गम्हरिया के प्राइवेट स्कूल में छात्र की संदिग्ध हालत में मौत, स्कूल संचालक की गिरफ़्तारी की मांग

Photo : www.therepublicantimes.co
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मधेपुरा/बिहार : मधेपुरा जिले के गम्हरिया थाना क्षेत्र के गम्हरिया बाजार स्थित एक प्राइवेट स्कूल के चौथे क्लास में पढ़ने वाले एक छात्र की संदिग्ध हालत में मौत हो गई,   स्कूल में एक छात्र की मौत होने की खबर जगंल में आग की तरह फैल  गई,  इधर आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने सड़क जाम कर स्कूल संचालक की गिरफ़्तारी की मांग करने लगे।  एक तरफ जहां कोरोना संकट के कारण राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थाऩों को बंद करने का आदेश है तो ऐसे में गम्हरिया के प्राइवेट स्कूल में बच्चे की मौत ने ना सिर्फ स्कूल संचालक बल्कि जिला प्रशासन पर भी सवालों के घेरे में ला कर खड़ा कर दिया है ।

  जानकारी के मुताबिक, गम्हरिया थाना क्षेत्र के गम्हरिया बाजार स्थित सेंट माइकल प्ले स्कूल के छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहे सत्यम कुमार की आज सुबह संदिग्ध हालत में मौत गई . सत्यम कुमार पिछले 4 साल से गम्हरिया स्थित प्ले स्कूल का छात्र था. बुधवार की सुबह करीब 6:00 बजे स्कूल संचालक गौरव कुमार के द्वारा परिजनों को सूचना दिया गया कि सत्यम की तबियत खराब है. उसे इलाज के लिए जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है. इस सूचना पर परिजन आनऩ फानन में अस्पताल पहुंचे. मगर वहां का नजारा देख कर उनका दिल दहल गया, उनके कलेजे का टुकड़ा लावारिस हालत में सड़क किनारे पड़ा था. उसकी मौत हो चुकी थी.

जिसके बाद परिजनों ने शव को उठाकर गम्हरिया के टोका गो स्थित सिंहेश्वर सुपौल मुख्य पथ को जाम कर दिया. कई घंटे बाद जाम की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे स्थानीय थाना अध्यक्ष अमित कुमार राय  द्वारा  समझाने की कोशिश की गई मगर परिजन स्कूल संचालक की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अड़े थे और साथ ही आला अधिकारियों को जाम स्थल पर आने की मांग कर रहे थे.

वहीं मृतक की मां पविता देवी ने बताया कि उनका बेटा सत्यम इस साल क्लास 4 में गया था,  और एक सप्ताह पूर्व ही उसे  किताब कॉपी खरीद कर दिया गया था. स्कूल फी बीते मंदगलवार को जमा किया गया लेकिन बच्चे से उन्हें नहीं मिलने दिया गया.  परिजनों का आरोप है कि बच्चे की तबीयत खराब थी तो परिजन को पहले ही इसकी सूचना क्यों नहीं दिया गया  और ऐसी क्या तबीयत खराब हो गई थी कि गम्हरिया के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चों का इलाज नहीं कराया गया. सीधे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया।


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