नालंदा : चुनाव की घोषणा होते ही नालंदा संसदीय क्षेत्र में चुनावी गणित का आकलन शुरू, जिले में चढ़ा सियासी पारा

Sark International School
Spread the news

मो0 मुर्शीद आलम
ब्यूरो, नालंदा

नालंदा/बिहार : चुनाव आयोग के द्वारा 2019 के चुनाव का बिगुल बजते ही नालंदा में चुनावी सरगर्मियां चढ़ने लगी है और नालंदा की चुनावी राजनीति आए दिन बदलते नजर आ रहा है। वैसे तो कहा जाता है कि नालंदा के माने नीतीश कुमार और नीतीश कुमार के माने नालंदा होता है। लेकिन इस बार नालंदा का चुनावी रंग भी बदलता नजर आ रहा जिस तरह से 2014 में एनडीए से अलग होकर नीतीश कुमार कि जेडीयू ने अपने दम पर चुनाव लड़ा था। पहले से जिले में कांग्रेस काफी मजबूत हुई है और आरजेडी भी अपनी पकड़ को बेहतर की है।

2014 की चुनाव को देखें तो 22 प्रत्याशी मैदान में थे और नालंदा में कांटे की टक्कर जदयू और एनडीए के प्रत्याशी से हुई थी, जिसमें जेडीयू प्रत्याशी कौशलेंद्र कुमार 9627 मत से विजय प्राप्त हुआथा, जबकि एनडीए समर्थित लोजपा के उम्मीदवार सत्यानंद शर्मा ने कड़ी टक्कर दी थी। 2014 के चुनाव में कौशलेंद्र कुमार को 321982 मत मिले थे जबकि सत्यानंद शर्मा को 312355 मत मिले थे और कांग्रेस के प्रत्याशी अशीष रंजन सिन्हा को 227270 मत प्राप्त हुए थे और वह तीसरे स्थान पर रहे। लेकिन इस समय 2014 के चुनाव के बिल्कुल विपरीत दिखाई दे रहा है।

कुछ माह पहले बिहारशरीफ विधानसभा के पूर्व विधायक नौशाद उन नबी उर्फ पप्पू खान और पूर्व प्रत्याशी आफरीन सुलताना और जदयू के पूर्व विधायक राम चरित्र प्रसाद कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। नालंदा जिला जिला परिषद अध्यक्षा भी कांग्रेस में शामिल हो चुकी हैं इससे भी जिले में कांग्रेस काफी मजबूत हुई है, अभी अभी चंद दिन पहले जिले के तीन बार विधायक रह चुके पूर्व विधायक सतीश कुमार भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, यह कुर्मी समाज से आते हैं और बिहार में पहली बार कुर्मी चेतना रैली में अहम भूमिका निभाए थे। अगर पूरी चुनावी गणित को देखें तो नालंदा में इस बार कांटे की टक्कर और दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। अभी तक किसी भी दल के द्वारा प्रत्याशी की घोषणा नहीं होने से राजनीतिक धड़कने तेज हो गई है

अगर सेटिंग के हिसाब से देखें तो एक बार फिर जदयू के कौशलेंद्र कुमार ही नालंदा के प्रत्याशी हो सकते हैं, दूसरी तरफ अगर नालंदा सीट कांग्रेस खाते में जाती है तो सतीश कुमार को भी कांग्रेस नालंदा से प्रत्याशी बनाने पर विचार कर सकती हैं।  मालुम हो कि नालंदा में सबसे आखरी चरण 19 मई को यहां मतदान कराया जाएगा । इसीलिए पार्टियों के द्वारा नालंदा में प्रत्याशी घोषित करने में हड़बड़ी नहीं  दिख रहा हैं। लेकिन 2014 की तरह 2019 के चुनाव में भी नालंदा का चुनाव दिलचस्प और कांटेदार टक्कर होने की पुरी संभावना दिख रही है। अब तो समय ही बताएगा कि ऊंट किस करवट बैठती है और नालंदा में कौन से प्रत्याशी एक बार फिर बाजी मार ले जाते हैं और विजय श्री प्राप्त करते हैं।


Spread the news
Sark International School