किशनगंज/बिहार : आन बान और शान से किशनगंज के “शहिद अस्फाक़ुल्लाह खान “सटे्डियम में डी एम किशनगंज ने तिरंगा फहराया, जहां इनके साथ जिले के एस पी कुमार आशीष मौजूद थे । 70 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर एक तरफ जहां झांकियों को प्रस्तुत किया जा रहा था । वहीं डी एम और एस पी ने आयोजित परेड की सलामी ली ।
इस मौके पर बंगाल, बांगलादेश और नेपाल की सीमाओं से सटे जिला किशनगंज में सुरक्षा के व्यापक इन्तजामात देखने को मिले । जिले से लगने वाली अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं को सील कर चौकसियों को कई गुणा बढ़ा दिया गया था । जिले के सभी थानाओं को हाई एलर्ट पर रखा गया था । किशनगंज से लगने वाली अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं पर सुरक्षा बलों के द्वारा सघन जांच की जा रही थी । सुरक्षा के व्यापक इन्तजामों के बीच जिले के सभी महकमों, सभी शिक्षण संस्थानों, एवं सरकारी गैरसरकारी संस्थाओं में गणतंत्र दिवस की धूम मची रही । खेलकूद, नाटक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों की होड़ लगी थी । सभी प्रखंड मुख्यालयों में प्रखंड प्रमुखों, थानाओं में थानाध्यक्ष, और सभी विभाग प्रमुखों ने झंडोत्तोलन किया । गणतंत्र दिवस समारोहों से सारा दिन चारो तरफ हर्षोउल्लास का माहौल देखने को मिला ।
समारोहों के बीच “द रिपब्लिकन टाईम्स” की टीम ने जिले के बहादुरगंज थाने का रुख किया । जहां हाल हीं में 2009 बैच के एस आई को इस थाने की कमान सौंपी गयी थी । यहां झंडोत्तोलन किया जा चुका था, लोग थाने से निकल रहे थे । उस दौरान बहादुरगंज नगर पंचायत के उपाध्यक्ष मो.सफरुल से मुलाकात हुई और टीम ने आज के समारोह पर उनकी टिप्पणी लिया । सफरुल जी ने कहा – यहीं जन्म लिया, पला बढ़ा पर सारे अच्छे इन्तजामात के साथ आने वाले लोगों के साथ पुलिस का दोस्ताना बर्ताव शायद पहली बार देखने को मिला । सभी को थाना से दावतें भेजी गयी थी । एस एच ओ खुद से सबों को मिठाईयां परोस रहे थे । जब हमने उनसे पूछा कि -थानाध्यक्ष थाने में मिलेंगे? तो वे इशारे से हमें अपने साथ चलने को कहा । कुछ दूर चलने पर आदर्श पब्लिक स्कूल का बोर्ड दिखा, जहां काफी भीड़ लगी थी । स्कूल में बच्चों का सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन था । जहां थानाध्यक्ष सुमन कुमार बच्चों को संबोधित कर रहे थे । उनके ये वाक्य हमारी कानों में गुंजी -“विकलांग लोग शरीर के किसी अंग से हो सकते हैं दिमाग से नहीं । काफी कोशिशों के बाद हमें थानाध्यक्ष का दीदार हुआ, जो शायद एक विकलांग बच्चे के साथ बैठकर उसकी हौसलाफजाई कर रहे थे ।
कई बच्चों ने कहा कि -दरोगा सर ने कहा कि बच्चों को एक टाईम भूखे रहकर भी पढ़ाऐं, उन्हें आटो ड्राईवर, या जूठन धोने दुकानों में ना भेजें । भीड़ काफी थी और हम लौटने लगे । रास्तों से गुजर रहे कई लोग आपस में बात कर रहे थे कि भाई -पहली बार कोई पुलिस वाला बच्चों के प्रोग्राम में शामिल होने आया, जो पूरे समय बच्चों के साथ बच्चों की तरह रहकर सभी के दिलों को जीत लिया। वास्तव में कल तक पुलिस के नाम से डरने एवं घृणा करने वालों की मानसिकता में बदलाव के लिए ऐसे अफसरानों की पोस्टिंग पुलिस पब्लिक मित्रता के लिए अहम कडी़ साबित हो सकती है ।