बिना ऑडिशन के मिलाथा संचिता को फ़िल्म….

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

कोलकाता में संचिता के पिता श्यामोल बनर्जी का फैमिली बिजनेस है, मां सुपरा हाउस वाइफ हैं। एक भाई है जॉय जोकि एनीमेशन की फील्ड में काम करता है।

वो कहती हैं,  मैंने 11th तक ही पढ़ाई की, मुझे मॉडलिंग में इंटरेस्ट था। इसलिए पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। कोलकाता में मैंने काफी पहले से मॉडलिंग शुरू कर दी थी। काफी छोटी उम्र में मैंने कुमार शानू के एक एल्बम में काम किया था, हालांकि उसके लिए मुझे कोई पैसा नहीं मिला।  पहली सैलरी मुझे 1200 रुपए एक ड‍िटर्जेंट के ऐड के लिए मिली थी। इसके बाद मैंने कोलकाता में एक ब्यूटी कॉन्टेस्ट ‘तिलोत्तोमा’ में भाग लिया और फर्स्ट आई। ”2010 में जब मैंने मुंबई जाने की बात कही तो मां घबरा गई। उनको डर था कि मैं कैसे रहूंगी। भाई पहले से ही मुंबई में था, इसलिए मां ने शर्त रखी कि मैं भाई के साथ ही मुंबई में रहूंगी। मैंने मां की बात मान ली।

 मुंबई पहुंच मैंने किशोर नमित एक्टिंग इंस्टिट्यूट से कोर्स किया, फिर अतुल माथुर से एक्टिंग की बारीकियां सीखी। अतुल सर से ही वरुण धवनऔर अर्जुन कपूर ने भी एक्ट‍िंग के गुर सीखे हैं।

–  मेरे पास मॉडलिंग का प्रोफाइल था, इसी से अपना खर्च निकाल लेती हूं। एक्टिंग के लिए मैंने कभी किसी से सोर्स नहीं लगाया। पिछले 7 साल में 100 से ज्यादा ऑडिशन दिए और कई जगह सिलेक्ट भी हुई, लेकिन कास्टिंग काउच वाला मैटर बीच में आ ही जाता था।

–  कई बड़े बैनर की फिल्में भी मिली, लेकिन बीच के लोग फंसाते थे। वो कहते थे कि डायरेक्टर से मिलवा दूंगा, कुछ करो। मैं अपने करियर के लिए किसी भी गंदी चीज से कॉम्प्रोमाइज नहीं कर सकती थी। क्यूंकि मुझे अपने टैलेंट पर भरोसा था। मैं सिर्फ यही कहती थी कि एक मौका तो दो अपना हुनर दिखने का।

जब बिना ऑड‍िशन के हो गया फिल्म के लिए सिलेक्शन : वो कहती हैं, फिल्म रक्तधार में शक्ति कपूर, मुकेश ऋषि, शबाज खान जैसे कलाकार हैं। मुझे लेजेंडरी एक्टर्स के साथ काम करने का मौका मिला। अजीत वर्मा बहुत अच्छे डायरेक्टर हैं, हमेशा सही राय देते हैं। एक समय फिल्म में काम न मिलने के कारण मैं परेशान हो गई थी। मेरे एक दोस्त ने राय दी कि अगर फिल्म नहीं मिल रही है तो टीवी में काम करो। मैंने सीरियल के लिए 100 ऑडिशन दिए।  मुझे ‘जमाई राजा’ में एक गुजराती करेक्टर मिला, लेकिन उसमें मजा नहीं आया। क्यूंकि वो काफी उम्र दराज महिला का रोल था। उसी दौरान नागेश पुजारी (रक्तधार के एग्जीक्यूटिव प्रोडूसर) का फोन आया। उन्होंने कहा- मूवी में काम करोगी। मैं उनसे मिली और सब फाइनल हो गया।   हालांकि, मैं संतुष्ट नहीं थी, क्यूंकि उन्होंने मेरा ऑडिशन नहीं लिया था। मैंने उनसे जब ऑडिशन लेने के लिए कहा तो वो बोले- ये जो तूने आधा घंटा बात किया, यही तेरा ऑडिशन है। मुझे फिर भी यकीन नहीं हुआ और मैने पूछा कि सर, कोई गलत काम तो नहीं होगा। मेरी बात सुनकर सर ने कहा- मेरे घर में बीवी-बच्चे हैं, इसलिए मुझे पता है लड़की की क्या इज्जत होती है।

रक्तधार की शूटिंग चल रही थी की एक दिन नागेश सर ने कहा कि एक भोजपुरी मूवी है “निरहुआ हिन्दुस्तानी” जिसके एक्टर निरहुआ हैं, उसमें काम करोगी? मुझे भोजपुरी नहीं आती, फिर भी उन्होंने एक बार स्टोरी सुनने के लिए कहा। मैं गई और स्टोरी पसंद आ गई। फिल्म इतनी हिट हुई कि मुझे भोजपुरी और बॉलीवुड से एक साथ 16 फिल्मों के ऑफर आए।


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