कोरोना पर अतिथि संपादक प्रसन्ना सिंह राठौर की कलम से ✍️

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प्रसन्ना सिंह राठौर
अतिथि संपादक

कोरोना शब्द सुनते ही आज रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पूरी दुनिया में अभी का सर्वाधिक बोला जाने वाला यह शब्द बन चुका है। क्या बूढ़े..क्या जवान…क्या बच्चे…क्या औरतें सबकी जुबान पर पूरी दुनिया में यह शब्द छाया हुआ है। शाब्दिक दृष्टिकोण से देखें तो कोरोना शब्द का अर्थ मुकूट होता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ये है कि विश्व के सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश चीन के वुहान शहर से शुरू होने वाली महामारी कोरोना एक जानलेवा महामारी है, जिसके चपेट में संख्या के कुछ देश नहीं बल्कि लगभग दो सौ देशों वाली यह दुनिया त्राहि-त्राहि कर रही है।

कई प्रकार के विषाणुओं का समूह कोरोना के आतंक का आलम यह है कि WHO ने इसे महामारी घोषित कर दिया है, साथ ही इसका नाम COVID -19 दिया है। वैज्ञानिक लगातार इसके रोकथाम के लिए टीका तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। चीन के वुहान शहर से शुरू होने के कारण इसे वुहान कोरोना वायरस भी कहा जाता है। चीन के साथ साथ मुख्य रूप से इटली, ब्रिटेन, अमेरिका, कोरिया, ईरान, जापान में कोरोना ने मानों कहर बरफा रखा है। अन्य प्रभावित देशों के हालात भी संतोषजनक नहीं है। इसके कहर के कारण जिंदगी एक मजाक बन गई है, जहां इंसान सिर्फ और सिर्फ बेबस नजर आ रहा है।

विश्व पटल के इस महामारी से निदान के लिए कोरोना के पहले मरीज यानी पेशेंट जीरो की तलाश जारी है, क्योंकि डॉक्टर्स का दावा है कि अगर पेशेंट जीरो का पता चल जाता है, तब इसके निदान का रास्ता बहुत आसान हो जाएगा। लेकिन उत्तर पर लोगों के अलग-अलग मत हैं। वैसे विशेषज्ञों की माने तो यह वायरस जानवरो से आया है, संभवतः सांप और चमगादड़ से। इस बीमारी से भारत भी बुरी तरह प्रभावित है। केंद्र सरकार सहित विभिन्न राज्य सरकारें लगातार व्यापक स्तर पर कोरोना से बचने के लिए प्रयास कर रही है। इस बीमारी का कोई टीका नहीं होने के कारण रोग लक्षणों का इलाज कर शरीर को संक्रमण से लड़ने हेतु बरकरार रखा जाता है। इसका प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। पूरी दुनिया में अबतक 82हजार जानें जा चुकी है, जिसमें अमेरिका, इटली, फ्रांस, स्पेन में मरने वालों की संख्या दस हजार से ज्यादा हो चली है। इन देशों में आलम तो यह भी है कि शवों को रखने के लिए जगह के भी लाले पड़ रहे हैं ।14 लाख से ज्यादा लोग इससे पूरी दुनिया में संक्रमित हैं, वहीं तीन लाख से ज्यादा लोग ठीक भी हुए हैं।

भारत में अब तक यह 27राज्य और 5 केंद्रशासित प्रदेशों में कोरोना अपना पैर पसार चुका है। इसके कारण जहां पांच हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हुए, वहीं 170 से ज्यादा लोगों ने जानें गवाई है, वैसे 350 से ज्यादा लोग ठीक भी हुए हैं। मरने वालों में सर्वाधिक संख्या साठ से ज्यादा महाराष्ट्र से है। बिहार में हालात कुल मिलाकर नियंत्रण में कहा जा सकता है क्योंकि जांच में यहां तीन दर्जन से कम पॉजिटिव मिले हैं, वहीं अभी तक मात्र एक की मौत हुई है, साथ ही एक दर्जन से ज्यादा लोग ठीक भी हुए हैं। कोसी के लिए बड़ी राहत की बात यह है कि अभी तक प्रमंडल के तीनों जिलों में एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिला है। कोरोना को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इक्कीस दिनों के लाक डाउन की घोषणा कर रखी है, जिससे सोशल डिस्टेंस के सहारे कोरोना को हराया जा सके। जिसके चलते खासकर वैसे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है जो दैनिक मजदूरी के सहारे जिंदगी जीते थे। इसके समाधान के लिए सरकारी दावे तो बहुत हो रहें हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अधिकांश लोगों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है।

राजनीतिक हस्तियों सहित विभिन्न क्षेत्रों की नामचीन हस्तियां खुलकर कोरोना के खिलाफ सरकार के खजाने को मजबूत ही नहीं कर रहे बल्कि जमीन पर पहल भी कर रहे हैं। इस लड़ाई को मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार ने सांसदों सहित अन्य के भत्तों में कटौती से जुड़े विधेयक को भी पास कराया है, जिससे इस लड़ाई में कोई कमी न रह जाए। सरकार की विभिन्न स्तरों पर लगातार अपील है कि लाक डाउन को ईमानदारी से पालन करें । लाक डाउन को मनवाने के लिए प्रशासन भी मुस्तैदी से लगी है, कड़े कदम भी उठाए जा रहे हैं ,लेकिन कुछ लोग अभी भी अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे और लाक डाउन को मजाक बना रहे हैं, जिसके कारण लाक डाउन को बढ़ाने की मांग भी उठने लगी है।

