भीमा कोरे गाँव का हादसा अत्याौचार के खिलाफ लड़ने की तहरिक : उदय नारायण चौधरी

Sark International School
Spread the news

प्रेस विज्ञप्ति :

पटना/बिहार : भीमा कोरे गाँव के तारिखी लड़ई करे अरज 202 साल हो गए है, आज इस तारिखी लड़ई के 202 बरसी पर ऑल ईण्डिया मिलि काँसिल के कौमी नायब सदर हज़रत मौलाना अनीसुर रहमान क़ासमी, साबिक नाजि़म इमारत शरिया फुलवारी शरीफ पटना, की सदारत मे एक अबुलकलाम रिसर्च फाउंडेशन के दफतर मे हुई।

विज्ञापन

इससे खेताब करते हुए बिहार रकन साज़ असिस‍म्ब्ली के साबिक़ स्पिकर उदय नारायण चौधरी ने कहा कि भीमा कोरे गाँव का वाकिया दलित समाज और कमजोर तबक़ा के लोगो को हमेशा नई तवानाई फराहिम करता रहेगा और इन्हेत समाजी बुराईयों नीज़ ज़ात.पात भेद भाव और अत्यामचार के खिलाफ जदोजहद की तहरिक देता रहेगा।

विज्ञापन

मालुम हो कि भीमा कोरे गाँव का वाकिया 1818 में पुणा महाराष्ट्र  के एक गाँव मे पेश आया जब पेशवाओं के खिलाफ दलितो की और अछुत कहे जाने वाले समाज से संबंध रखने वाले सिर्फ पाँच सौ सिपाहियो ने पेशवा की 28 हज़ार नफरी पर मुस्तवमील फौज़ को शकसत दी, आज भी यह वाकिया समाज के दबे.कुचले कमज़ोर तबक़ात से तालुक़ रखने वाले लोगो के लिए बाअस फर्ख और तहरिक है। इस लड़ाई ने यह दिखाया के अत्यााचार के खिलाफ अवाज़ उठाने के लिए बड़े खानदानो से संबंध रखना जरूरी नही है।

 इस बैठक मुफती नफा अर्फी, मौलाना नसीम अहमद, मौलाना रज़ाउल्लीह कासमी, अबु नसर हाशिम नदवी आदि शामील थे।


Spread the news
Sark International School