दरभंगा : लाॅकडाउन के खिलाफ 9 मई को भाकपा माले का देशव्यापी शोक व धिक्कार दिवस

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मो.आरिफ इक़बाल की रिपोर्ट :

दरभंगा/बिहार ; विशाखापट्टनम में जहरीली गैस से रिसाव के कारण लगभग 11 लोगों की मौत और 800 लोगों के अस्पताल में भर्ती होने के बाद महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कम से कम 16 प्रवासी मजदूरों को ट्रेन द्वारा रौंद कर मार दिए जाने की वीभत्स घटना को भाकपा-माले ने लाॅकडाउन जनसंहार कहा है और इसके खिलाफ 9 मई को देशव्यापी धिक्कार व शोक दिवस मनाने का आह्वान किया है।

 भाकपा-माले के साथ खेग्रामस व ऐक्टू संयुक्त रूप से कार्यक्रम आयोजित करेंगे। भाकपा-माले के जिला सचिव बैद्यनाथ यादव खेग्रामस जिला अध्यक्ष जंगी यादव एक्टू जिला उपाध्यक्ष भोला पासवान ने आज संयुक्त प्रेस बयान जारी करके कहा कि देशव्यापी आह्वान पर पूरे राज्य में शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए तीनों संगठनों के लोग अपने घरों अथवा कार्यालयों पर काला झंडा फहरायेंगे, काली पट्टी बांधेगे और पोस्टर व अन्य माध्यमों से विरोध दर्ज करेंगे. दोनों घटनाएं महज दुर्घटना नहीं बल्कि हत्या है।

 भाकपा-माले, खेग्रामस व ऐक्टू नेताओं ने मारे गए लोगों के प्रति गहरा शोक व्यक्त किया है। नेताओं ने कहा कि ट्रेनें प्रवासी मजदूरों को घर पहंचा सकती थीं लेकिन वे रौंद दिए गए। प्रवासी श्रमिकों के लिए दुखों व यातनाओं का कोई जैसे अंत ही नहीं है। इन परिहार्य मौतों को रोका जा सकता था लेकिन हमारी सरकार ने प्रवासी मजदूरों को मरने-खपने के लिए छोड़ दिया है। ऐसा नहीं है कि सरकार व रेलवे प्रशासन को पता नहीं है कि प्रवासी मजदूर रेलवे ट्रैक पकड़कर ही वापस लौट रहे हैं। ऐसे में बिना जांच-पड़ताल के ट्रैक पर ट्रेन दौड़ा देना घोर आपराधिक कार्रवाई है। यह लाॅकडाउन जनसंहार है।

विशाखापट्टनम गैस रिसाव कांड भी घोर लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अवहेलना का ही नतीजा है। यह देश भोपाल गैस कांड की भयावह त्रासदी झेल चुका है। उसकी मार अब तक हम झेले रहे हैं लेकिन हमारे हुक्मरानों ने कोई सबक नहीं सीखा। आज तक भोपाल गैस कांड के अपराधियों को सजा नहीं मिली है न ही सभी मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा व अन्य सुविधाएं मिल पाई हैं। सुरक्षा मानकों की अवहलेना आम बात हो गई है और इसके बदले में लोगों को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ रही है। विशाखापट्टनम में लापरवाही बरतने वाले एलजी पाॅलिमर और सरकारी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। इस हादसे की जबावदेही तय की जानी चाहिए और मारे गए लोगों के परिवारों को उचित मुआवजा व हर प्रकार की सहायता की गारंटी व देखभाल होनी चाहिए। बिहार में भी लाॅकडाउन के दौरान ट्रेन से कटकर दो युवकों की मौत हुई है। विगत 16 अप्रैल को अरवल जिले के वंशी प्रखंड के करवा बलराम गांव के बैजू यादव (उम्र – 21 वर्ष), पिता – रामजनेश यादव और सुबोध कुमार, उम्र (22 वर्ष) पिता राजेन्द्र साव जो सीतामढ़ी में नेटवर्क कंपनी में घरेलू जरूरत के सामानों का प्रचार, बिक्री और ग्राहक बनाने का काम करते थे, लाॅकडाउन में फंस गए और फिर पैदल घर की ओर रवाना हुए। छोटकी मसौढ़ी स्टेशन उन दोनों की मालगाड़ी से कटकर मौत हो गई। दोनों मृतक परिजनों को 20 लाख का मुआवजा व सरकारी नौकरी की भी मांग कल के कार्यक्रम में उठाई जाएगी।


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