड हसन तक पहुंची । जहां एसडीएम अस्पताल प्रभारी से बात कर मिस्री का ईलाज करने को कहा। तीन सदस्यीय चिकित्सको की टीम परिजन के पास पहुंचे। जहां चिकित्सक ने मिस्त्री को मृत घोषित कर दिया । तबतक काफी देर हो चुकी थी। परिजनों का कहना है कि प्रथम दौर में  चिकित्सकों के द्वारा ईलाज से युवक की जान बच सकती थी, इसे लेकर परिजनों ने ग्रामीणों के साथ पावर ग्रिड के सामने प्रदर्शन भी किया। अधिकारी ने बताया बिजली करंट से मौत पर आपदा से मुआवजे का प्रावधान नहीं है। बिजली कंपनी के अधिकारी मामले का पटाक्षेप करने के प्रयास में हैं। इसमें क्षेत्र के बुद्धिजीवियों के साथ वार्ता चल रही है। इंस्पेक्टर व थानाध्यक्ष शशिभूषण सिंह ने कहा कि परिजनों के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जायेगी।


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