सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो गया । आज से हिंदुओं के सभी शुभ कार्य, जैसे शादी-विवाह, उपनयन, मुंडन और गृह प्रवेश आदि शुरू हो जाएंगे। शास्त्रों में शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्व है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का हाेना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। विगत कई वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष मंगलकारी नक्षत्रों के राजा पुष्य का गुरु और रवि के साथ संयोग पिछले वर्षों से अधिक बन रहा है I इस वर्ष 12 महीनों में पांच दिन रवि और 3 दिन गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग रहेगा । रवि गुरु के साथ पुष्य नक्षत्र का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं I इन तिथियों पर शादी ब्याह काे बेहद शुभ माना गया है।
कल से बनेंगे विवाह के शुभ योग, गूंजेगी शहनाई
कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही महीने भर से चला आ रहा खरमास समाप्त हो गया। खरमास के समापन के साथ ही मांगलिक कार्य का सिलसिला आरंभ हो गया है । पंडित झा के मुताबिक पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार 22 लग्न अधिक है। इसलिए इन लग्नों में शादियां भी ज्यादा होंगी। उन्होंने कहा कि कल से लेकर 11 जुलाई तक कुल 65 वैवाहिक शुभ लग्न है ।
ज्योतिषी झा के अनुसार खरमास के खत्म होने के साथ ही मांगलिक व वैवाहिक कार्य शुरू हो गए है। वर्ष 2018 में 43 दिन विवाह के मुहूर्त थे। जिसकी तुलना में नए साल में 65 दिन विवाह के मुहूर्त रहेंगे। 10 फरवरी को बसंत पंचमी का अबूझ मुहूर्त रहेगा, वहीं 14 मार्च को होलिकाष्टक व 15 मार्च से मलमास होने के कारण एक माह तक मांगलिक कार्य पर विराम लग जायेगा। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने से 15 मार्च से 14 अप्रैल तक खरमास रहेगा।
ऐसे तय होते है शुभ लग्न-मुहूर्त
पटना के प्रमुख ज्योतिष विद्वान पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है । वहीं नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक जा रहना जरूरी है I अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है । उन्होंने ने बताया कि यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा I तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है I विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है ।