सैनिटाइजर व मास्क के निशुल्क वितरण के साथ जागरूकता व सफाई को प्राथमिकता देने की जरूरत–राठौर
मधेपुरा/बिहार : विश्व के प्रायः सभी हिस्सों में हाहाकार मचा रही महामारी कोरोना से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारी और इससे हो रहे आमजन की परेशानियों को दूर करने के लिए सरकार की भावी योजनाओं को लेकर ब्लू प्रिंट का नहीं होना भारत जैसे विश्व के एक महत्वपूर्ण देश में विचारणीय और निकट भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है ।
उक्त बातें वाम संगठन एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य सह राज्य उपाध्यक्ष हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्र सरकार के जनता कर्फ्यू पर प्रतिक्रिया देते हुए कही। उन्होने कहा कि एक ओर जहां पूरी दुनिया में इससे निकलने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र को सुव्यवस्थित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर महामारी से आमजन को होने वाली परेशानियों से बचने के लिए कई आर्थिक पैकेजों की घोषणा भी की गई है। लेकिन भारत में इनें गिने राज्यों को छोड़ दें तो इसकी चर्चा दूर दूर तक नहीं हो रही है। जनता कर्फ्यू को कुछ हद तक सही मान भी लिया जाए तो इससे होने वाली आर्थिक परेशानियों से निदान की चर्चा कहीं नहीं है।
विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज में कोरोना से बचने की कोई व्यवस्था नहीं : हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि मधेपुरा में कुछ ही दिनों पहले शुरू हुए सरकार के अनुसार विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज में कोरोना से बचने की कोई व्यवस्था नहीं होना सरकार को आइना दिखाने के लिए पर्याप्त है। देश में हैंड सैनिटाइजर और मास्क की हो रही कालाबाजारी मानवता को मानो ठेंगा दिखा रही है। चीन, जर्मनी, इटली, अमेरिका जैसे देशों की तरह आमजन को उक्त चीजे पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने की जरूरत है। भारत की लगभग 80% से ज्यादा की आबादी संगठित नहीं है, उसके लिए इस विषम दौर में सरकार द्वारा सरकारी अन्नागार खोला जाना चाहिए था। खासकर सफाई को प्राथमिकता देने की जरूरत है। मधेपुरा जैसे जिले में हालात इतने गंभीर होने के बाद भी गंदगी का अंबार सफाई के प्रति जुड़े विभाग व सरकारी तंत्र के उदासीनता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि एआईएसएफ सरकार से मांग करती है कि विश्व के अन्य देशों से सीख लेकर अविलंब अत्यावश्यक मानते हुए रोजमर्रा की जिंदगी जीने वाले लोगों को भोजन सहित कोरोना से बचने के लिए उपयोगी पहल की ओर अग्रसर हो जिससे किसी बड़ी अनहोनी को रोका जा सके।