मधेपुरा : अब तक नहीं हुआ छठ घाटों की सफाई का कार्य, व्रतियों को होगी परेशानी

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा (बिहार) : लोक आस्था का महापर्व चार दिवसीय छठ पूजा दो दिन के बाद शुरू हो जायेगा, लेकिन अब तक कई छठ घाटों के सफाई का कार्य शुरू नहीं किया गया है. छठ घाटों की स्थिति को देखकर ऐसा लग रहा है कि इस वर्ष व्रतियों को कचरे में खड़े होकर सूर्य भगवान को अर्ध्य देने की मजबूरी हो जायेगी. जिला मुख्यालय के छठ घाटों की स्थिति को देखकर व्रती एवं श्रद्धालु परेशान दिख रहे हैं, लेकिन नगर परिषद के अधिकारी अब तक इसके प्रति गंभीर नहीं दिख रहे हैं. जबकि दीपावली के पूर्व ही छठ घाटों की साफ-सफाई शुरू हो जानी चाहिये थी, लेकिन अब तक जिला मुख्यालय के मुख्य छठ घाटों की साफ-सफाई का कार्य शुरू तक नहीं किया गया है. नगर परिषद की ढिलाई से लोगों में आक्रोश है. लोगों को चिंता है कि सफाई नहीं हुई तो फिर छठ व्रतियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
नप नहीं दे रहा है छठ घाटों की सफाई पर ध्यान
लोक आस्था का महापर्व छठ की तैयारी में नगर परिषद नदी, तालाबों में बने छठ घाटों की सफाई पर ध्यान नहीं दे रहा है. जलाशय में खड़े होकर डूबते एवं उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए लोग घाट पर पहुंचते हैं. नगर परिषद ने समय पर घाटों की सफाई नहीं कराई तो व्रतियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. छठ घाटो के सफाई को लेकर कई बार नगर परिषद केे अधिकारियों को जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन उसके बाद भी नगर परिषद ने अब तक कोई सफाई नहीं की है.
कथनी व करनी को लेकर उठ रहे हैं सवाल
दीपावली के कारण घाटों पर गंदगी बढ़ गई है. लोगों ने घरों की साफ-सफाई का कचरा एवं पूजा के बाद मूर्तियों का विसर्जन किया है. बावजूद उसके नदियों एवं तालाबों की सफाई नहीं हो पाई है. इसलिए कूड़ा कचरा अधिक दिखाई दे रहा है. हालांकि छठ पर्व तक सफाई पूर्ण होने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह से अब तक सफाई का कार्य नगर परिषद ने शुरुआत नहीं की है. उसको देखते हुए कथनी व करनी को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
नदी की स्थिति किसी नाले जैसी
छठ पर्व के दौरान सबसे अधिक व्रतियों एवं श्रद्धालुओं की भीड़ जिला मुख्यालय के भिरखी पुल के नजदीक नदी के छठ घाट पर उमड़ती है, लेकिन उसके बाद भी अब तक इस प्रमुख घाट की सफाई पर न तो कोई ध्यान दिया गया है, और न ही अन्य व्यवस्थाओं को अमलीजामा पहनाया गया है. नदी के बीचो-बीच कचरा, झाड़ी एवं मिट्टी का टीला बना हुआ है. इससे नदी की स्थिति किसी नाले जैसी दिखाई दे रही है.

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