मधेपुरा : मजदूरों को होम कोरेंटिन करने की सलाह देना बिहार सरकार का मानसिक दिवालियापन– पूर्व मंत्री

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मो० नियाज अहमद
ब्यूरो, मधेपुरा

मधेपुरा/बिहार : एक छोटी सी झोपड़ी या 1/2 कमरे के इंदिरा आवास में जहां पूरा कुनबा रहता है, वहां बाहर से आ रहे मजदूर को होम कोरेंटिन करने की सलाह देना बिहार सरकार के मानसिक दिवालियापन को जाहिर कर रहा है । सीएम नीतीश कुमार स्थिति की गंभीरता समझे बगैर उल जलूल फैसला ले रहे हैं । बिहार सरकार मजदूरों की घर वापसी कराने में पूरी तरह नाकाम रही, जो मजदूर किसी तरह घर लौट आए उनके लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर चलाने में भी विफल साबित हो गई है ।

उक्त बातें बिहार के पूर्व आपदा प्रबंधन मंत्री सह मधेपुरा विधायक प्रोफेसर चंद्रशेखर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही ।

उन्होंने कहा कि इन्हीं मजदूरों की वजह से बिहार में थोड़ी बहुत आर्थिक खुशहाली आई थी, जिसे नीतीश कुमार अपने सरकार का कार्य बताकर पीठ थपथपा रहे थे । अभी जब इन मजदूरों की जिंदगी पर बन आई है तो सरकार हर तरह से पल्ला झाड़ रही है । किसी तरह से पैसे जुगाड़ कर पैदल, ट्रक से भाड़ा देकर ट्रेन से जब यह मजदूर यहां पहुंचे हैं तो इन्हें पहले कोरेंटिन सेंटर में रखने की बात कही गई,, लेकिन सेंटर की व्यवस्था का यह आलम है कि लोगों को भोजन नहीं मिल रहा है, डिग्निटी किट के नाम पर लूट मची है, अब इन सेंटरों को भी बंद कर बाहर से आने वाले मजदूरों को होम कोरेंटीन करने की बात हो रही है, जो सरासर गांव समाज के लिए खतरा बन जाएगा ।

जनादेश का अपमान करते समय नीतीश कुमार ने कहा था डबल इंजन की सरकार से विकास को गति मिलेगी, नीतीश कुमार में अगर दम है तो वह केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा हासिल करें  विकास को गति दे । 15 वर्ष में एक सुई की फैक्ट्री नहीं लग सकी है, आखिरकार इन बाहर से आ रहे लाखों मजदूरों को कहां से रोजगार मिलेगा यह सब सवाल सामने है ।

ना तो खुद कर रहे हैं ना दूसरों को करने देते हैं : पूर्व मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक का यह हाल है कि न तो खुद गरीबों, मजदूरों के लिए कुछ करते हैं ना ही दूसरों को करने देते हैं । बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा बस देने का मामला हो, लालू भोजनालय चलाने का मामला हो या फिर कांग्रेस द्वारा ट्रेन किराया एवं बस देने का मामला हो, केंद्र एवं राज्य सरकार ने रोड़ा अटकाकर लाचार बेबस लोगों की सहायता करने से वंचित किया है । सरकार न तो गरीबों के लिए कुछ करना चाहती है ना किसी को कुछ करने देना चाहती है, वह सिर्फ कॉरपोरेट के लिए काम कर रही है । ऐसे गरीब विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकना ही एकमात्र विकल्प है ।


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