बिहार में कई राष्ट्रीय राजमार्ग हैं जिनकी हालत ग्रामीण सड़कों से भी बदतर है। कोसी क्षेत्र को भागलपुर से जोड़ने वाली एनएच 106 उन्हीं में से एक है। इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलना मौत को पराजित करने से कम नहीं है। नेताओं के बयान और सरकारी घोषणाओं को सुन लगता है कि यह जल्द तैयार हो जाएगा लेकिन यह एक दिवास्वप्न बनकर रह गया है। बातें सिर्फ हवा हवाई होती है, इस पर ध्यान देने वाला कोई नहीं। एनएच106 की बुरी हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उदाकिशुनगंज व्यवहार न्यायालय निरीक्षण के क्रम में यहां पहुंचे तो स्थिति देख भड़क गए। इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलते हुए उन्हें मौत की वैतरणी पार करने का अहसास हुआ। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा था कि वे सड़क नहीं बल्कि कोई वैतरणी पार कर रहे हैं।
देखिये भयावय दृश्यों को :-
इस एनएच पर सफर करना हर किसी के बस की बात नहीं है। बस से सफर हो या जीप से, मोटरसाइकिल हो या ऑटो, अगर आप गंतव्य पर पहुंच गए तो आप का चेहरा पहचानना मुश्किल हो जाएगा। धूल से भरा चेहरा देख कर लोग समझ जाएंगे कि एनएच 106 मधेपुरा से उदाकिशुनगंज का सफर कर उतरे हैं। धूल इतनी उड़ती है कि रास्ता दिखाई नही पड़ता। ऊपर से बड़े – बड़े गड्ढे, जिस कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है। जान जोखिम में डाल कर चलना मजबूरी बन गई है। सड़क के आस – पास घरों व दुकानों में भी धूल भर जाने से परेशानी होती है। इस मसले को लेकर लोग कई बार सड़कों पर उतरे भी, लेकिन ढाक के वही तीन पात। जनप्रतिनिधियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। एनएच 106 की स्थिति दयनीय है और प्रशासन मूकदर्शक बनी हुई है। इस सड़क पर पदाधिकारियों का बराबर आना- जाना होता है लेकिन कभी भी सुनने को नहीं मिलता कि सड़क खराब है, ऐसा लगता है कि पदाधिकारियों को इस सड़क पर सुकून और आराम महसूस होता है।
एनएच 106 की हालत किसी से छिपी नहीं है। बाजपेयी के कार्यकाल में स्वीकृत लगभग 900 करोड़ की लागत से बनने वाले इस एनएच का काम 2016 से शुरू हुआ, जिसे बनाने का टेंडर आईएल एंड एफएस कंपनी ने लिया। काम शुरू भी हुआ लेकिन कितना हुआ, यह हर कोई देख रहा है। एक साल से काम रुका हुआ है। जिस गति से काम हो रहा है उससे तो यही लगता है कि इसे पूरा होने में 10 साल तो जरूर लग जाएंगे।
एनएच106 की दुर्दशा पर हाइकोर्ट ने कड़ा रुख इख्तियार कर लिया है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र व राज्य सरकार और ठेका लेने वाली कंपनी के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस के इस एक्शन के बाद एनएच 106 की हालत में सुधार आने की प्रबल संभावना बनती दिख रही है। काश! चीफ जस्टिस महोदय पहले आते। काश! नेता भी आमलोगों के दुख दर्द को ऐसे ही महसूस करते जिस तरह से चीफ जस्टिस महोदय ने महसूस किया तो आज एनएच 106 अपनी बदहाली पर आंसू नही बहा रहा होता।
स्थानीय लोगों में सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश व्याप्त, आगामी चुनाव में बन सकता है बड़ा मुद्दा
