बिहार के विश्वविद्यालयों में शोध को बढ़ावा देने के लिए संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित, बीएनएमयू की महती भागीदारी

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

पटना/बिहार : हम अपनी जड़ों से जुड़े। अपनी जड़ों से जुड़े बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। यह बात राज्यपाल सह कुलाधिपति लालजी टंडन ने कही। वे बुधवार को राजभवन, पटना के तत्वावधान में होटल लेमनट्री प्रीमियर में आयोजित बिहार के विश्वविद्यालयों में शोध को बढ़ावा देने के लिए संवेदीकरण कार्यशाला का उद्घाटन कर रहे थे।

राज्यपाल ने कहा कि यह दुखद है कि हम मैकाले एवं मार्क्स को जानते हैं, लेकिन आर्यभट्ट, नागार्जुन, कौटिल्य आदि अपने पूर्वजों को बहुत कम जानते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि नया भारत बनने जा रहा है। इसमें बिहार की महती भूमिका होगी। बिहार में उच्च शिक्षा का विकास हो रहा है। एकेडमिक कैलेंडर लागू किया गया है और लगभग सभी विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह आयोजित किए गए हैं।

मुख्य वक्ता भारतीय सामाजिक विज्ञान परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. बी. बी. कुमार ने कहा कि हमारी वर्तमान शिक्षा पद्धति क्रूर है। हम बच्चों की जिन्दगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसलिए शिक्षा-व्यवस्था में परिवर्तन की जरूरत है। उन्होंने सामाजिक विज्ञान के शोध में बिहार की अल्प भागीदारी पर चिंता व्यक्त की।

राज्यपाल के सलाहकार डाॅ. आर. सी. सोबती ने कहा कि शोध सिर्फ डिग्री के लिए नहीं, बल्कि समाज एवं राष्ट्र की चुनौतियों के समाधान के लिए होना चाहिए।

प्रथम सत्र में स्वागत भाषण राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के कुलपति डाॅ. लीलाचन्द साह ने किया।

बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने बताया कि यह कार्यशाला बिहार में शोध की गुणवत्ता के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। इससे बीएनएमयू, मधेपुरा में भी शोध को बढ़ावा मिलेगा।

बीएनएमयू के 20 शिक्षक
कार्यशाला में बीएनएमयू के विभिन्न विषयों के बीस शिक्षकों ने भाग लिया। इनमें स्नातकोत्तर विभागों से डाॅ. अशोक कुमार यादव, डाॅ. नरेश कुमार एवं डाॅ. मोहित कुमार घोष (रसायनशास्त्र विभाग), डाॅ. अशोक कुमार (भौतिकी विभाग), डाॅ. नरेन्द्र श्रीवास्तव एवं डाॅ. राज कुमार (जंतु विज्ञान विभाग), डाॅ. बी. के. दयाल एवं डाॅ. मो. अबुल फजल (वनस्पति विज्ञान), डाॅ. एम. आई. रहमान एवं डाॅ. आनंद कुमार सिंह (मनोविज्ञान विभाग), डाॅ. राज कुमार सिंह (राजनीति विज्ञान विभाग), डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी एवं डाॅ. सुधांशु शेखर (दर्शनशास्त्र विभाग) के नाम शामिल हैं। इसके अलावा महाविद्यालयों से डाॅ. कपिलदेव प्रसाद यादव (टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा), डाॅ. संजीव कुमार, डाॅ. नरेश कुमार, सुभाषिश दास एवं सुमित कुमार (बीएसएस काॅलेज, सुपौल), डाॅ. संजीव कुमार, डाॅ. संयुक्ता कुमारी (एमएलटी काॅलेज, सहरसा) और वेनुकर मंडल (एलएनएमएस काॅलेज, वीरपुर) के नाम शामिल हैं।

कई नामी शिक्षाविद शामिल हुए
कार्यशाला को यूजीसी के वाइस चेयरमैन डॉ. भूषण पटवर्धन, काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के हेड डॉ. ए. के. चक्रवर्ती भी उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे। तकनीकी सत्र को अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जगदीश कृष्णास्वामी, डीयू के प्रो. संगीत कुमार रागी, विज्ञान व प्रावैधिकी मंत्रालय के परामर्शी डॉ. अखिलेश गुप्ता, पॉलिसी रिसर्च सेल के इंचार्ज डॉ. अखिलेश मिश्रा एवं सीएसआईआर के डॉ. हरिओम यादव ने संबोधित किया। इस अवसर पर कई विश्वविद्यालयों के कुलपति और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।


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