प्लस टू का दर्जा तो मिला लेकिन शुरू नहीं हुई अब तक नामांकन की प्रक्रिया

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मधेपुरा/बिहार : सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नित्य नई-नई योजनाएं बना रही है। बावजूद सरकार की नीति व योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही है। जिले के उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित विद्यालय को अपग्रेड कर प्लस टू का दर्जा तो दे दिया गया। पर चार वर्ष बाद भी विद्यालय में नामांकन शुरू नहीं हो सका। वही अपग्रेड विद्यालय में अधिकारियों की उदासीनता से भवन निर्माण नहीं हो सका।

मालूम हो कि प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिंगारपुर को पिछले चार साल पूर्व ही प्लस टू का दर्जा मिल चुका है। लेकिन अब तक विद्यायल को कोड नहीं मिला है। इस कारण स्कूल में इन्टर की पढाई नहीं होती है। और मैट्रिक पास करने के बाद बच्चों को इन्टर में नामांकन कराने के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। इस कारण कई छात्र व छात्राएं आगे की पढ़ाई से वंचित हो रहे है। वही छात्र कई निजी व वित्त रहित कॉलेज में नामांकन कराने पर मजबूर हो रहे है। बताया जाता है कि प्लस टू की दर्जा मिलने से आस पास के क्षेत्रों के अभिवावकों व बच्चों को काफी खुशी हुई थी कि मैट्रिक पास करने के बाद बच्चों को कहीं कालेज में नामांकन कराने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। पर लोगों को उम्मीद पर पानी तब फिर गया जब चार वर्ष बीतने के बावजूद विद्यालय को कोड आवंटित नही हो सका है।

अपग्रेड होकर बन गया प्लस टू विद्यालय,लेकिन पढ़ाई नही : शिक्षा के नाम पर खूब राशि खर्च की जा रही है लेकिन अजग-गजब खेल के कारण सरकार एवं शिक्षा विभाग खुद कटघरे में दिखती है। ग्रामीण क्षेत्रों के वंचित समाज के साथ सरकार की वर्तमान व्यवस्था द्वारा की जा रही उपेक्षा के भाव से कई सवाल खड़े होते हैं। प्रखंड क्षेत्र के सुदूरवर्ती नयानगर पंचायत के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय सिंगारपुर को प्लस टू का दर्जा प्राप्त है। यह पहले मध्य विद्यालय था। बाद में एक साथ माध्यमिक एवं प्लस टू का दर्जा प्राप्त किया। बावजूद यहां हाई स्कूल से लेकर प्लस टू तक के छात्रों को पढ़ने के लिए एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं किए गए हैं। इस कारण प्लस टू में एक भी नामांकन नहीं होता है। जबकि हाई स्कूल कक्षाओं में नामांकित बच्चों को मध्य विद्यालय के शिक्षक ही पढ़ाते हैं। पर्याप्त जमीन रहने के बावजूद भवन का निर्माण शिक्षा विभाग द्वारा नहीं शुरू किया गया है। जबकि विद्यालय का औसत परीक्षा परिणाम 97 फीसद है।

विद्यालय की स्थापना 1977 में हुई है : इस विद्यालय की स्थापना 1977 में हुई थी। वर्ष 2016-17 में इसे एक साथ माध्यमिक एवं प्लस टू का दर्जा दिया गया था। विद्यालय को अपग्रेड हुए चार वर्ष बीत जाने के बाद भी हाई स्कूल एवं प्लस टू में एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं किए गए हैं। किसी तरह मवि के शिक्षक माध्यमिक के कक्षा नौ एवं दस को पढ़ाते हैं। इसके बावजूद यहां के छात्र-छात्राओं का मैट्रिक परीक्षा परिणाम 97 फीसद है।

बुनियादी सुविधाओं से आज भी वंचित है विद्यायल : सिंगारपुर उत्क्रमित प्लस टू विद्यालय आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। बताया जाता है कि प्लस टू विद्यालय सिंगारपुर में कक्षा दस तक छात्रों का नामांकन होता है। यहां पहले आठ तक की पढ़ाई होती थी। इसे उत्क्रमित कर उच्च विद्यालय का दर्जा दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार

उत्क्रमित माध्यमिक प्लस टू विद्यालय सिंगारपुर का लगभग तीन करोड़ सात लाख रुपये खर्च कर भवन निर्माण की योजना बनी थी। जिसका टेंडर भी कराया गया था। लेकिन अभी तक नया भवन नहीं बन सका है। अब समय बीतने के साथ ही भवन निर्माण की आशाएं भी धूमिल होने लगी है। इस संबंध में प्रधानाध्यापक अमर ठाकुर ने कहा कि विभाग को वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया गया है। मार्गदर्शन प्राप्त होते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि उत्क्रमित माध्यमिक प्लस टू विद्यालय में नया भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं होने से इंटर काउंसिल द्वारा कोड जारी नहीं किया गया है। वर्तमान में कक्षा 10 तक ही नामांकन और पढ़ाई होती है। यहां स्मार्ट क्लास भी शुरू किया गया है।

स्थानीय लोगों में है नाराजगी : क्षेत्र में उच्च शिक्षा के प्रति विभागीय उदासीनता से प्रबुद्धजनों में गहरी नाराजगी है। सुमनकान्त झा ने कहा कि दूर में संस्थान रहने के कारण कई छात्राएं मैट्रिक की परीक्षा देकर पढ़ाई पर विराम लगा देती है। जबकि अन्य सामान्य छात्रों को भी कठिनाई होती है। मंटू महतो ने बताया कि प्लस टू का दर्जा मिलने के बावजूद बच्चों का नामांकन नही हो रहा है। वही उन्होंने कहा कि प्लस टू का दर्जा मिलने के बाद भी अब तक भवन निर्माण कार्य शुरू नही हो सका है। वही प्लस टू की पढ़ाई के लिए शिक्षकों का भी अभाव है। जहूर आलम ने कहा कि विद्यालय की स्थिति बच्चों की उच्च शिक्षा के प्रति सरकार के आंकड़ों को झुठलाने के लिए काफी है। नवटोल गांव के बिदुर झा ने कहा कि विडंबना है कि विभागीय अधिकारी इस मामले में उदासीन बने हुए हैं।

ग्रामीण डॉ मणिकांत झा का कहना है कि स्कूल में शिक्षकों की कमी है। उन्होंने कहा कि नौंवां व दसवां के बच्चों को सभी विषयों की पढ़ाई नहीं होती है। इस संबंध में शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराते हुए शिक्षकों के पदस्थापन की मांग की गई है। छात्र मोहम्मद तेखो आलम,विकास कुमार कहते हैं कि हमें सरकारी घोषणाओं से क्या मतलब। हमारे लिए व्यवस्था तो वही पुरानी है।

कहते है स्थानीय मुखिया अब्दुल अहद : नयानगर पंचायत के मुखिया अब्दुल अहद ने बताया कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिंगारपुर को प्लस टू स्कूल का दर्जा मिले लगभग चार वर्ष हो गए हैं। परन्तु यहां अब तक पढ़ाई शुरू नहीं की जा सकी है। जिससे उच्च शिक्षा के लिए इलाके के छात्रों को दर- दर भटकने की मजबूरी बनी हुई है। खासकर क्षेत्र की छात्राओं को मैट्रिक के बाद की शिक्षा अब भी मुश्किल भरी है। बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए जवाबदेही लेना नागवारा है। ऐसे में सरकार द्वारा कन्या शिक्षा को प्रोत्साहित किए जाने की बात यहां बेमानी साबित हो रही है।

कौनैन बशीर
वरीय उप संपादक

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