घोषणा के बाद भी पत्रिका, रजत विशेषांक, जर्नल का प्रकाशन नहीं करने व स्मारिका प्रकाशन बंद करने पर एआईएसएफ ने जताया ऐतराज

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मधेपुरा/बिहार : पिछले दस जनवरी को अपने स्थापना के 31 साल पूरा कर चुके भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में स्थापना दिवस को औपचारिक रूप से मनाने,  स्मारिका प्रकाशित नहीं करने को छात्र संगठन एआईएसएफ की बीएनएमयू इकाई ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और आगामी भूपेंद्र नारायण मंडल की जयंती पर हर हाल में स्मारिका प्रकाशन की मांग की है।

संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि कितना दुखद है, कुछ वर्ष पहले तक बीएनएमयू में प्रकाशित होने वाली स्मारिका विश्वविद्यालय के विकास, संकल्प, सफर व भावी योजना को समझने का मौका देती थी साथ ही महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कुलपति के शुभकनाओं से लैस विद्वानों के लेख का संकलन भी होता था। लेकिन राष्ट्रीय फलक पर पहचान की उम्मीद पाले विश्वविद्यालय में स्मारिका प्रकाशन भी अब बंद कर दिया गया है। पिछले साल शिकायत करने पर इस साल प्रकाशित करने की बात कही गई थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया, स्मारिका में तस्वीरों के माध्यम से विश्वविद्यालय की उपलब्धि व गतिविधि का भी दीदार होता था।

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एआईएसएफ नेता राठौर ने विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि विगत कुछ वर्षों में बीएनएमयू की पत्रिका प्रकाशन व रजत विशेषांक की चर्चा कर कई कमिटियां बनी बैठकों में बड़े बड़े दावे हुए लेकिन हकीकत यही कि प्रकाशन अभी तक नहीं हुआ वहीं पूर्व से प्रकाशित हो रही स्मारिका का विगत कुछ वर्षों से प्रकाशन नहीं होना विश्वविद्यालय उस सोच को हास्यास्पद बनाता है जिसमे राष्ट्रीय फलक पर पहचान की बात होती है। छात्र नेता राठौर ने इसे उदासीनता के साथ साथ नए संकल्प की आड़ में पुराने संकल्प को भुलाने की सोच बताया और कहा कि पुनः प्रकाशन कर जहां बीएनएमयू प्रशासन की उपलब्धि सोच व संकल्प को समझने का मौका पुनः मिलेगा वहीं विभिन्न क्षेत्रों में छात्र, शिक्षक व कर्मचारियों की विलक्षण उपलब्धि को समाज के बीच ले जाने का प्लेटफॉर्म भी।  कुलपति और वरीय पदाधिकारी इसको लेकर अगर गंभीर होंगे तो विश्वविद्यालय की एक अच्छी परम्परा के जीवंत होने की उम्मीद जगेगी, साथ ही कुलपति को लिखे पत्र में राठौर ने मांग किया कि रजत जयंती को समर्पित अंक को अविलंब प्रकाशित किया जाए व स्मारिका प्रकाशित हर साल करने की गारंटी भी।


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