मधेपुरा/बिहार : कोरोना संक्रमण के दौर में जिले को साफ सफाई रखने की नसीहत देने वाला जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल परिसर में ही कचरों का अंबार लगा हुआ है।
बुधवार को स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत कोरोना की स्थिति एवं जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का जायजा लेने पहुंचे। प्रधान सचिव के आने से पूर्व मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल परिसर की सफाई की गई। सफाई के दौरान सभी कचरों को अस्पताल परिसर में ही जमा कर दिया गया, जिस जगह पर कचरा को जमा कर उसमें आग लगाया जाता है, उसके आसपास अस्पताल प्रशासन के कर्मियों का आवास है। जिसमें रहने वाले कर्मियों के परिजन को कचरा में आग लगने के बाद उठने वाले धुएं का सामना करना पड़ता है।
मेडिकल कचरे के रूप में निष्क्रिय व अपशिष्ट सलाईन की खाली बोतल, रुई, डिस्पोजल, पाईप, दवा की बोतल, प्लास्टिक यत्र-तत्र फेंक दी जाती है। साथ ही अभी कोरोना वायरस के इलाज के दौरान मरीजों एवं चिकित्सकों के उपयोग में लाये जाने वाले कीट एवं अन्य व्यर्थ कचरों को भी अस्पताल परिसर में हीं फेंक दिया जाता है, जिसके बाद उसमें आग लगा दिया जाता है। मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन के उदासीनता के कारण कोरोना संक्रमण को रोकने के बजाय, संक्रमण को फैलने में मदद मिलेगी।
अस्पताल परिसर में ही कचरा फेंकते हैं सफाई कर्मी : मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से निकलने वाला निष्क्रिय व अपशिष्ट कचरा अस्पताल परिसर के वातावरण को दूषित कर रहा है। कचरे से निकलने वाली दुर्गंध से यहां ईलाज कराने पहुंच रहे मरीजों एवं परिसर में रह रहे अधिकारी एवं कर्मियों के परिजनों पर संक्रमित बीमारियों से ग्रस्त होने का खतरा बना रहता है। मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही व उदासीनता से सदर अस्पताल में इलाजरत मरीजों के जल्द स्वस्थ होने पर प्रश्नचिन्ह लगना लाजमी है।
मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सफाई कर्मी मेडिकल कचरे व कूड़े को अस्पताल परिसर में ही फेंक देते हैं। नतीजन वहां जगह-जगह गंदगी का अंबार लग गया है. मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल परिसर में वयाप्त गंदगी को देख ऐसा लगता है मानो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को ही ईलाज की जरूरत है। मेडिकल कचरे का निष्पादन के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व आईएमए ने सरकारी अस्पताल प्रबंधन व निजी अस्पताल प्रबंधन के लिये दिशा निर्देश जारी कर रखा है। बावजूद इसके तय मापदंड को ठेंगा दिखा कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन मेडिकल कचरे को अपने परिसर में ही फेंक देते हैं। मालूम हो कि दवा में रासायनिक पदार्थ मौजूद रहता है। उसकी खाली बोतल, डब्बे व शीशी कचरे वातावरण को दूषित कर जनमानस को नुकसान पहुंचाती हैं।