दरभंगा/बिहार : जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस एम ने कहा कि भू-गर्भ जल का स्तर लगातार नीचे जाने के कारण पेयजल की कमी एक बड़ी संकट बनती जा रही है। इस संकट से निबटने हेतु तत्काल ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्षा के जल को संचयन सबसे अच्छा विकल्प है।
उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में सरकार द्वारा बिहार राज्य के मात्र 12 जिलों के 20 प्रखण्डों का चयन किया गया है जिसमें दरभंगा जिला का कोई प्रखण्ड शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान में शामिल नहीं होने के बाद भी जल संकट को देखते हुए वाटर हार्वेस्टिग एवं ग्राउंड वाटर रिचार्जिग (भू-जल पुनर्भरण) हेतु जिला में अभियान चलाया जायेगा।
जिलाधिकारी ने बताया कि प्रथम चरण में सभी सरकारी कार्यालयों एवं विद्यालयों के छतों पर के वर्षा के पानी को एकत्रित करके पाईप के जरिए परिष्कृत गड्ढे में ले जाकर ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग किया जायेगा।कार्यशाला में उपस्थित कार्यपालक अभियंता, भवन संरचना प्रमण्डल द्वारा बताया गया कि 300 भवनों में वाटर हार्वेस्टिग का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने उन्हें समाहरणालय के भवनों में सर्वप्रथम यह कार्य प्रारंभ करने को कहा है। उन्होंने नगर निगम प्रशासन को पूरे नगर क्षेत्र में वाटर हार्वेस्टिग के लिए प्रेरित करने हेतु जागरूकता अभियान चलाने को कहा है। इसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के सुदृढ़ीकरण पर भी जोर दिया, जिसमें आहर, पोखर, तालाब, पैन आदि का सुदृढ़ीकरण शामिल है। उन्होंने कहा कि कतिपय अवांछित तत्वों द्वारा तालाबों पर अतिक्रमण कर लिया गया है जिनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि मत्स्य विभाग के द्वारा बंदोबस्त किये गये सैरातों का बंदोबस्तधारियों द्वारा दुरूपयोग किये जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही है। इसके चलते कई तालाबों का अस्तित्व ही खत्म होता जा रहा है।
जिलाधिकारी ने जिला मत्स्य पदाधिकारी को उनके द्वारा बंदोबस्त किये गये सैरातों के बंदोबस्तधारियों पर निगरानी रखने का निदेश दिया है। उन्होंने कहा कि जिला में अवस्थित 26 सरकारी तालाबों का सर्वेक्षण कराया गया है जिसमें से 05 तालाबों पर अतिक्रमण पाया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे अतिक्रमणकारियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई होगी।