पौष मास की पूर्णिमा अर्थात पौष पूर्णिमा इस वर्ष अत्यंत शुभ संयोग में पड़ रही है। यह पूर्णिमा सूर्य और चन्द्र के मिलन का दिन माना जाता है, इसके साथ ही इस बार पूर्णिमा सोमवार को पड़ रही है जो चंद्रमा का दिन माना जाता है। यानि पौष मास का ये खास दिवस सोमवारी पूर्णिमा होने के कारण अत्यंत शुभ फलदायी हो गया है।
पौष मास में भगवान भास्कर ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तप करके सर्दी से राहत देते हैं, पौष के महीने में सूर्य देव की विशेष पूजा-उपासना से मनुष्य जीवन-मरण के चक्कर से मुक्ति मिल जाती है। पौष पूर्णिमा के दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान, दान और सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। इस दिन गंगा स्नान करने से तन, मन और आत्मा तीनों नए हो जाते हैं, इसीलिए इस दिन संगम तट पर स्नान के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
पौष पूर्णिमा को होता है सूर्य चंद्रमा का संगम
कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा के अनुसार पौष मास को सूर्य देव का माह माना जाता है। इस मास अवधि में सूर्य देव की आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी या तीर्थ में स्नान करने के बाद भगवान भास्कर को अर्ध्य देने से पितृ दोष, त्वचा संबंधी रोग, वात-विकार आदि का नाश होता है। पंडित झा ने बताया कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा का अनोखा संगम होता है, क्योंकि ये माह सूर्य देव का है जबकि पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि होती है। इसीलिए इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है । मोक्ष की कामना रखने वाले जातक पौष माह की इस पूर्णिमा को बहुत शुभ मानते हैं। इसी दिन से माघी स्नान और कल्पवास भी शुरू हो जाएगा ।
बढ़ेगा ठंढ का प्रकोप
ज्योतिषी राकेश झा ने कहा कि नए साल का पहला पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में 21 जनवरी दिन सोमवार को मनाया जाएगा, पूर्णिमा के दिन सोमवार और पुष्य नक्षत्र पड़ने से इस दिन ठंढ का प्रकोप बड़ा हुआ होगा, इसी दिन साल का पहला पूर्ण चन्द्र ग्रहण भी लगेगा। पौष पूर्णिमा 20 जनवरी रविवार को बनारसी पंचांग के अनुसार दोपहर 01 : 25 बजे से आरंभ हो जाएगा। वहीं मिथिला पंचांग के मुताबिक दोपहर 01 : 37 बजे से शुरू होगा, लेकिन स्नान-दान की पूर्णिमा उदयातिथि के अनुसार 21 जनवरी को मनाया जाएगा।
पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 6:12 बजे से सुबह 10:46 बजे तक हैं, साल के पहला पूर्णिमा पर शुभ संयोग होने से इस दिन श्रद्धालु अपने घरों में सुख-शांति व समृद्धि के लिए सत्यनारायण की पूजा, शंखनाद, हवन आदि करेंगे I पंडित झा ने बताया कि इस दिन घर में कर्पूर जलाने तथा शंखनाद करने से नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इस दिन देवालय में दीप करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है।
माघी स्नान व कल्पवास से मिलेगी सद्गति
पंडित झा ने बताया कि माघ महीने की अनुशासित साधना साल के ग्यारह महीने धर्म,अर्थ, काम व मोक्ष प्रदान करती है। माघ स्नान से मनुष्य के शरीर में स्थित पाप जल कर भस्म हो जाते हैं। पौष पूर्णमासी से माघ स्नान प्रारम्भ करना चाहिए। ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, आदित्य, मरुद्गण तथा अन्य सभी देवी-देवता माघ मास में संगम स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रयाग में माघ मास में हर दिन तीन बार स्नान करने से जो फल मिलता है, वह पृथ्वी पर दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता। धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध में मारे गए अपने रिश्तेदारों को सद्गति दिलाने हेतु मार्कण्डेय ऋषि के सुझाव पर कल्पवास किया था। यहां स्नान करने से निरोगी काया और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।