मधेपुरा/बिहार : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय इन दिनों छात्रों के लिए शिक्षा का मंदिर होने के बजाय आंदोलन का अखाड़ा बनकर रह चुका है. अब छात्र भी बीएनएमयू के कार्यशैली से आजीज हो चुके हैं. स्थिति यह हो चुकी है कि छात्रों को अपनी समस्याओं के निदान को लेकर जब बीएनएमयू से कोई समाधान नहीं मिलता है तो उन्हें अंततः न्यायालय का सरल लेना पड़ता है. अदालत भी यह स्वीकार करती है कि बीएनएमयू ने छात्र के साथ अन्याय किया है. पटना उच्च न्यायालय द्वारा बीएड 2020-22 में मनचाहे नामांकन लेने के मामले में दो दिसंबर को बीएनएमयू पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है और यह राशि नामांकन प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों से लेकर पीड़ित छात्र मो शहबाज को देने का निर्णय सुनाया है. वहीं कोर्ट ने संजीव व अवनीत कुमार समेत उन 17 छात्रों के बीएड की डिग्री पर रोक लगा दी है, जिनका नामांकन 30 दिसंबर को तीन बजे के बाद हुआ था.
विश्वविद्यालय प्रशासन के लापरवाही के कारण 17 छात्रों का भविष्य बर्बाद : बीएड 2020-22 के ऑन-स्पॉट नामांकन प्रकरण मामले में विवि पर कोर्ट द्वारा पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाये जाने व 17 छात्रों का डिग्री रद्द किए जाने को लेकर सिनेट, सिंडिकेट सदस्य समेत कई छात्र संगठनों के नेताओं व अन्य लोगों ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है. साथ ही विवि प्रशासन पर मामले में लापरवाही का आरोप भी लगाया है. लोगों ने साफ कहा कि सिर्फ और सिर्फ विवि प्रशासन के लापरवाही के कारण 17 छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. साथ ही विवि का नाम भी धूमिल हुआ है. वहीं बीएड 2020-22 सत्र के 13 सौ छात्रों का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है. विवि प्रशासन समय पर मामले में संलिप्त अधिकारियों की जांच कर कार्रवाई करती तो आज यह नौबत नहीं आती. वहीं कोर्ट द्वारा विवि पर जुर्माना लगाने व 17 छात्रों की डिग्री रद्द करने के बाद भी विवि प्रशासन नामांकन घोटाले में शामिल अधिकारियों कार्रवाई नहीं कर रही है, जो कि न्यायालय के निर्देश की अवहेलना है.
विश्वविद्यालय में हो रहा था प्रदर्शन. मुख्यालय में नहीं थे कोई अधिकारी : बीएनएमयू पर जुर्माना लगाने व मामले में संलिप्त लोगों पर अब तक कार्रवाई नहीं होने से नाराज अभाविप नेताओं ने सोमवार को विवि में तालाबंदी किया और जमकर प्रदर्शन किया. साथ ही कुलपति कार्यालय समेत सभी कार्यालय में ताला लगाया गया. इस दौरान कई कार्यालय में अभाविप नेताओं एवं कर्मियों में थोड़ी बहस भी हुई, लेकिन अलग बात यह थी कि प्रदर्शन के दौरान कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव, कुलानुशासक विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद नहीं थे. इन अधिकारियों के अलावा कई अधिकारी बीएनएमयू अंतर्गत एक संबद्ध महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल थे. इसको लेकर भी कई लोगों ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर स्थिति है कि विश्वविद्यालय में प्रदर्शन हो रहा है और कोई भी अधिकारी विवि में मौजूद नहीं हैं. उन्होंने कहा कि विवि पर गंभीर आरोप लगे हैं और जुर्माना भी देना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में विवि के कार्यशैली में सुधार लाने की ज्यादा आवश्यकता थी, ना की किसी कार्यक्रम में भाग लेने की जरूरत थी. प्रदर्शन के दौरान कोई अप्रिय घटना हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता?
मधेपुरा से अमित कुमार अंशु की रिपोर्ट