बिहार का अजूबा विश्वविद्यालय-पंजीयन विभाग को पता तक नहीं है ऑनलाइन माइग्रेशन मिलने की बात

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मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू के अधिकारी हर मंच से विश्वविद्यालय को पूरी तरह ऑनलाइन कहने से नहीं चूकते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि छात्रों को छोटे से छोटे कार्यों के लिए भी विवि का चक्कर काटना पड़ता है. विवि प्रशासन अपनी वेबसाइट को लेकर पूरी तरह अपडेट बताता है, लेकिन जब भी किसी परीक्षा का परिणाम घोषित किया जाता है, तब एक नया वेबसाइट बनाया जाता है. परिणाम जारी होते हैं वेबसाइट क्रैश हो जाता है. विवि के वेबसाइट पर छात्रों के लिए जितनी सुविधाएं दिखाई जाती है, जमीनी स्तर पर उतनी मिल नहीं पाती है. बीएनएमयू सभी प्रमाण-पत्र ऑनलाइन देने का दावा करती है, लेकिन रोजाना सैकड़ों छात्र प्रमाण-पत्र लेने के लिए विवि का चक्कर काटते हैं. हाल के दिनों में बीएनएमयू ने मूल प्रमाण-पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन करने वालों का प्रमाण-पत्र देना शुरू किया, लेकिन यह भी छात्र संगठनों एवं छात्रों के आंदोलन के बाद शुरू हुआ है. साथ ही इनमें कई ऐसे आवेदन करने वाले छात्र हैं, जिन्होंने महीनों पूर्व मूल प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन किया था और लगातार विवि के चक्कर काटने के बाद बीते कुछ दिन पहले उन्हें प्रमाण पत्र हासिल हुआ.

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पंजीयन विभाग को पता तक नहीं है ऑनलाइन माइग्रेशन मिलने की बात : बीएनएमयू के वेबसाइट पर माइग्रेशन प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन करने को लेकर ऑप्शन तो दिया गया है, लेकिन वह सिर्फ वेबसाइट पर ही रह गया है. बीएनएमयू के वेबसाइट पर माइग्रेशन प्रमाण-पत्र के लिए छात्र आवेदन भी कर रहे हैं, लेकिन महीनों इंतजार करने के बाद भी उन्हें माइग्रेशन प्रमाण-पत्र नहीं मिल रहा है. स्थिति यह है कि पंजीयन विभाग को ऑनलाइन माइग्रेशन मिलने की बात पता तक नहीं है. वही विवि के ऑनलाइन कार्यों को देखने वाले विभाग की माने तो अभी फिलहाल माइग्रेशन के लिए ऑनलाइन की सुविधा नहीं है. अब सवाल यह उठता है कि जब विवि में माइग्रेशन के लिए ऑनलाइन सुविधा नहीं थी तो वेबसाइट पर डालने की जरूरत क्या थी. विवि के इस लापरवाही से छात्र शारीरिक, आर्थिक एवं मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं.

बीएनएमयू में अब भी लिया जा रहा है पुराने तरीके से ही आवेदन : राजभवन के निर्देश के बावजूद बीएनएमयू में ऑनलाइन आवेदन करने वाले छात्रों को प्रमाण-पत्र उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. छात्र-छात्राओं के द्वारा किए गए आवेदन विवि में पेंडिंग है, लेकिन विवि इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है. आश्चर्य की बात है कि बीएनएमयू ने ऑनलाइन मिले आवेदनों पर ध्यान ही नहीं दिया है, जिससे ये आवेदन पेंडिंग रह रहे हैं और दूसरी तरफ छात्र प्रमाण-पत्र मिलने का इंतजार करते रहते हैं. विवि की इस लेटलतीफी पर राजभवन ने कई बार नाराजगी भी जताई है और इसे ठीक करने का निर्देश दिया है. एक ओर जहां राज्य के अन्य विवि में ऑफलाइन प्रक्रिया को छोड़ ऑनलाइन पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, वहीं बीएनएमयू में अब भी पुराने तरीके से ही आवेदन लिया जा रहा है. इससे छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी होती है. दिनभर माइग्रेशन प्रमाण-पत्र के लिए पंजीयन शाखा में छात्रों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन विवि प्रशासन इस प्रक्रिया में बदलाव नहीं कर रहा है.

बीएनएमयू में कई महीनाें से माइग्रेशन के लिए आवेदन है पेंडिंग : विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण हुए छात्र-छात्राएं मूल प्रमाण पत्र, अंक प्रमाण-पत्र, माइग्रेशन, प्रोविजनल सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करते समय छात्र-छात्राओं को दो सौ रुपए का ऑनलाइन शुल्क भुगतान करना होता है. इसके बाद विवि की ओर से छात्र के उनके दिए गए पते पर सर्टिफिकेट भेजा जाता है. 30 दिन के अंदर उन्हें सर्टिफिकेट देने का निर्देश है, लेकिन बीएनएमयू में कई महीनाें से माइग्रेशन के लिए आवेदन पेंडिंग है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि वेबसाइट पर छात्रों के द्वारा दी जा रही जानकारी माइग्रेशन प्रमाण-पत्र उपलब्ध करवाने के लिए पर्याप्त नहीं है. ऑनलाइन आवेदन करते समय वेबसाइट पर छात्र-छात्राओं से कागजात नहीं मांगा जाता है. जिसके कारण प्रमाण-पत्र तैयार करने में काफी कठिनाई होती है.

डा नवीन कुमार, परीक्षा नियंत्रक, बीएनएमयूइस बाबत पूछे जाने पर बीएनएमयू, उप कुलसचिव पंजीयन डा दीनानाथ मेहता ने बताया कि विश्वविद्यालय की बेवसाइट पर माइग्रेशन के ऑनलाइन आवेदन लिए जाने की जानकारी मुझे नहीं है. विश्वविद्यालय के पंजीयन शाखा द्वारा अभी सिर्फ ऑफलाइन माइग्रेशन प्रमाण-पत्र ही निर्गत किया जाता है.

वहीं बीएनएमयू के परीक्षा नियंत्रक डा नवीन कुमार ने बताया कि बीएनएमयू के वेबसाइट पर ऑनलाइन माइग्रेशन प्रमाण-पत्र निर्गत के संबंध में मुझे जानकारी नहीं है. इस संबंध में कुलसचिव ही कुछ बता सकते हैं.

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

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