बंसी दा का जाना पूरे भारत के रंगकर्म के लिए अपूरणीय क्षति

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फ़ोटो : शोक सभा में उपस्थित रंगकर्मी, साहित्यकार, समाजसेवी, छात्र नेता समेत अन्य लोग
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मधेपुरा/बिहार : प्रख्यात रंगकर्मी व वर्ष 2014 में पद्मश्री से सम्मानित भारत समेत अन्य देशों में बंसी दा के नाम से प्रचलित बंसी कौल का निधन होने के बाद उनके सम्मान में मंगलवार को जिला मुख्यालय स्थित कला भवन के समक्ष शोक सभा का आयोजन किया गया. इस शोक सभा में जिले के कई संस्थाओं के रंगकर्मी, साहित्यकार, समाजसेवी, छात्र नेता समेत अन्य लोग उपस्थित हुए.

 मालूम हो कि पद्मश्री 72 वर्षीय बंसी कौल ने बीते शनिवार को द्वारका सेक्टर-7 स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. वे बीते कई महीनों से बीमार चल रहे थे. वह एक मशहूर थिएटर आर्टिस्ट, निर्देशक व डिजाइनर थे. मौके पर उपस्थित समाजसेवी सह पूर्व वार्ड पार्षद ध्यानी यादव ने कहा कि बंसी कॉल का निर्धन मधेपुरा समेत पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है. उन्होंने मधेपुरा समेत देश के कई युवाओं का भविष्य संवारने का काम किया है. उनके बदौलत आज देश के हजारों युवा देश के कई राज्यों में रंगकर्म समेत फिल्मों में कार्य कर रहे हैं. पीएस कॉलेज के सहायक प्राध्यापक अजय अंकोला ने कहा कि बंसी कौल एवं उनके द्वारा किए गए कार्यों को भुला पाना बेहद मुश्किल है. उन्होंने कभी जाति, धर्म या किसी खास स्थान को सोच कर कार्य नहीं किया. वह सिर्फ और सिर्फ रंगकर्म के लिए सोचा करते थे. उनका जन्म स्थान कश्मीर एवं कर्म स्थल मध्यप्रदेश रहा, लेकिन उनके सानिध्य के तले हजारों रंगकर्मियों ने अपना जीवन को संवारा है.

बंसी कॉल का सानिध्य प्राप्त कर चुके एवं मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय से उत्तीर्ण छात्र शहंशाह ने कहा कि बंसी कौल का हमलोगों को छोड़कर चले जाना पूरे भारत के रंगकर्म के लिए अपूरणीय क्षति है. उन्होंने बताया कि बंसी कौल ने विदूषक शैली अपनाकर पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई. बंसी कौल ने देश के किसी भी राज्य में रंगकर्म के क्षेत्र में कार्य कर रहे भटके हुए युवाओं को ना सिर्फ शरण दिया, बल्कि उनके रोजी रोटी के बारे में भी सोचा. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन रंगकर्मी को दे दिया. आज उनके इसी सोच एवं कार्य ने उन्हें महान बना दिया है. बंसी कौल कहते थे थिएटर ऐसी विधा है, जिसमें नृत्य, गायन, वादन समेत तमाम अहम कलाएं एक साथ उपयोग होती है. कौल साहब बेहतरीन डिजाइनर थे. बंसी कौल के निधन से हम सभी ने एक बेहतर थियेटर डायरेक्टर, डिजाइनर को खो दिया है. रंगकर्मी मिथुन कुमार गुप्ता ने कहा कि अंधा युग, रंग बिरंगे जूते, आला अफसर उनके चर्चित नाटकों में से है. भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. भारतीय रंगमंच में एक पूरी पीढ़ी को तैयार करने में बंसी कौल के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है.

मौके पर जीडीएस यूनियन के सर्किल उपाध्यक्ष चंचल कुमार, एनएसयूआई जिलाध्यक्ष निशांत यादव, एनएसयूआई नेता अरमान अली, ऑल इंडिया स्टूडेंट यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर मुरारी, रंगकर्मी शकील, विकास विवेक, अविनाश सिंह, कार्तिक कुमार, आतिफ, इमरान, रवि कुमार, बमबम कुमार, सुमन कुमार समेत अन्य रंगकर्मी उपस्थित थे.

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

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