बच्चे ही हैं समाज एवं राष्ट्र के भविष्य, बच्चों को दंड देने के बजाय उनमें सुधार लाने की जरूरत : प्राचार्य

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मधेपुरा/बिहार : सामान्यत: आठ से सोलह वर्ष तक के बच्चे द्वारा किया गया कानून-विरोधी या समाज-विरोधी कार्य बाल अपराध कहलाता है. ऐसे अपराध को कम करने में मनोविज्ञान की महती भूमिका होती है. उक्त बातें शनिवार को स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में आयोजित सेमिनार को संबोधित करते ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय मधेपुरा के प्राचार्य डा कैलाश प्रसाद यादव ने बतौर मुख्य अतिथि कही. सेमिनार का विषय बाल अपराध में मनोविज्ञान की भूमिका था. प्राचार्य डा कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि सामान्यत: बाल अपराध दोषपूर्ण पारिवारिक माहौल से उपजी मनोवैज्ञानिक समस्या है. इसलिए बाल अपराध को रोकने में परिवार, समाज एवं मनोवैज्ञानिकों की बड़ी भूमिका है

बच्चों को दंड देने के बजाय उनमें किया जाये सुधार : प्राचार्य डा कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि बच्चों को दंड देने के बजाय उनमें सुधार किया जाये. इसलिए बाल अपराध को रोकने के लिए दो प्रकार के उपाय किये गये हैं. प्रथम उनके लिये नये कानूनों का निर्माण किया गया है और द्वितीय सुधार संस्थाओं एवं स्कूलों का निर्माण किया गया है.

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 बच्चे ही हैं समाज एवं राष्ट्र के भविष्य : उप कुल सचिव स्थापना डा सुधांशु शेखर ने कहा कि बच्चे ही समाज एवं राष्ट्र के भविष्य हैं. उनको समग्र विकास का समुचित अवसर मिलना चाहिये माता-पिता के साथ-साथ समाज एवं सरकार को भी बच्चों के ऊपर सर्वाधिक ध्यान देना चाहिये. उन्होंने कहा कि बच्चे भगवान के रूप होते हैं. कोई भी बच्चा जन्म से अपराधी नहीं होता है. यदि हम बच्चों को परिवार एवं समाज में बेहतर माहौल उपलब्ध करायेंगे और सभी बच्चों को समुचित पोषण एवं शिक्षण उपलब्ध करायेंगे, तो बाल अपराध में निश्चित रूप से कमी आयेगी.

बच्चों के सर्वांगीण विकास में है मनोविज्ञान की महती भूमिका : कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डा शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास एवं उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने में मनोविज्ञान की महती भूमिका है. बच्चों का बेहतर काउंसलिंग करके हम उन्हें बाल अपराध से दूर रख सकते हैं.

मनोविज्ञान के क्षेत्र में बढ़े हैं रोजगार के अवसर : अतिथि व्याख्याता डा राकेश कुमार ने कहा कि आधुनिक युग में समाज में मनोवैज्ञानिक समस्यायें बढ़ती जा रही है. आज सभी उम्र के लोगों को मनोवैज्ञानिकों के सलाह की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में मनोचिकित्सकों एवं काउंसलरों का मांग बढ़ी है. इससे मनोविज्ञान के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं.

मौके पर प्रियंका भारती, पूनम, जुगनू, अंजलि शिवानी, खुशबू, कुंदन, झूमा, मोनिका जोशी, कोमल, नूतन, विमल कुमार, उदय, प्रवेश कुमार, मिथिलेश कुमार मंडल, बबलू कुमार, मनीषा कुमारी, आंचल कुमारी गुप्ता, सोनम, सोनाली, बबली, लवली कुमारी, पूजा, साधना, किंशु आदि ने शोध-पत्र प्रस्तुत किया.

अमित अंशु की रिपोर्ट


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