पटना//बेगुसराय/बिहार : जापानी लोगों के थाली मे बेगुसराय का सहजन और परवल परोसे जायेगें,पुरे देश के नजरों मे जिले की पहचान जैसा भी हो लेकिन वनोपज से परिपूर्ण जिले के तौर पर कृतिमान हासिल करना तय है। जिले के उत्पादों की ब्रांडिंग कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार मे जगह बनाने की तैयारी हो चुकी है, जो की वर्तमान सरकार की ओर से बाजार मुहैया कराने के लिए किए गए प्रयासों का नतीजा है, फलस्वरूप अब जापान मे सहजन अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए तैयर है।
बेगुसराय के कृषि, उद्यानिकी, लघु वनोपज उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन देने एवं इनकी बिक्री को बढ़ावा देने के लिये श्रीकंगन फूड पार्क के फर्मुला के तहत बहरीन, ओमान, जापान, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, पोलैण्ड, जर्मनी, बांग्लादेश, सिंगापुर सहित बीस देशों के प्रतिनिधियों से करार हो चुका है। अपने कोशिश की पहली नजर में ही कामयाबी होती दिख रही है।
अखबार और मिडिया से दुर रहकर इन महान कार्य का रुप रेखा तैयार किया गया। आजादी के बाद किसानों के हित मे इतना बड़ा पहल बिहार का पहला है, जहां देशी-विदेशी क्रेता व विक्रेताओं के बीच इतने बरे करार हुए हैं। जापान की एक कंपनी ने छत्तीसगढ़ के काजू को खरीदने के लिए करार किया है, जापान के कैथ कोलिंग वूड विलियम को बिहार के सहजन ने प्रभावित किया। उनका कहना है कि सहजन में औषधि गुण एवं आयरन की मात्रा अधिक है। बेगुसराय के अलग-अलग गांवो मे सहजन उत्पादन कर उसके पत्ते का पाउडर, बिस्किट, चाकलेट और फलियां को भी अनेक रूप में खाद्य पदार्थो के साथ मिश्रण कर जनसामान्य को उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करने की दिशा मे “श्रीकंगन फूड” तैयार है।
किसानों के खेत मे सहजन खरीदने की दिशा में यह पहला कदम है। इससे उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संबंध बढ़ेगा और इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार मिलने से जहां किसानों को फायदा होगा। किसानों को सही दाम मिलेगे, साथ ही बेकार बैठकर तास खेलने बाले, कुटनिती करने बाले बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। जिले के फल और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाबा मिलेगा। मित्रों आज के अपने विशिष्ट पहचान को तिलांजली देते हुए खेती के अपार संभावनाअों को आत्मसात कर बेगुसराय को मिनी इजराईल बनाने की कल्पना करें। अपने उत्पादों को देश- विदेश के बाजारों मे फैलाने का काम करने मे समय लगायें, क्रूर राजनिती से दूर रहकर दूरदर्शिता सोच अपनाये जिससे क्षेत्रों से जुड़े किसान और कामगारों को लाभ मिलेगा।