छातापुर/सुपौल/बिहार : नहाय-खाय के साथ ही रविवार से छातापुर प्रखंड क्षेत्र में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो गई । इस दौरान व्रती अरवा चावल का भात, चने की दाल व कद्दू (लौकी) की सब्जी को प्रसाद के रुप में ग्रहण किया । इस दिन खाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है । नहाय-खाय वाले दिन से छठ पर्व की शुरुआत मानी जाती है ।
ज्ञातव्य है कि नहाय-खाय के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन व्रती पुरे दिन उपवास कर शाम में स्नान के उपरान्त विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर भगवान भास्कर की अराधना कर प्रसाद ग्रहण करती हैं। इस पूजा को ‘खरना’ कहा जाता है। व्रती के खाने के बाद इसे लोगों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। खरना सोमवार को है।इसके अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि (इस साल 13 नवंबर) को व्रती उपवास रखकर शाम को टोकरी (बांस से बना दउरा) में ठेकुआ, फल, ईख समेत अन्य प्रसाद लेकर नदी, तालाब, या अन्य जलाशयों में जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगी।इसके बाद पर्व के चौथे दिन सप्तमी तिथि को सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर घर वापस लौटकर व्रति अन्न-जल ग्रहण कर ‘पारण’ करते हैं यानी व्रत तोड़ती हैं।
सनद रहे कि चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व को लेकर हर तरफ माहौल भक्तिमय हो गया है। लोगों के अंदर भारी उल्लास का माहौल देखा जा रहा है। पर्व के लिए जरुरी समान खरिदने को लेकर बाजारों में भारी भीड़ देखने को मिल रही है। जगह-जगह छठ मइया के गीत बज रहे हैं।
छठ व्रत के दिन व समय नहाय-खाए- 11 नवंबर, दिन रविवार खरना – 12 नवंबर, दिन सोमवार सायंकालीन अर्घ्य – 13 नवंबर (मंगलवार), शाम 5.25 बजे तक प्रात:कालीन अर्घ्य व पारण – 14 नवंबर (बुधवार), सुबह 6.35 से आरंभ