कोसी नदी में उफान से दर्जनों गॉंव जलमग्न, सियासतदां सियासी रोटी सेकने में मशगुल

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कौनैन बशीर
वरीय उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : कोसी नदी की गोद में बसे लोगों की पीड़ा, नदी में आए पानी के उफान की तरह है। राजनीति हुई, नेता भी मिले, लेकिन पीड़ा कमने का नाम नहीं ले रही है। उदाकिशुनगंज अनुमंडल के फुलौत सहित अन्य गांव कोसी नदी से घिरे क्षेत्र में इन दिनों नदी में उफान है। यहां के लोग खानाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। शायद लोग इस तरह की जिंदगी जीने के आदी भी हो चुके हैं।

मालूम हो की बिहार के मधेपुरा जिला अंतर्गत चौसा प्रखंड के फुलौत, मोरसंडा, पंदही, झंडापुर, धासकपुर, सपनी मुसहरी, करेलबासा सहित दर्जनों गांव इन दिनों कोसी की उफनती धारा की चपेट में है। राजनीति करने वाले राजनीति करने में व्यस्त हैं। पीडि़तों की समस्या से उन्हें क्या। लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के हालात पर प्रशासन की भी पैनी नजर बनी हुई है।

बताया जाता इन प्रखंडों में बाढ़ से लगभग बीस हजार से ज्यादा आबादी प्रभावित है। बताया जाता है कि चौसा प्रखंड के फुलौत, मोरसंडा आदि क्षेत्र में स्थिति विकराल हो गई है। कोसी नदी में उफान से तटबंध के अंदर मौजूद लगभग तीन दर्जन से अधिक गांव जलमग्न है। कोसी के जल स्तर में बढोतरी की वजह से फुलौत तटबंध के भीतर बसे सैकड़ों लोगों को फिर से एक बार बाढ़ व विस्थापन का भय सताने लगा है। उधर लोगो के आवासीय घरो में बाढ़ का पानी घुसने के कारण परेशानी बढ़ने लगी है। हालांकि अनुमंडल पदाधिकारी लगातार बाढ़ प्रभावित ईलाको का दौरा कर रहे है।

बाढ़ से प्रभावित सुधा मेहता, जोगिंदर मेहता, राजेश कुमार, अनिल मेहता, प्रभाकर सिंह, चंदन सिंह, कैलाश सिंह, विरेंद्र कुमार, रंजन कुमार, उमेश कुमार सिंह, प्रभाकर सिंह, राजेश कुमार, वीरेंद्र कुमार, चंद्रशेखर मेहता, शंभू चौधरी, बबलू चौधरी, गणेश चौधरी, रुदल चौधरी, जवाहर ऋषिदेव, जनार्धन ऋषिदेव, विद्यानंद ऋषिदेव, महाराज ऋषिदेव सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि प्रभावित गांवों में राहत एवं बचाव के लिए प्रशासनिक अमला अब तक सामने नहीं आया है।


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