मधेपुरा : नाट्य शिक्षक की बहाली की मांग को लेकर रंगकर्मियों ने डीएम को सौंपा मांग-पत्र  

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मो० नियाज अहमद
ब्यूरो, मधेपुरा

मधेपुरा/बिहार : गुरुवार को जिले के डिग्रीधारी रंगकर्मियों ने जिला पदाधिकारी नवदीप शुक्ला को नाट्य शिक्षक की बहाली को लेकर आवेदन सौंपा। डीएम को दिये गए आवेदन में रंगकर्मियों ने मांग किया कि कला शिक्षक की बहाली में नाट्य विषय को जोड़कर नाट्य शिक्षक की बहाली की जाय। रंगकर्मियों ने एक स्वर में कहा कि नैतिकता सिखाने वाली एवं संस्कृति को खूबसूरत बनाने वाली शिक्षा को आज की पीढ़ी के बच्चों को शिक्षित करने के लिये रंगकर्मियों को नाट्य शिक्षक के रूप में बहाल करना चाहिये।

 उन्होंने कहा कि देश में बहुत सारे बीएड एवं डीएलएड विद्यालय व महाविद्यालय है। बीएड एवं डीएलएड में एक विषय ड्रामा एंड आर्ट इन एजुकेशन एवं एआईएल (आर्ट इंटीग्रेटेड लर्निंग) है। इस विषय को पढ़ाने के लिए थिएटर या नाट्य वाले स्नातकोत्तर की डिग्रीधारी चाहिये। इस विषय को पढ़ाने वाले देश में नाम मात्र है और जो है भी उनके लिये कोई रोजगार नहीं है। उन्होंने कहा कि बीएड एवं डीएलएड विद्यालय व महाविद्यालय में भी कला शिक्षक से मतलब संगीत, नृत्य, चित्रकला आदि विषय वालों से काम चलाया जाता है। जहां शिक्षा विभाग आज प्रोसेस एजुकेशन मतलब प्रक्रिया वाले शिक्षा की बात करती है, इसके लिए थिएटर एवं ड्रामा वाले शिक्षक चाहिये, लेकिन सरकार सिर्फ कला शिक्षक की बहाली के नाम पर संगीत, नृत्य एवं चित्रकला को ही बहाल कर रही है।

 बता दें कि नई शिक्षा निति में भी छात्र केंद्रित शिक्षण पद्धति की बात को जोड़ दिया गया है। इसलिए हमलोगों की मांग है कि नाट्य शिक्षक की बहाली हो। उन्होंने कहा कि हमलोगों ने नाट्य एवं रंगमंच की पढ़ाई की है और हम लोगों ने स्नातक एवं स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है। एनसीएफ 2005 में लोक कलाओं, ललित कलाओं के अंतर्गत नाट्य विषय स्वीकृत है तथा एनसीएफ 2005 तथा नई शिक्षा निति में प्रत्येक शिक्षण संस्थान में नाटक के माध्यम से पढ़ाई पर जोर दिया गया है। इसकी पढ़ाई देश के कई राज्यों में हो रही है। सीबीएसई ने इसके महत्व को स्वीकारा है। जब एनसीएफ तथा नई शिक्षा नीति जोर दे रहा है तो इस परिस्थिति में नाट्य एवं रंगमंच की डिग्रीधारी छात्र-छात्राओं को शिक्षक के रूप में नियुक्त करना अनिवार्य सा प्रतीत हो रहा है। जिस प्रकार ललित कला के अंतर्गत आनेवाली हर कलायें संगीत, नृत्य, चित्रकला एवं मूर्तिकला का शिक्षण सभी संस्थाओं में नियमित रूप से जारी है। ऐसे में ललित कला का ही अंश नाट्य एवं रंगमंच का शिक्षण भी अनिवार्य प्रतीत होता है। नाट्य शिक्षकों की सभी शिक्षण संस्थान में नियुक्त होने से शिक्षण संस्थान पद्धति को बेहतर से बेहतर आयाम दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिये।

 मौके पर अमित आनंद, मो शहंशाह, गायक सुनीत कुमार, अमित कुमार अंशु, अक्षय कुमार सोनू, आशीष कुमार सत्यार्थी, शशिभूषण कुमार, मो आतिफ, कार्तिक कुमार, शाहनवाज खान, शिवांगी गुप्ता शिवानी अग्रवाल, गरिमा उर्विशा, शंकर कुमार, पुष्कर आनंद, मो मेराज आलम, मो जावेद सहित दर्जनों डिग्री धारी रंगकर्मियों ने डीएम से मिलकर अपने सरकार तक रंग कर्मियों की मांग पहुंचाने को लेकर मांग पत्र ज्ञापन दिया।


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