मधेपुरा/बिहार : यूएमआईएस मामले को लेकर लगातार फजीहत झेल रही भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय को आखिरकार सीआईडी के जांच का सामना करना पड़ा. गुरुवार को लगभग एक बजे भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में काफी दिनों से चल रहे, यूएमआईएस प्रकरण की जांच के लिए सीआईडी टीम विश्वविद्यालय परिसर पहुंची. हालांकि इस जांच के दौरान बीमार होने समेत अन्य कारणों से कुलपति प्रो डा राम किशोर प्रसाद रमण एवं प्रति कुलपति प्रो डा आभा सिंह मौजूद नहीं थी. सीआईडी टीम के विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचते हीं परिसर में हड़कंप मच गया एवं सन्नाटा पसर गया. संबंधित विभाग के अधिकारी एवं कर्मी हाथों में फाइल लिए इधर-उधर जाते दिख रहे थे. अन्य अधिकारी एवं कर्मी तथा अन्य लोग सीआईडी टीम की विश्वविद्यालय में आने का कारण जानने की कोशिश कर रहे थे. लगभग एक बजे पहुंचने वाली सीआईडी टीम देर शाम विश्वविद्यालय परिसर से निकली.
मामले में कुछ भी बताने से अधिकारियों ने किया इंकार : मामले को लेकर विश्वविद्यालय के अधिकारी से लेकर सीआईडी की टीम ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. लगभग चार घंटे तक चली जांच में सीआईडी टीम ने कुलपति कार्यालय में बीएनएमयू कुलसचिव प्रो डा मिहिर कुमार ठाकुर, प्रॉक्टर डा बीएन विवेका, छात्र कल्याण अध्यक्ष डा अशोक कुमार यादव आदि से बारी-बारी पूछताछ किया और संबंधित कागजातों का बारीकी से जांच किया. मालूम हो कि बीएनएमयू में काम कर रही यूएमआईएस की कंपनी ने विश्वविद्यालय के खिलाफ उच्च न्यायालय में केस दर्ज कराया गया था. कंपनी का अनुबंध एक वर्ष के लिए था तथा उसके बाद संतुष्टि के आधार पर चार वर्ष का विस्तार होना था. इस बीच तत्कालीन कुलपति रिटायर हो गये और प्रभारी कुलपति ने मामला राजभवन भेजा. वहां से निर्देश लेकर नया टेंडर कर दिया गया.
नया टेंडर निकालने से नाराज पुरानी कंपनी ने पहुंची हाई कोर्ट : नया टेंडर निकालने से नाराज कार्य कर रही पुरानी कंपनी ने उच्च न्यायालय में अपील किया. अपील के दौरान उच्च न्यायालय दोनों पक्षों की ओर से कुछ बातें स्पष्ट नहीं करने, को गंभीरता से लेते हुए पूरे प्रकरण की जांच के लिए आदेश दिया. उसके कुछ दिनों बाद बीएनएमयू ने न्यायालय से आग्रह किया कि छात्रों का सत्र लेट होने से बचाने के लिए वह पुरानी कंपनी से काम लेने को तैयार है. इस बीच पुरानी कंपनी ने भी कोर्ट को बताया मधेपुरा में काम करने में उसे खतरा महसूस हो रहा है. हाईकर्ट में एसपी को सुरक्षा मुहैया कराने कहा और वर्तमान में पुरानी कंपनी कार्यरत है.
जांच से हो सकता है नए तथ्यों का खुलासा :
सीआइडी जांच को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन एवं कार्यरत कंपनी, दोनों हड़कंप है. यह अंदेशा है कि जांच के दौरान नये तथ्यों का खुलासा हो सकता है. उच्च न्यायालय इन तथ्यों के आधार पर, और भी कड़ा कदम उठा सकती है. सीआईडी टीम में सीआईडी एडिशनल एसपी राजेश कुमार, सीआईडी डीएसपी अमरकांत प्रसाद समेत कई सीआईडी इंस्पेक्टर मौजूद थे, वहीं विधि व्यवस्था के लिए दल-बल के साथ सदर थानाध्यक्ष सुरेश प्रसाद सिंह भी मौजूद थे.

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