दरभंगा/बिहार : मानवाधिकार इमरजेंसी सोशल हेल्पलाइन के प्रदेश अध्यक्ष अभिजीत कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के नाम पर मजदूरों की गरीबी का मजाक बनाने के लिए मनाया जाता है।
मजदूर का मतलब गरीबी जो गरीब है वही मजदूर है और मजदूर लोग का इतिहास रहा है की वो हमेशा भूख से और रोग से ही मरे हैं और मर रहे हैं। लेकिन देखने वाला कोई नहीं है ना कोई अधिकारी ना कोई नेता लेकिन मजदूर के सम्मान में आज के दिन को मजदूर दिवस का नाम रखा गया है। वही मजदूर आज दर-दर भटक रहा है इस दिवस का फायदा भी अधिकारियों और कर्मचारियों को ही मिलता है। सभी सरकारी कार्यालय दफ्तर बंद रहती है लेकिन नाम है मजदूर दिवस।
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 को हुई थी। मजदूर दिवस की शुरुआत भारत में मजदूर दिवस कामकाजी लोगों के प्रति आभार प्रकट करने का जरिया है। अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस को लेबर डे, मई दिवस, श्रमिक दिवस के तौर पर पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह एक दिन मजदूरों को समर्पित है, जिसे उनके सम्मान में मनाया जाता है।