चौसा/मधेपुरा/बिहार : बीते 6 मई को अफगानिस्तान में आतंकवादी द्वारा अगवा किये गए 7 भारतीयों में एक मधेपुरा जिला के चौसा प्रखंड के लौआलगान पश्चिमी निवासी मंटू सिंह के परिजनों के आँखों के आंसू सुख भले ही गए हों लेकिन उनकी आँखें उन्हीं के इन्तजार में पथराई हुई है। खबर है कि परिजनों ने दशहरा में नहीं मनाई थी खुशियाँ और ना ही दीपावली में जलाएंगे दीप।
ज्ञातव्य है कि मधेपुरा जिला के चौसा प्रखंड अंतर्गत लौआलगान पश्चिमी पंचायत निवासी मंटू सिंह की अफगानिस्तान से 6 मई को तालिबानियों द्वारा अपहरण कर लिया गया है।महीनों बीत जाने के बावजूद उसका अबतक कोई सुराग नहीं मिला है और न ही रिहाई हुई है । इससे परिजन समेत ग्रामीण चिंतित हैं।
हालांकि इस प्रकरण के बाद परिजन मंटू के नियोक्ता बिजली कंपनी से लेकर विदेश मंत्री, क्षेत्रीय सांसद, विधायक और कई कद्दावर नेता से मिल चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक मंटू सिंह की कोई खबर नहीं है । सिर्फ कंपनी की तरफ से हर महीने कुछ रुपया भेज दिया जाता है। लेकिन मंटू सिंह के बारे में कुछ बताने से इंकार चला जाता है। इससे सबों की चिंता और बढ़ रही है। बताया गया कि आरपीजी समूह की बिजली सब स्टेशन बनाने वाली भारतीय कंपनी केईसी में काम करने वाले मंटू सिंह इसी साल जनवरी में अफगानिस्तान गए थे। वहां उन्हें 460 डालर पगार मिलता था। इसी से उनके परिवार की रोजी रोटी चल रही थी । इस घटना के बाद से परिवार में सभी लोग दहशत में हैं।
अपहृत के भाई कहते हैं
मंंटू के भाई डोमन कुमार ने बताया कि उसकी बात सिर्फ कंपनी के एचआर विभाग से हो रही है और वे लोग कह रहे हैं कि लोकल और राजनयिक स्तर पर वार्ता हो रही है। वे लोग यह भी कह रहे हैं कि उनके भाई समेत अन्य अगुआ हुए कर्मचारी सुरक्षित हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, क्षेत्रीय विधायक नरेंद्र नारायण यादव, क्षेत्रीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव , कांग्रेस नेता केेेसर कुुुमार सिंह तथा कई बड़े पार्टी के कद्दावर नेता से गुहार लगाया लेकिन सिर्फ निरासा ही मिली है।
उन्होंने बताया कि मधेपुरा के डीएम और एसपी को भी इस मामले में ग्रामीण स्तर से आवेदन दिया गया । लेकिन किसी प्रकार की सूचना नहीं मिली। अपने भाई के सकुशल वापसी के लिए हर दर जा रहे हैं किन्तु कहीं से कोई सकारात्मक उम्मीद नज़़र नहीं आ रहा है ।बकौल डोमन कंपनी हर महीने कुछ रूपये देती है ।सिर्फ कंपनी के कुछ रूपये देने से हमारी समस्या समाप्त नहीं होगी। हमारी भाभी और भतीजा- भतीजी की हर सुबह जब आँख खुलती है तो यह आस रहती है की आज खुश खबरी मिलेगी। उसकी नज़र अपने मंटू भैैया के आने का इन्तेजार करती रहती है। डोमन ने यह भी बताया कि शुरुआत मेें सब साथ थे , लेकिन धीरे-धीरे सब साथ छोड़ रहे हैं।कोई सुधि लेने वाला नहीं है । लिहाजा इस बार परिवार ने दशहरा नहीं मनाया और अब दीपावली भी नहीं मनाएंगे । छठ पूजा मेें भी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित नहीं करेंगे ।
बहरहाल उक्त बाबत मंटू के परिजन का निर्णय कदाचित् मानवता और समाज को झकझोर देने वाला है । मंटू की रिहाई के लिए विभिन्न स्तर से पहल होना ही चाहिए ।