पप्पू यादव ने कहा : कोरोना और बाढ़ के बीच सिसक रही है आमलोगों की जिंदगी ⇔ केंद और राज्य सरकार वर्चुअल और डिजिटल रैली में मस्त ⇔ सरकार ने बिहार की जनता के साथ किया जल्लाद जैसा सलूक ⇔ आलमनगर के कुछ पंचायत को छोड़कर सभी क्षेत्रों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित करें सरकार
मधेपुरा/बिहार : केंद्र और राज्य सरकार की नाकामी के कारण, कोरोना और बाढ़ के बीच पिसती आमलोगों की जिंदगी को देखकर बड़े ही अफसोस के साथ कहना पर रहा है कि यूं जानवर की जिंदगी जीने से बेहतर है मौत है। गरीबों को मौत से बदतर जिंदगी जीने पर मजबूर करने वाली केंद्र की मोदी और बिहार की नीतीश सरकार से यह मांग करता हूं कि इन गरीबों को जिंदा रखने से बेहतर है कि इन लोगों को खत्म कर दें।
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उक्त बातें मंगलवार की देर शाम जिला अतिथि गृह में प्रेस वार्ता के दौरान जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मधेपुरा लोकसभा के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कही। उन्होंने कहा कि नदियों के बारे में मैं बस इतना कह सकता हूं कि इन नदियों की जिंदगी को हमने बर्बाद किया है और इन नदियों ने हमारी जिंदगी को नर्क बना दिया है। पप्पू यादव ने कहा कि मैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह जानना चाहता हूं कि बरसात और बाढ़ के समय में ही क्यों बाढ़ से लड़ाई का काम किया जाता है। इससे साफ जाहिर होता है कि आप गरीबों को लूटना चाहते हैं, उन्हें लूट कर अपना घर भरना चाहते हैं, उन्होंने सीधे तौर पर शासन और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बाढ़ से सुरक्षा के नाम पर नीचे से लेकर ऊपर तक सभी लोग बंदरबांट करते हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अब तक नहीं पहुंचाया गया है मास्क : पप्पू यादव ने कहा कि बाढ़ पॉलीटिशियन की नाजायज औलाद है, जो अपने घर भरने के लिए पैदा किया है। बाढ़ और सिंचाई विभाग नेताओं के लिये दुधारू गाय है, इससे करोड़ों-अरबों रुपया नेता पदाधिकारी ठेकेदार और माफियाओं के घर जाता है। भारत सरकार एवं बिहार सरकार के अंतर्गत बाढ़ को लेकर जितनी भी योजनायें हैं, उसका टेंडर तो होता है, लेकिन काम किसी भी योजना का नहीं होता है। हर वर्ष जून महीने के बाद जुलाई, अगस्त, सितंबर महीने में काम के नाम पर पुल टूट जाता है, रोड टूट जाता है, स्कूल भवन टूट जाता है और योजनायें खत्म हो जाती है, और कहा यह जाता है कि हमने काम कर दिया था, बाढ़ आने के बाद वह टूट गया है। जनता का करोड़ों-अरबों रुपया यह अपने घर ले जाते हैं। इस तरह ये लोग हर वर्ष निजी मकान, घर, झोपड़ी, गाय, जान-माल समेत करोड़ो-अरबों रुपया को बर्बाद कर देते हैं। गरीबी और बीमारी का सबसे बड़ा कारण बाढ़ है, मैं नौ दिनों से लगातार बिहार के विभिन्न जिलों में आये बाढ़ को लेकर नदियों के भीतर जा रहा हूं और देख रहा हूं कि बाढ़ से किस तरह से जनता त्रस्त है। कहीं भी राशन नहीं दिया गया है, कहीं भी नाव नहीं दिया गया है, कहीं भी लोगों को सर छुपाने के लिए पन्नी तक नहीं दिया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि आठ हजार चार सौ 36 करोड़ रूपया कोरोना वायरस के नाम पर खर्च करने वाली सरकार ने अब तक बाढ़ के क्षेत्रों में एक मास्क तक नहीं पहुंचा पाई है।
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आलमनगर के कुछ पंचायत को छोड़कर सभी क्षेत्रों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित करें सरकार : पूर्व सांसद पप्पू यादव ने कहा कि गोपालगंज का दो सौ 64 करोड़ रुपया का 70 घाट टूट जाता है, क्योंकि उसके निर्माण में सिर्फ 64 करोड़ रुपया खर्च हुआ है, दो सौ करोड़ रुपया बसेस्टा कंपनी ने किस-किस को दिया? जो बसेस्टा कंपनी पूर्व में 30 से 40 करोड़ का काम किया करती थी, उसे बिहार में तीन सौ से पांच सौ करोड़ रुपये का काम क्यों दिया गया ? पप्पू यादव ने कहा कि हम इन सभी मामलों की जांच हाईकोर्ट से चाहते हैं और इसी सप्ताह हाई कोर्ट जा रहे हैं । आलमनगर में हार साल बाढ़ की समस्या के सवाल पर उन्होंने कहा कि कई बार यह कहा गया है कि मधेपुरा के आलमनगर से लेकर के बेलदौर और नवगछिया के इलाके में सिर्फ दो रिंग बांध को बना दिया जाय तो दुनिया बदलने की क्षमता रखने वाली वहाँ की हजारों एकड़ जमीन, बाढ़ से तबाह व बर्बाद नहीं होगी लेकिन क्या कारण है कि रिंग बांध आज तक नहीं बने।
पप्पू यादव ने कहा कि सरकार की लपारवाही के कारण आलमनगर, चौसा से लेकर उदाकिशनगंज तक की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है । मधेपुरा में बाढ़ की नौबत आ चुकी है। ग्वालपाड़ा के दोनों तरफ सड़क टूटने की स्थिति आ चुकी है। यह निश्चित रूप से बहुत गंभीर विषय है। हम सरकार से मांग करते हैं कि चार महीने के लिये लोगों को राशन दें, आलमनगर के कुछ पंचायत को छोड़कर सभी क्षेत्रों को बाढ़ घोषित किया जाय, किसानों के सभी तरह के ऋण माफ हो, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आने वाले लोगों के खाते में सात हजार रुपया जाये ।
कोरोना काल में सरकार ने बिहार की जनता के साथ किया जल्लाद जैसा सलूक : पप्पू यादव ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद, उसका इलाज चलने के बाद यह नियम है कि उसका दो बार नेगेटिव रिपोर्ट आये तो ही उसे अस्पताल से छोड़ा जाय, लेकिन सरकार ने यह निर्देश दिया है कि किसी भी व्यक्ति के पॉजिटिव होने के बाद 11 दिन इलाज चलने के बाद उसे छोड़ दिया जायेगा । चाहे वह व्यक्ति नेगेटिव हो या पॉजिटिव ही रह जाय । उन्होंने कहा कि जो जांच अनुमंडल में होंगे उसका इलाज कहां होगा, इसकी अब तक कोई व्यवस्था नहीं है, डॉक्टर की व्यवस्था नहीं है, दवा उपलब्ध नहीं है, बिहार की जनता बार-बार सरकार की कह रही है कि मुझे बचाओ, और सरकार वर्चुअल और डिजिटल रैली में मस्त है । उन्होंने कहा कि सरकार को अगर लॉकडाउन करना था तो सबसे पहले व्यापारियों का ईएमआई, उसका बिजली बिल और होल्डिंग टैक्स को माफ करना चाहिये, सरकार ने बिहार के व्यापारियों रिक्शा चालक ठेला चालक के साथ जल्लाद जैसा सलूक किया है ।
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