जज्बे को सलाम : नाकाम हाथों का अभिशाप लिए अंकिता अपने दोनों पैरों से ही लिखकर दे रही है इंटर की परीक्षा

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अनुप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

दिल में अगर कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो तमाम बाधाओं के बावजूद इंसान अपनी मंजिल को पा ही लेता है। इस कहावत को वास्तविकता के धरातल पर अक्षरस सत्य कर दिखाया है छपरा की अंकिता ने।

उसके दोनों हाथ पोलियो ग्रस्त है। फलस्वरूप अंकिता अपने दोनों पैरों से ही लिखकर परीक्षा दे रही। हालांकि इस सब के बावजूद कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी दृढ इच्छा शक्ति को आधार बनाकर कुछ ऐसा कर गुजरते हैं जो समाज के लिए प्रेरणा बन जाता है।

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सारण जिले के बनियापुर प्रखंड स्थित हरपुर बाजार निवासी अशोक प्रसाद गुप्ता की 16 वर्षी पुत्री अंकिता भी अपने मजबूत इरादों के बल पर समाज में एक आदर्श प्रस्तुत कर रही है। शहर के आदर्श परीक्षा केंद्र जिला स्कूल में इंटर की परीक्षा दे रही । अंकिता के दोनों हाथ पोलियो ग्रस्त हैं। नाकाम हाथों का अभिशाप लिए अंकिता अपने दोनों पैरों से ही लिखकर परीक्षा दे रही है। पैर से लिखने के बावजूद अंकिता की लिखावट देखकर अच्छे-अच्छे अपने दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो रहे हैं। परीक्षा केंद्र के सभी छात्राये बेंच पर बैठ कर परीक्षा दे रही है तो वही दूसरी ओर जमीन पर चादर बिछा कर अपनी उत्तरपुस्तिका पर बिल्कुल शान्तचित होकर परीक्षा दे रही अंकिता के बारे में महिला वीक्षक रूपा कुमारी ने बताया कि परीक्षा के 3 घंटो के दौरान उसके चेहरे का सहज भाव उसके मेधावी होने को परिलक्षित करता है, अंकिता एक बार जब लिखना शुरू करती है तो उसके पैर रुकने का नाम ही नही लेता है।

अंकिता

हालांकि अंकिता के सिर्फ हाथ ही नही बल्कि भगवान ने उसके कंठ से आवाज भी बचपन में ही छीन ली थी, परिवार वाले और उसके बड़े पापा श्याम प्रसाद गुप्ता के तमाम कोशिशों के बावजूद अंकिता का इलाज संभव न हो सका, सब लोग थक हार गए पर इस होनहार बच्ची के हौसलों ने दम नही तोड़ा, अंकित का संघर्ष बचपन से ही जारी रहा और उसने कठिन अभ्यास के बाद अपने पैरों को ही लेखनी का आधार बना डाला, अंकिता अपने हाथों पर तो मेहंदी नही सजा सकती लेकिन दूसरे के हाथों पर अपने पैरों से ही मेहंदी रचा लेती है।

अगर एक बार इस लड़की को कोई लिखता हुआ देख ले तो उसके चेहरे पर सम्मान और प्रसन्नता का भाव स्पष्ट रूप से झलकने लगता है। वही अंकिता की बड़ी मम्मी नीला गुप्ता ने कहा की बचपन से पढ़ने की ललक देखने को मिली तभी से हमलोग पढने के लिए स्कूल भेजना शुरू कर दी थी साथ ही उसका लालन पालन करने के लिए उसकी माँ हर समय साथ रहती है, क्योंकि अपने हाथो से कुछ भी कर नही सकती है। जैसे खाना खिलाना, कपडा पहनाना, नहाने, ब्रश कराना आदि कार्यो को उसकी माँ व मेरे द्वारा ही किया जाता है।

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उक्त विद्यालय बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री उमा पाण्डेय के नाम स्थापित है जो बनियापुर प्रखण्ड के हरपुर बाजार स्थित उमा देवी प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय की इस प्रतिभावान छात्रा को न तो अब तक कोई सरकारी सहयोग प्राप्त हो सका है और न ही इसे कोई उचित मार्गदर्शन प्राप्त हो सका है, जीवन में संघर्षशील अंकिता आज समाज के सभी वर्ग के लोगों खासकर लड़कियों के लिए एक शानदार मिसाल कायम कर रही है।


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