मधेपुरा : महापर्व छठ को लेकर माहौल भक्तिमय, हर ओर गूंज रहे छठी मइया के गीत

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : नेम, निष्ठा, पवित्रता व लोक आस्था का महापर्व छठ का चतुर्दिवसीय अनुष्ठान 18 नवंबर बुधवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जायेगा. जबकि 19 नवंबर गुरुवार को छठव्रती खरना करेंगी. 20 नवंबर शुक्रवार को क्षेत्र के सभी छठ घाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य एवं 21 नवंबर शनिवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर उपासना की जायेगी. इसके बाद व्रती महिलाएं अपने अनुष्ठान के संकल्प का निस्तार करेंगी.

कद्दू का भाव अस्सी के पार : छठ महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय में नदी व तालाब में स्नान करने के बाद घरों में कद्दू-भात बनाया जाता है. छठ को लेकर कद्दू का भाव भी दोगुना हो गया है. मंगलवार को मुख्य बाजार में जगह-जगह सब्जी दुकानों व चौक-चौराहों पर सभी साइज की कद्दू सजी हुई थी. आम दिनों में बीस से पच्चीस रूपये बिकने वाले कद्दू की कीमत सत्तर से अस्सी रूपया बिक रहा था.

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मनोकामनाएं होती हैं पूरी : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाये जाने वाले छठ महापर्व की मान्यता है कि इससे पारिवारिक सुख-समृद्धि, आरोग्यता एवं मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. विभिन्न कामनाओं को लेकर श्रद्धालु दंड देकर भी घाट तक पहुंचते हैं. जबकि नदी के जल में छठ व्रतियों के साथ हाथ व आंचल फैला कर मन की मुरादें पूरी करने के लिए सूर्य की अराधना की जाती है. जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है, वे अगले साल बैंड-बाजा के साथ भी छठ का डाला लेकर घाट पहुंचते हैं.

स्वच्छता का देता है संदेश : लोकपर्व छठ अपने अनुष्ठान के दौरान स्वच्छता का संदेश भी देता है. छठ पर्व के आयोजन के दौरान घरों व अगल-बगल की साफ-सफाई के साथ-साथ स्वच्छता, शुद्धता व पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. प्रसाद व पकवान तैयार करने में मिट्टी का चूल्हा व बांस निर्मित सूप व डलिया का ही उपयोग होता है. खरना पूजा में दूध व चावल से तैयार प्रसाद को केला के पत्ता पर रख कर पूजा-अर्चना की जाती है. पकवान में शुद्ध देशी घी का ही उपयोग होता है.

छठमय हुआ वातावरण : महापर्व छठ के अनुष्ठान की तैयारी से ही समूचे इलाके में छठमय का वातावरण बन गया है. बाजार में जगह-जगह छठ पूजा से संबंधित पूजन-सामग्री, फल, नारियल, सूप-डलिया, सजावट सामग्री आदि की दुकानें सजी हुई है. गांव से लेकर बाजारों में छठ मईया के ही गीत बजाये जा रहे हैं. इससे माहौल भक्तिमय हो गया है.

घाट पर रहेगी गोताखोर की व्यवस्था : अधिकारियों ने बताया कि भीड़ को देखते हुए भिरखी घाट सहित अन्य कई छठ घाटों पर पुलिस के साथ-साथ गोताखोर तैनात रहेगी. इधर पूजा समिति सहित समाज के लोगों द्वारा छठ घाट सहित आस पास के क्षेत्रों में रोशनी की व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा ध्वनि विस्तारक यंत्र भी लगाये जा रहे है.

घाट को दिया जा रहा अंतिम रूप : शहरी क्षेत्र स्थित सभी छठ घाट को स्थानीय प्रशासन व पूजा समिति के द्वारा अंतिम रूप दिया जा रहा है. पूजा समिति द्वारा छठ घाट को आकर्षक रूप दिया जा रहा है. भिरखी घाट पर जरूरत के अनुसार पंडाल का निर्माण भी नदी किनारे की जा रही है. जहां व्रती घाट किनारे रहकर माता की आराधना करते हैं. इसके अलावा घाट तक पहुंचने के लिए पहुंच पथ का निर्माण भी किया जा रहा है.


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