एन.एच- 106 की बदहाली पर “द रिपब्लिकन टाइम्स” के कैमरे के सामने अपने दुःख और आक्रोश को व्यक्त करते हुए स्थानीय निवासी मोहम्मद अब्दुल करीम ने बताया किएन एच- 106 की हालत बहुत डेंजर है। इस रोड में जान बचाकर अगर घर वापस लौट जाते हैं, यही ऊपर वाले का बहुत बड़ा करम है। उन्होंने कहा कि मधेपुरा से लेकर केदुआ तक सड़क दुर्घटना (रोड एक्सीडेंट) बहुत ज्यादा होती रहती है। स्थानीय निवासी पंकज कुमार प्रतापके द्वारा बताया गया कि एन.एच- 106 बिगड़ी हुई स्थिति के कारण लगातार सड़क दुर्घटना में लोगों की जाने जा रही है।मधेपुरा मनारेगा मजदुर संघ के जिलाध्यक्ष, मोहम्मद रफीक आलमने एन.एच 106 की हालत पर अपने गुस्से का इजहार करते हुए बताया कि जब भी इस सड़क से गुजरते हैं, यह डर सताते रहता है कि घर वापस जा पाएंगे कि नहीं। उन्होंने कहा कि मधेपुरा से लेकर ढोलबज्जा तक बहुत बुरा हाल है । कभी-कभी यह भी देखा गया है कि ट्रक के नीचे मोटरसाइकिल चला गया, स्कूल जाने वाले बच्चे, चार पहिया वाहन के नीचे रौंदे जाते है , दस चक्का चढ़ गया, जिसे देख कर लोगों का दिल दहल जाता है । उन्होंने कहा कि इस सड़क की हालत शरद यादव के जमाने से बिगड़ी है । शरद यादव बोले थे कि इसका चौड़ीकरण कर एन.एच 106 में तब्दील कर दिया जायेगा, एनएच में तब्दील तो हो गया लेकिन स्थित जस की तस है, जिसका परिणाम शरद यादव को हार का मुंह देखकर करना पड़ा, और वर्तमान सांसद पप्पू यादव भी इस समस्या को दूर करने का वादा कर लोगों से वोट लिए लेकिन वे भी असफल रहे जिस कारण उनका भी अंतिम ही है।
एनएच 106 की बदहाली पर क्या कहते चिकित्सक
मधेपुरा के प्रसिध्द युवा चिकित्सक, डॉ. असीम प्रकाश ने कहा कि एनएच 106 पर कई बार हमने भी सफर किया है, सफर के दौरान जो स्थिति एनएच 106 की देखने को मिली, वह काफी भयानक और अफ़सोसनाक है। उन्होंने कहा कि इस एनएच 106 पर अब तक कई इंसानों की जाने जा चुकी है, लेकिन अफ़सोस अभी तक ना तो रियासती हुकूमत इसे गंभीरता से ले रही है, और ना ही स्थानीय जनप्रतिनिधि । डॉ श्री प्रकाश ने कहा कि इस एनएच पर सफर करने वाले लोगों को सांस की बीमारी हो जाएगी। जैसे सांस में इन्फेक्शन, फेफड़े की बीमारी, निमोनिया और सर्दी ख्नासी, के अलावा आँखों के लिए भी काफी खतरनाक साबित हो सकता है यह एनएच। वहीँ बच्चों के लिए भी यह एनएच काफी हानिकारक है। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि कुल मिलकर एनएच 106 बिमारियों का जड है, जिसका समाधान जल्द से जल्द करने की जरुरत है।
क्या कहते है जिलाधिकारी
एनएच 106 की बदहाली से संबंधित सवाल पूछने पर जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला ने कहा कि कॉन्ट्रैक्टर की आर्थिक स्थिति ख़राब हो जाने के कारण इस एनएच 106 का कम बंद पड़ा है, इस संबंध में उच्च स्तरीय बैठक हुई। वहीँ पिछले माह हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी इस एनएच की बदहाली पर खुद से संज्ञान लिया है। आशा है जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जायेगा।