मधेपुरा : हरदिल अज़ीज़ गायक अज़ीज़ के निधन से नवाचार रंगमंडल के रंगकर्मियों में शोक की लहर

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अमन कुमार
संवाददाता, सदर, मधेपुरा

मधेपुरा/बिहार : देश की चर्चित पार्श्व गायक एवं 20 हजार से अधिक गाना गाने वाले मो अज़ीज़ अब इस दुनिया में नहीं रहे। मंगलवार को मुंबई में उनका निधन हो गया, डॉक्टरों के मुताबिक उनका निधन हृदयघात की वहज से हुआ। हार्ट अटैक से गायक के निधन की खबर मिलते ही नवाचार रंगमंडल के सभी रंगकर्मियों शोकाकुल हो गए। सिंघेश्वर प्रखंड क्षेत्र के सुखासन पंचायत में सात दिवसीय नवाचार रंगमंडल के द्वारा रंग कार्यशाला के दौरान प्रशिक्षक एवं प्रशिक्षुओं ने शोक सभा आयोजित कर दो मिनट का मौन धारण कर मो अज़ीज़ी को श्रद्धांजलि अर्पित किया।

मौके पर कार्यशाला निदेशक सुमन कुमार ने कहा कि मो अज़ीज़ के निधन से देश और प्रदेश को एक अपूरणीय क्षति हुई है। देश ने एक महान गायक को खो दिया है। अपने फन से लोगों के दिलों पर राज करने वाले पार्श्व गायक मो अज़ीज़ एक ऐसे फनकार थे जो अपनी दिलकश आवाज के दम पर इतने दिनों तक जनता के दिलों पर राज करती रहे।

 स्थानीय कलाकारों ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि बीते 20 नवंबर को आयोजित को पास में महोत्सव में अपनी प्रस्तुति से अमिट छाप छोड़ चुके अज़ीज़ साहब अब दुनिया के किसी मंच पर नहीं दिखेंगे। गोपाष्टमी महोत्सव के अवसर पर मधेपुरा की धरती के लिए बड़े गौरव की बात थी कि मो अजीज के गानों को सुनने का मौका मिला और शायद मधेपुरा के लोगों के लिए अंतिम दर्शन भी था। उन्होंने कहा कि गौशाला परिसर में आयोजित गोपाष्टमी महोत्सव के अवसर पर उनके द्वारा सुनाए गए गाने आज भी लोगों के कानों में गूंज रहा है। आज भी लोग उनके द्वारा गाए गए गाना बड़ी दूर से आए हैं प्यार का तोहफा लाए हैं………, जाने दो जाने दो मुझे जाना है……… को भूल नहीं पा रहे हैं। साथ ही उन्होंने जो स्थानीय कलाकारों को शिक्षा दी वह हमेशा सबको याद रहेगी। मो अज़ीज़ ने कहा था कि पुराने गानों का क्रेज कभी खत्म नहीं हो सकता है। करण प्रिय संगीत गीतों के अल्फाज हमेशा लोग गुनगुनाते रहेंगे, यही कारण है कि आज भी अगर हिट गाने की बात होती है तो पुराने गीतों को ही हिट माना जाता है।

 भारतीय संगीत का भात और बहुत सुनहरा था। कलाकार अच्छे शायर के साथ साथ बेहतर अल्फाज में गीतों की रचना भी करते थे। ऐसी गीतों को गाकर कलाकार भी अमर हो जाता है।

 मौके पर चंदन, सतीश, प्रशिक्षु अमीषा, अंजली, गुरूनन्दन, अमन, मनीष, शिवानी, रवि, रितू, अंकित, मृत्युंजय, मन्नू के साथ अन्य प्रशिक्षु मौजूद थे।


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