राजस्थान, केरल, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लॉक डाउन को बढ़ाने की मांग की है। साथ ही विपक्षी दलों सहित विभिन्न सामाजिक संस्थानों द्वारा लगातार सरकार से राहत की गति और स्तर को बढ़ाने की मांग की जा रही है।

कोरोना  के लक्षण : डॉक्टर्स की माने तो बुखार, थकान, सुखी खांसी और सांस लेने में दिक्कत इसके आम लक्षण हैं। अधिकांश लोग बिना खास इलाज के ही सावधानी के बल पर ठीक हो जाते हैं लेकिन बुजुर्ग, या दमा, डायबिटीज या दिल की बीमारी के मरीज के लिए यह जानलेवा भी हो सकता है। संदेह होने पर डॉक्टर्स से तुरन्त सलाह लें।

कोरोना से बचाव :  वैज्ञानिकों और डॉक्टर्स का कहना है कि अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है,  सावधानी ही इसका सबसे बड़ा इलाज है। कुछ खास सावधानियों से इससे बचा जा सकता है यथा,,,,,

*नियमित रूप से साबुन से हाथ साफ करें

*खांसते या छींकते समय रुमाल या डिस्पोजेबल टिशु का प्रयोग करें।

*बीमार लोगों से एक मीटर की दूरी रखें,लेकिन उनका ख्याल भी रखें।

*गंदे हांथ से नाक,मुंह, कान,आंख को न छुएं।

कोरोना  से नुकसान : कोरोना के कारण आज पूरी दुनिया बहुत पीछे चली गई है।विकास के पथ पर आगे बढ़ना तो दूर खोए स्थान को पाने में ही दुनिया को वर्षों लग जाएंगे। आज पूरी दुनिया ठप है।कामकाज सब बन्द हैं ,लोग घरों में कैद हैं।विकास व निर्माण का जो काम जहां था वो वहीं रुक गया है जिसके कारण विश्व को हर सोच से परे आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है।शिक्षण संस्थानों के बन्द हो जाने के कारण एक बड़ी समस्या उत्पन हो गई जिसके समाधान के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। सत्र बहुत पीछे होने की संभावना है ।कई परीक्षाओं में बिना परीक्षा दिए ही पास कर अगले क्लास में नामांकन का आदेश दिया जा रहा है।

कोरोना से फायदा : वैसे तो कोरोना एक विनाशक महामारी है जिससे सिर्फ नाश और विनाश ही सम्भव है, जिससे फायदे की सोच भी बेईमानी है लेकिन इसके कुछ गंभीर फायदे भी हैं । कोरोना के कारण पूरी दुनिया लगभग ठहर सी गई है जिसके कारण सबकुछ ठप है। इससे प्रदूषण में काफी कमी आई है फैक्ट्री बन्द होने व आवागमन के सारे मार्ग लगभग बन्द होने के कारण वायु में विषैले गैसों और जल में गंदगी की काफी कमी आई है। जिससे आने वाले समय में काफी राहत की उम्मीद की जा सकती है।साथ ही लगातार व्यस्तम हो रही जिंदगी में लोग एक साथ घर पर समय नहीं दे पा रहे थे ,वो लोग लंबे अर्से कहें या पहली दफा पूरे परिवार को मज़बूरी में ही सही समय दे पा रहे हैं।

कोरोना के खिलाफ जंग के सच्चे नायक : कोरोना के खिलाफ जंग में डॉक्टर्स, नर्स, पुलिस, सफाईकर्मी, पत्रकार सहित प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हर वो नायक है जो इस जंग में अपने घर परिवार की चिंता किए बैगर उपलब्ध सीमित संसाधन में भी मानवजाति को बचाने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर रहे हैं। सरकार और समाज का यह दायित्व भी है कि ऐसे लोगों के जज्बे को सलाम करते हुए हम हमेशा इनके हौसले को बुलंद रखें और इन्हे किसी चीज की कमी न होने दें।

अपील : कोरोना के खिलाफ यह लड़ाई किसी एक की नहीं बल्कि मानव समाज को बचाने की लड़ाई है जिसमें सबकी भूमिका अहम है।आज समझने की जरूरत है कि जब मानव जीवन को बचाने की लड़ाई चल रही हो तो निजी लोभ लालच को छोड़ समाज और राष्ट्र को बचाने की लड़ाई का हिस्सा बनना चाहिए न कि हर चीज के लिए सरकार की तरफ टकटकी लगाए रहना चाहिए।

“द रिपब्लिकन टाइम्स” परिवार का आप से अपील है कि, सजग रहें, सावधान रहें, सुरक्षित रहें, अफवाहों से बचें।   


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